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लफ्जों में बयां

चंद लफ्जों में बयां क्या करू? इस प्रेम को मेरे सारे शब्द और मेरी मेरी उम्र बीत जाए लेकिन प्रेम का अर्थ पूरा मेरे शब्द भी न कर पाए, फिर भी एक नाकाम कोशिश है कुछ बताने की, एक नया रिश्ता बनाने की

प्रेम क्या है ?
क्या मैं प्रेम शब्द को बयान कर पाऊंगा ?

चन्द लफ्जों में बयां क्या करू ?
इस प्रेम को

मेरे सारे शब्द और मेरी उम्र बीत जाए
लेकिन
प्रेम का अर्थ पूरा तो मेरे शब्द भी ना कर पाए

फिर भी एक नाकाम कोशिश सी है
कुछ बताने की, एक नया रिश्ता बनाने की

ये संबंध वो है

जिसमे हर एक रिश्ता नाता समा जाता है
मत भेद दिलो मेंं जो है वो दूर हो जाता है ,

असीम आसमान भी धरती की औढनी नजर आता है
जब कभी सतरंगी होता है आसमान
तब यही आसमान एक छोर से
बाहे फैलाये दूसरे छोर को जाता है

तब देखो क्या मधुर संबंध
धरती और आसमान का बन जाता है

यह प्रेम है जो धरती और आसमान को
एक करता हुआ नजर आता है

यह प्रेम है
जो पूरे ब्रह्मांड को एक शब्द में बांधे नजर आता है
और अनेको शब्दो में फैलाता हुआ चला जाता है

लफ्जों में बयां

यह प्रेम वो है
जो ना शब्दो से बयान हो पाता है
और ना ही मौन से समझ आता है

यह प्रेम तो
शब्द और मौन दोनो के पार ले जाता है।

सिसकिया

जब उनकी शायरी सुनते हैं हम,
दिल में उठती है सिसकिया कभी न कभी।
वो कलम की जद्दोजहद से निकलते हैं,
दर्द की गहराईयों में खुद को भुलाते हैं।

उनके अल्फ़ाज़ रूह को छू जाते हैं,
जैसे एक आवाज़ हैं उनके संगीत में।
उनकी शायरी में छुपा है अमर रंग,
जो दिलों को छू जाता है उनके अंदाज़ में।

वो कलम के जादू में खुद को खो देते हैं,
अपनी रूह को उनकी शायरी में ढला देते हैं।
जब शब्दों की आड़ में उनकी ज़ुबान खुलती है,
हर दिल को खुदा का एक नया दिन दिखलाती है।

जिनकी शायरी से होती है सिसकियां,
वो शायर नहीं किसी आशिक़ के दीवाने होते हैं।
उनके अल्फ़ाज़ दिलों को छू जाते हैं,
और उनकी शायरी में बस खुदा की आस्था होती है।

जिनकी शायरियो में होती है सिसकिया
सिसकिया

जिनकी शायरियों में होती है सिसकिया,
वो शायर नहीं किसी ….. के दीवाने होते है..

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अधूरा ही रहने दे

मुकम्मल ना सही तो अधूरा ही रहने दे
ऐ सितमगर, ये इश्क है कोई मकसद तो नहीं।

दिल की गहराईयों में छुपी उम्मीदें हैं,
जो जगा रहीं हैं, मगर अभी तक नहीं मिली।

आग जब भी जलती है, दिल में एक ख्वाहिश है,
जो बुझा रहीं हैं, मगर अभी तक नहीं मिली।

खुशियों की दौलत में कुछ कमी सी है,
जो पूरी नहीं हुई, वो ख्वाब तो नहीं मिली।

शायद ये इश्क ने छीन ली है सारी रातें,
पर वो सुबह अभी तक नहीं मिली।

ज़िंदगी की राह में इश्क का सफर जारी है,
कुछ ऐसी ही अधूरी कहानी रहने दे।

ऐ सितमगर, तू ही तो है जो रुका है मेरे दिल को,
मुकम्मल ना सही, पर अधूरा ही रहने दे

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