बड़ी कुटिल
बड़ी छली
सी सोच लगती है,
जब मै राजनीति की बाते करने लगता हूं
जिंदगी ही जिंदगी पर एक बोझ लगती है
अभी शुरुआत है या अंत पता नहीं चलता
एक धर्म , एक जाती , एक देश , एक वर्ण
किसी दूसरे का अधिकार बस छलते हुए ही है दिखता
अपनी सत्ता , अपना लालच ,दम, अहंकार और साहस पर क्यों ए इंसान तू चलता है ?
कौन हिन्दू है ? और कौन मुस्लिम है ?
इसका फैसला क्यों ?
ये तुच्छ सा इंसान करता है
धर्म परिवर्तन तो कभी धर्म के नाम पर ही लड़ता है
तकलीफ किसको किससे है ?
भाषा से है या वर्ण से है
ये कोई क्यों नहीं समझता है ?
एक देश है उसके टुकड़े तुम करना चाहो
क्या ऐसा दुस्साहस भी कोई करता है? बड़ी कुटिल बड़ी चली सी सोच लगती है
Posts tagged anmol kavita
सौदा फिर कोई कर
सौदा फिर कोई कर रहा है
मेरे ख्यालों का
तुम याद रखना इस बात को सौदा फिर कोई कर रहा है
फिर मेरे ख्यालों का
जुबान ,दिल ,दिमाग , सब अस्त व्यस्त हो रहे है
क्युकी
अब सवाल उठ रहा है जहन में उनसे दूर हो जाने का , उनसे रूठ जाने का ,
उनको भूल जाने का ,
उनको सच्चा ओर खुद झूठा बनाने का ,
उनका चित्र सजाने का खुद को चरित्रहीन बताने का , उनको मासूम बताने का और खुद शैतान बनाने का सौदा फिर कोई रहा है इस दिल का
वो सहम गए
वो सहम गए , वो सहम रहे है
जो वहा रह रहे है ,
जो अब भी है वहां ,ना चैन से सो रहे
और ना चैन से जाग रहे है
वो डर गए , वो सहम गए , वो कांप गए
जिनके घर वाले मारे गए
कौन कसूरवार था ? कौन बेकसूर था ?
क्यों वो इतनी हैवानियत से मारे गए
क्युकी उस भीड़ का कोई नाम नहीं
भीड़ का कोई नाम नहीं था।
उनका कोई धर्म – मजहब नहीं
रात को पहरा अब भी घर के बाहर
लगाकर लोग बैठे है सप्ताह हो गया
दिन भर बैठ कर दिन कट रहा है,
रात की नींद दहसत में उड़ गई है
लगता है घर के बाहर आग लगा गया कोई
क्या मेरा फिर से घर जला गया कोई ?
देहसत तुमने फैला दी
मेरे दिल में नफ़रत की आग लगा दी
तुम्हे अपना भाई कैसे कहूं ?
जो तुमने इतनी हैवानियत दिखा दी
मै डरता हूं , मै डरती हूं अब तुम्हारे पास आने से
मै घबरा गया हूं , मै घबरा गई हूं
तुम्हे अपना भाई बनाने से।
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प्रेम क्या है
प्रेम क्या है ? यह कैसे बयान कर पाउ , हर छोर हर ओर बस प्रेम ही प्रेम मैं पाउ
इस प्रेम को मेरे सारे शब्द और मेरी उम्र बीत जाए
चन्द लफ्जो में बयान क्या करू ?
लेकिन प्रेम का अर्थ पूरा मेरे शब्द भी ना कर पाए
फिर भी एक नाकाम कोशिश सी है कुछ बताने की,
एक नया रिश्ता बनाने की ये संबंध वो है
जिसमे हर एक रिश्ता नाता समा जाता है
मत भेद दिलो मेंं जो है वो दूर हो जाता है ,
असीम आसमान भी धरती की औढनी नजर आता है
जब कभी सतरंगी होता है आसमान
तब यही आसमान एक छोर से बाहे फैलाये दूसरे छोर को जाता है
तब देखो क्या मधुर संबंध धरती और आसमान का बन जाता है यह प्रेम है जो धरती और आसमान को एक करता हुआ नजर आता है
यह प्रेम है जो पूरे ब्रह्मांड को एक शब्द में बांधे नजर आता है
यह प्रेम वो है जो ना शब्दो से बयान हो पाता है
ना मौन से यह प्रेम तो शब्द और मौन दोनो के पार ले जाता है।
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बेमतलब की बाते
जिंदगी
जिंदगी तेरे बिना कुछ ऐसी है
और कुछ वैसी है
जिंदगी और जब तू साथ है
जिंदगी और जब तू साथ है
तो लगता है कि कुछ है जिंदगी
हाल क्या बताऊँ ?
कुछ हाल ऐसा है कुछ हाल वैसा है
बस मसक्कत से भरी है जिंदगी
जब तू दूर जाती है तो रूठ जाती है
जिंदगी तू पास आती है
तो मुस्कुराती और खिलखिलाती भी खूब है
ये जिंदगी
गम ए छुपाये नहीं ये छुपता लगता है
बेमुरम्मद सी है जिंदगी
आंसुओ से आँखे भर भर जाती है
जब तू इन आँखों से दूर चली जाती है
चिरागे रोशन तू कर जाती है
जब तू फिर से पास आती है
ना जाने क्यों तेरे बिना ?
बेतहासा बेहाल सी है जिंदगी लगता है, कुछ फटेहाल सी है जिंदगी
लेकिन जब तू पास होती है
तो कमाल सी है जिंदगी
ना जाने क्या क्या करती धमाल सी है ये जिंदगी
इसलिए तू दूर जाना मत मुझे छोड़ कर
वरना लगेगी दुर्भर सी ये जिंदगी
अगर तू पास है तो हर हाल में मस्त है ये जिंदगी
तू साथ है इसलिए जबरदस्त भी है ये जिंदगी
तेरे बिना कुछ ऐसी है कुछ वैसी है जिंदगी
जब मैं तेरे बारे
जब मैं तेरे बारे सोचता हूँ
आंखे भीग जाती है मेरी
दिन का चैन खो जाता है
और
रातो की नींद उड़ जाती है
सारे सपने भूल जाता हूं
ना सोता हूं ना जागता हु
पागलो की तरह बड़बड़ाता हुआ
लोगो को नजर आता हूं
जब मैं तेरे बारे में सोचता हूं
ना काम कर पाता हूं
ना खाली बैठ पाता हूं
तेरी याद में ना जाने कहाँ खो जाता हूं
तुझको भूल ही नही पाता हूं
फिर ये बात भी गलत लगती है
कि मैं तेरे बारे सोचता हूं
तू तो मेरे खयालो से नही जाती है
हर पल हर दम तू मेरी
सांसो की धड़कनों में धड़कती
हुई सुनी जाती है
फिर कैसे कह रहा था मैं
की जब भी तू मेरी यादों में आती है
अब तो यह बात मेरी सांसो ने भी झुठलादी है
की जब तू मेरी यादों में आती है, आंखे भीग जाती है मेरी जब भी तेरी याद आती है।
यह भी पढे: आंखे, आंखे भीग जाती है, तेरी आंखे, आंखे मन का दर्पण, जिंदगी तेरे बिना,
जिंदगी एक कविता
जिंदगी एक कविता की भांति ही है, जिसमे आपको जिंदगी के हर उतार चदाव के बारे में मिलता है, जिस तरह से जिंदगी आपको प्रोत्साहित करती है उसी तरह कविता भी, कविता में ही जिंदगी की सच्चाई छुपी मिलती है जो शब्दों के माध्यम से आपको बताती है, रूबरू कराती है।
मुस्कराहट का ही तो एक नाम है जिंदगी
जरा इसे मुस्कुराने ही दो,
ना गम के साये में खोने जाने दो यह है जिंदगी
जिसे मिली उसे कदर नहीं है
जिसे न मिली उससे पूछो जरा क्या है जिंदगी ?
न तड़पाओ न रोने दो बड़ी प्यारी है जिंदगी
इसे खिलने दो जरा यह खिलना चाहती है
क्योंकि खिलखिलाती सी है यह जिंदगी
गुदगुदाती सी है जिंदगी
बहुत हसाती है यह जिंदगी
रुलाती भी बहुत है जिंदगी
मिलकर जीने का नाम है जिंदगी
बिछड़ने का नाम है जिंदगी
फिर मिल जाने का नाम भी है जिंदगी
प्यारी सी मुस्कान है यह जिंदगी
खुद में जीने का नाम है जिंदगी
रूठे हुए को मनाना है जिंदगी
किसी अपने से रूठ जाना भी है जिंदगी
इंतज़ार भी है जिंदगी
अधूरी प्यास है जिंदगी
सहलाती हुई माथे पर हाथ रखती माँ है यह जिंदगी
माँ का आँचल है जिंदगी
पिता की डांट का नाम है जिंदगी
खुदसे प्यार करने का नाम है जिंदगी
मैं से मैं मिल जाना है जिंदगी
तुम और मैं को खत्म कर देना है जिंदगी
जिंदगी एक कविता की भांति ही है बस इस जिंदगी को उसी तरह से जिओ
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औरत ना होती
औरत ना होती तो जिंदगी अधूरी होती
क्या जिंदगी पूरी होती अगर तुम ना होती ?
जिंदगी के हर हिस्से में तुम हो
कहानी और किससे में तुम हो
हर जीत में तुम हो
हर हार में भी तुम हो
सुबह भी तुम शाम भी तुम हो
ख़ुशी भी तुम हो गम भी तुम हो
धुप भी तुम छाव भी तुम हो
मिठास भी तुम हो खटास भी तुम हो
कभी कभी बेस्वाद भी तुम हो
जीवन के हर स्वाद में तुम हो
माँ बहन पत्नी और बेटी भी तुम ही हो
जीवन के हर रूप और स्वरुप में तुम हो
मुझे बनाने वाली भी तुम हो
मुझे बिगाड़ने वाली भी तुम हो
मुझे ऊँचाई पर पहुचाने वाली भी तुम
और उस ऊँचाई से नीचे गिराने वाली भी तुम हो
तुम से ही पैदा होती मेरी हर इच्छा है
तुम नहीं हो तो शायद जीवन ना ही हो
यह इच्छा है।
औरत ना होती तो जिंदगी कैसी होती।
यह भी पढे: यह जिंदगी कैसी, यह खाली हाथ, बड़े अधूरे अधूरे
जिंदगी तेरे बिना
जिंदगी तेरे बिना कुछ ऐसी है और कुछ वैसी है जिंदगी
और जब तू साथ है तो लगता है कि कुछ है जिंदगी
हाल क्या बताऊँ ?
कुछ हाल ऐसा है कुछ हाल वैसा है
बस मसक्कत से भरी है जिंदगी
जब
तू दूर जाती है तो रूठ जाती है जिंदगी
तू पास आती है
तो मुस्कुराती और खिलखिलाती भी खूब है ये जिंदगी
गम ए छुपाये नहीं ये छुपता
लगता है बेमुरम्मद सी है जिंदगी
आंसुओ से आँखे भर भर जाती है
जब तू इन आँखों से दूर चली जाती है
चिरागे रोशन तू कर जाती है
जब तू फिर से पास आती है
ना जाने
क्यों जिंदगी तेरे बिना
बेतहासा बेहाल सी है जिंदगी
लगता है कुछ फटेहाल सी है जिंदगी
लेकिन
जब तू पास होती है तो कमाल सी है जिंदगी
ना जाने क्या क्या करती धमाल सी है ये जिंदगी
इसलिए
तू दूर जाना मत मुझे छोड़ कर
वरना लगेगी दुर्भर सी ये जिंदगी
अगर
तू पास है तो हर हाल में मस्त है ये जिंदगी
तू साथ है इसलिए जबरदस्त भी है ये जिंदगी
कुछ हाल ऐसा है कुछ हाल वैसा है
जिंदगी तेरे बिना कुछ ऐसी है कुछ वैसी है जिंदगी
जिंदगी जिंदगी जिंदगी
यह भी पढे: उलझने, जिंदगी से कुछ बात, जीवन यदि प्रश्नपत्र, जिंदगी भर का साथ,