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सवाल उठ रहे है

हमारे मन मस्तिष्क में जो सवाल उठ रहे है, क्या आपको उन सवालों के जवाब मिल रहे है, या आप उन सवालों के लिए इधर उधर भटक रहे है, क्या आपके भीतर उन सवालों के प्रति उतनी भूख नहीं है अपने ही सवालों के जवाब के लिए, आपके भीतर कौनसे ऐसे सवाल उठ रहे है।

मन भीतर चल रहे है बहुत सारे सवाल जिनका जवाब मिलन बहुत मुश्किल हो जाता है, कुछ सवालों के जवाब मिल जाते है तो कुछ के अधूरे रह जाते है, बस उनही अधूरे जवाबों को ढूँढने में ना जाने कितने दिन बीत जाते है।

जिनका जवाब आपको नहीं मिल रहा है, ओर उन सवालों का जवाब नहीं मिला तो क्या आपने उन प्रश्नों के उत्तर को खोजना छोड़ दिया है।

इन सवालों के उठने का सिलसिला यू ही चलता रहे, ओर हर सवाल का जवाब आपको मिलता रहे, सवालों का उठना ओर बैठ जाना कुछ खुद से बात करना ओर कभी खुद से दूर हो जाना।

बहुत सारे सवालों के जवाब जो हमे नहीं पता लेकिन बस तुम दौड़ जाओ उस तरफ जहां तुम्हें तुम्हारे सवालों के जवाब मिल सके, तुम्हें फिर रुकना नहीं है जब तक तुम उन सभी सवालों के हल ना खोज लो, तुम्हें तुम्हारे सभी सवालों के जवाब मिलेंगे बस तुम्हें उस ओर दौड़ना है, तुम्हें खुद से बार बार वही सवाल पूछने है जिनका जवाब तुम्हें नहीं पता, तुम्हें जवाब मिलेगा, तुम्हारे आसपास की घटनाए वो जवाब देगी, ये ब्रह्मांड तुम्हें तुम्हारे सवालों का जवाब देने के लिए ही यहाँ है, पूछो अपने सवाल इस आकाश से अपनी आवाज को बुलंद करो इतनी की आकाश में वो गूंज उठे। ओर तुम्हें तुम्हारे सवालों के जवाब मिल सके।

तुम्हारी आवाज पूरे आकाश में गूंज उठनी चाहिए।

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उपलब्धियाँ

उपलब्धियाँ नहीं इतनी आवश्यक ।
अच्छे सम्बंध ही जीवन में सहायक ॥
जीवन के अंतिम पड़ाव का ये ज्ञान ।
जियें ओर जाने इस नियम का विज्ञान ॥

उपलब्धियाँ नहीं इतनी आवश्यक,
अच्छे सम्बंध ही जीवन में सहायक॥

जीवन के अंतिम पड़ाव का ये ज्ञान।
समय की चाहत में जब बदल जाए आधार,
थके अरमानों के ये आश्रय के मायने,
मिटें भरोसे के ये भीखारी दिल के।

जीवन की पथचारिनी में चलते चलते,
खो गए बहुत से सपने और कायरतें,
अस्थिरता की लहरों में भटकते भटकते,
ख्वाहिशों के रंगों से रंगते रंगते।

पर जब आया वह दिन जब शोध लिया हाथ,
शुद्धता की लालसा के गहरे सागर में,
बिखरे एहसासों को जोड़कर वहां,
पाया असली सुख का वह अद्वितीय रंग।

उपलब्धियाँ की तो सबने खोजी थी राह,
पर सम्बंधों का बलिदान था वह सच्चा कारण।
जीवन के अंतिम पड़ाव की यही ज्ञान,
बनाता है संगीत सुखी इस मन का वास्तविक आधार॥

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आशा ओर निराशा

जीवन कभी आशा ओर निराशा के तत्वों से निर्मित…..
आश ओर निराश दोनो ही अस्थाई उनका बल सीमित….

इससे उपजी शिक्षा से स्वयं के जीवन को सजना संवारना ….
मेरे दर्द से बड़े बड़े दूसरों के दर्द इस सत्य को सदा पहचाना ।

जीवन कभी आशा ओर निराश के तत्वों से निर्मित,
आशा ओर निराशा, दोनों ही अस्थाई, उनका बल सीमित।

जब आशा की किरणें बांधती हैं सपनों की डोर,
प्रेरणा के पंखों पर उड़ जाता है मन मोर।

सपनों की भूमि पर खिलती है खुशियों की बारिश,
आनंद के संगीत सुनती है मन में मधुर वादियां।

लेकिन जब निराशा की घटाएं छाती पर सँवार,
धैर्य के पंखों से उड़ जाता है अचल संघर्ष।

परिश्रम की धूप में तपते हैं सपनों के बीज,
उग्र विपत्तियों के मैदान में जीवन भर संघर्ष करते हैं।

आशा और निराशा, जीवन के दो पहलू हैं,
ये चक्रव्यूह बनाते हैं अनुभवों का मेल-जोल।

हर नये सवेरे को लेकर आती है आशा की बूंद,
जो जीने की आग होती है दिलों में नई उमंग।

पर जब तन को घायल करे विचारों की हिमाकारी,
निराशा की धूंस छाती को बांध लेती है बंधकारी।

हार नहीं माननी चाहिए जब आशा की खिलती है खेती,
दृढ़ संकल्प और प्रगति के संग बढ़ती है आगे हर रेती।

निराशा के बादलों को तोड़कर आकाश को छू लो,
नये सपनों की उड़ान भरो आशा की परिंदों के साथ।

आशा ओर निराशा, जीवन के दो पहलू हैं,
इनका संगम बनाता है हमें बेहतर इंसान।

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कोई भी कमजोर नहीं

कोई भी कमजोर नहीं होता आज Nedarland ने साउथ अफ्रीका को परेशान कर दिया पूरा मैच देखने लायक ओर बहुत कुछ सीखने लायक रहा जिस तरह से उन्होंने अपनी पारी खेली वो लड़खड़ाए जरूर लेकिन उनके कप्तान ने हार नहीं मानी पूरी बारी में बहुत जोश ओर होश दिखा, जब वो बल्लेबाजी कर रहे थे, हर एक गेंद जैसे ही बल्ले से लगती वो दौड़ कर रन ले लेते थे।

जिससे उनके रन अधिक बने हर बाल पर स्ट्राइक लेना ओर देना इससे आपका आत्मबल बढ़ता है, ओर टीम का स्कोर भी इसिके साथ आपके दिमाग से प्रेशर भी हट जाता है, सामने वाली टीम दवाब में आती नजर आ जाती है जैसे जैसे आपका स्कोर बोर्ड चलता है यही किया Nedarland के कप्तान ने ओर कर दिखाया आज एक कारनामा , उन्होंने इतिहास रच दिया।

कोई भी कमजोर नहीं होता जैसा की हमने रविवार वाले मैच में देखा जो अफगानिस्तान ओर इंग्लैंड के मैच बड़ी उलट फेर हुई अफगानिस्तान ने इंग्लैंड को हरा दिया जो 2019 की विश्व विजेता टीम थी उसको हराना एक बहुत बड़ी सफलता अफगानिस्तान के लिए जिसकी वजह से इस वर्ल्ड कप में पॉइंट्स टेबल में उलट फेर हो गई है।

कप्तान एडवर्ड्स ने 78 रन बनाए जो बहुत ही शानदार रहे इस मैच में

साउथ अफ्रीका पर Nedarland ने दबाव बनाया जिसकी वजह साउथ अफ्रीका की पारी लड़खड़ाती हुई दिखाई दी पहले दो मैच में साउथ अफ्रीका सबसे बेहतरीन टीम लग रही थी इस विश्व कप की लेकिन Nederland के सामने बिल्कुल झुकी हुई टीम दिखाई दी,

मुश्किल बढ़ा दी थी साउथ अफ्रीका की वो बिल्कुल रन नहीं बना पाए, ओर जल्दी ही वापस अपने खेमे में जाते हुए नजर आए साउथ अफ्रीकी बल्लेबाज की सारी टीम आउट हो गई। आज जो चैम्पीयन की तरह खेल रही थी साउथ अफ्रीका की टीम वो धराशाई होती नजर आई, यह टीम नीदरलेन्ड से हारी हुई नजर आई।

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साधना

साधना किसे कहते है ? पत्थर पर यदि बहुत पानी एकदम से डाल दिया जाए तो पत्थर केवल भीगेगा।

फिर पानी बह जाएगा और पत्थर सूख जाएगा।

किन्तु वह पानी यदि बूंद-बूंद पत्थर पर एक ही जगह पर गिरता रहेगा, तो पत्थर में छेद होगा और कुछ दिनों बाद पत्थर टूट भी जाएगा।

इसी प्रकार निश्चित स्थान पर नाम स्मरण की साधना की जाएगी तो उसका परिणाम अधिक होता है ।
चक्की में दो पाटे होते हैं।

उनमें यदि एक स्थिर रहकर, दूसरा घूमता रहे तोअनाज पिस जाता है और आटा बाहर आ जाता है।

यदि दोनों पाटे एक साथ घूमते रहेंगे तो अनाज नहीं पिसेगा और परिश्रम व्यर्थ होगा।

इसी प्रकार मनुष्य में भी दो पाटे हैं –

एक मन और दूसरा शरीर।

उसमें मन स्थिर पाटा है और शरीर घूमने वाला पाटा है।

अपने मन को भगवान के प्रति स्थिर किया जाए और शरीर से गृहस्थी के कार्य किए जाएं।

परालब्ध रूपी खूँटा शरीर रूपी पाटे में बैठकर उसे घूमाता है और घूमाता रहेगा,

लेकिन मन रूपी पाटे को सिर्फ भगवान के प्रति स्थिर रखना है।

देह को तो परालब्ध पर छोड़ दिया जाए औरमन को नाम-सुमिरन में विलीन कर दिया जाए –

यही नाम साधना है।

साधना किसे कहते हैं, जाने ऐसा कोई नहीं,
वह अनुभव की गहराइयों में छिपी रही रहस्यमयी हैं।
यह एक अभ्यास है, यह एक अवस्था है,
जिसका साधक निरंतर खोजता है सत्य की दिशा हैं।

जैसे पत्थर में पानी का बहाव नहीं था,
वैसे ही इंसान में अनन्त शक्ति रहती है।
साधना से मनुष्य उठता है अपार,
उसका चेतना का आभास होता हैं विचार।

साधना का मार्ग हैं अतीत की खोज,
वहां छिपी गहराइयों में छिपी हैं ज्ञान की बूँद।
ध्यान, तप, प्राणायाम और जप,
ये साधना के अंग हैं, जिनसे मिलती हैं प्रकाश की आप।

प्रेम की उन्मुखी धारा साधक को ले जाती हैं,
आत्मा के अंतर्गत वह अद्वैत अनुभव करती हैं।
वहाँ नहीं रहता द्वंद्व का भ्रम,
बस एकता, प्रेम और शांति की होती हैं धाम।

साधना न केवल शरीर की,
बल्कि मन, बुद्धि और आत्मा की स्वास्थ्य हैं।
यह एक प्रक्रिया हैं, यह एक संगठन हैं,
जो अंतर्मन को देती हैं दिव्यता की ज्ञान हैं।

पत्थर पर पानी एकदम से डाल दिया जाए,
तो पत्थर भीगेगा, इसमें कोई संशय नहीं।
लेकिन साधना से मनुष्य की अनतिम भावना,
पूर्णता की ओर बढ़ेगी, यही हैं निश्चय की राह।

कल की तैयारी

कल की तैयारी हे आज करे अच्छा ।
सोच बड़ी हो तो पूरी होगी हर इच्छा ॥
अच्छा करना जेसे वो बचत खाता ।
बचत खाता ज़रूरत में काम वो आता ॥

अच्छा करना जैसे वो बचत खाता,
संयम और प्रयास से बढ़ जाता।

जीवन की पथशाला में निश्चित सफलता,
कठिनाइयों को पार करेगी विजयता॥

अपार संभावनाएं बस इंतजार करें,
हिम्मत और मेहनत से समर्पित रहें।

कठिनाईयों को तोड़कर आगे बढ़ें,
सपनों की ऊंचाइयों को हाथों में पकड़ें।

जीवन का सफर है, यह जान लें,
हर क्षण को खुशी से जीने की आदत बनाएं।

अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ते चलें,
खुद को निरंतर सँवारते चलें।

कल की तैयारी है, आज करें अच्छा,
सोच बड़ी हो तो पूरी होगी हर इच्छा॥

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अहंकार से मुक्ति

भरीं केतली जब जब झुकती तभी वो हो पाती वो ख़ाली ।
इसी तरह अहंकार से मुक्ति के लिए झुकते वही भाग्यशाली ॥
सदा नीवा रहने से नहीं जन्मती शरीर मन में अकड़ ।
वरना दुःख दर्द तकलीफ़ें लेती पाश में लेती वो जकड़॥

भरीं केतली जब जब झुकती तभी वो हो पाती वो ख़ाली।
इसी तरह अहंकार से मुक्ति के लिए झुकते वही भाग्यशाली॥

सदा नीवा रहने से नहीं जन्मती शरीर मन में अकड़।
अहंकार को त्याग कर, पाएं सुख और आत्मिक संत्रष्टि की अपार विश्राम॥

जीवन के समुद्र में हम खोए रहते हैं, अहंकार के प्रवाह में बहते हैं,
परन्तु जब हम झुकते हैं, तभी प्रकृति की गोद में आते हैं।

गर्व से बहुत दूर हो, नम्रता की ओर बढ़ो,
स्वान्तःसुख को पाएं, खुशियों के आगार में बसो।

अहंकार का विनाश कर, मुक्ति का मार्ग खोजो।
नीवा रहो नम्र, जीवन के रहस्य को पहचानो॥

झुकाव और नम्रता में ही संपन्न होती है उच्चता,
विनम्रता से ही मिलती हैं मन की शांति और सुख की बरसाती।

अहंकार को त्याग कर, भाग्यशाली बनो तुम,
नम्रता की ओर चलो, आत्मिक संतुष्टि को पाओ आप।

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बहुत सारा ख्याल

बहुत सारा ख्याल है तुम्हारा,
तुम हो एक मेरा सहारा।
तुम ही हो मेरी जिंदगी बंदगी,
प्यार और संगीत की छंदगी॥

तेरे बिना ये दिन ठंडा है,
तेरे साथ ये जीवन गर्म है।
तू है मेरी आस्था, मेरी प्रेरणा,
तेरे बिना कुछ भी नहीं मेरा अरमाना॥

तेरी मुस्कान मेरे दिल की रौशनी,
तेरी बातें मेरे जीवन की कहानी।
तू है मेरी ख्वाहिश, मेरी आशा,
तेरे संग जीने में है बहुत ज्ञानी॥

जब भी हार मेरे द्वार खटखटाए,
तू ही है जो मेरी राह रोशन कराए।
तू है मेरी सपनों की उड़ान,
तेरे बिना मेरी दुनिया है बेज़ान॥

तेरे संग हर रंग नया लगता है,
तेरे साथ हर पल खुदा बनता है।
तू है मेरी रौशनी, मेरी चांदनी,
तेरे बिना मेरी जगमगाहट है अधूरी॥

बहुत सारा ख्याल है तुम्हारा,
तुम हो एक मेरा सहारा।
तुम ही हो मेरी जिंदगी बंदगी,
प्यार और संगीत की छंदगी॥

किताबे

किताबे जिससे कि हमें ज्ञान प्राप्त होता है। आखिरकार सभी प्रकार की जानकारी व ज्ञान का मूलभूत स्रोत यह किताबें ही है। किताबों में ही सभी प्रकार की जानकारी को एकत्र करके रखा जा सकता है। हमारे पूर्वजों ने भी नाना प्रकार के विषयों के ऊपर जानकारी इकट्ठी करके किसी न किसी ग्रंथ या किताब में उसे संजोकर रखा तभी तो हम आज उस ज्ञान को प्राप्त कर पाए हैं।

प्राचीन समय में कागज का आविष्कार होने से पहले हमारे पूर्वज लिखने के लिए भोज पत्रों का इस्तेमाल किया करते थे। इन भुज पत्रों के आगे और पीछे दोनों तरफ लिखावट होती थी और इन्हीं से किताबें बनाई जाती थी। उस समय लिखावट के लिए भी पेड़ों की टहनियों की कलम बनाकर इस्तेमाल की जाती थी। जब फूलों को पीसकर स्याही तैयार की जाती थी। समय के साथ साथ कागज और फिर आधुनिक कागज का आविष्कार होता गया और भोज पत्रों के स्थान आधुनिक कागज पत्रों ने ले ली और कागज के बाद भी आज कंप्यूटर ने उन कागजों का स्थान ले लिया।

सर्वप्रथम कागज का आविष्कार चीन में हुआ था।और कागजी मुद्रा का आविष्कार भी सर्वप्रथम चीन में ही हुआ था। आज से 200 साल पहले राजा रवि वर्मा के द्वारा हमारे देश में प्रिंटिंग प्रेस स्थापित की गई वह कई किताबों की छपाई की गई। प्रिंटिंग प्रेस के आने से पहले राजाओं के दरबार में कई ज्ञानि व्यक्तियों की आवश्यकता होती थी, जो कि किसी एक किताब को अलग-अलग भाषाओं में अनुवाद करते थे। इसके अलावा एक ही किताब को लिखने के लिए काफी समय लग जाता था परंतु आज के समय में आधुनिक प्रिंटिंग प्रेस के आने से एक साथ लाखों किताबे बहुत ही कम कम समय में छापी जा सकती हैं।

आज जो हम अपने इतिहास के बारे में जानते हैं वह सिर्फ इन किताबों की वजह से ही तो जानते हैं। जो कुछ हमारे पूर्वज हमारे लिए किताबों में लिख गए उसी को पढ़कर हम प्राचीन समय के समाज के बारे में जानकारी एकत्र कर पाते हैं।

यह किताबे ही है जो ज्ञान का असीम भंडार हैं। प्रत्येक देश में प्रत्येक भाषा में प्रत्येक विषय पर लिखी गई किताबों से ही हम उस विषय के बारे में उस भाषा के बारे में उस देश के बारे में जानकारी एकत्र कर पाते हैं और किताब किसी न किसी भाषा में होती है परंतु जिस समय में भाषाओं का अविष्कार नहीं हुआ था चित्रों द्वारा अपनी भावनाओं को व्यक्त करते थे वह जानकारी एकत्र करते थे , फिर धीरे-धीरे भाषाओं का विकास होने लगा, कुछ प्राचीन भाषाओं में पाली प्राकृत वह संस्कृत भाषाएं भी आती है। कई बौद्ध व जैन धर्म ग्रंथ जो कि आज से 5000 वर्ष पूर्व लिखे गए उनमें पाली भाषा व प्राकृत भाषा मिलती है। इससे हमें ज्ञात होता है कि उस समय पाली में प्राकृत भाषाओं का काफी प्रचलन था। सनातन धर्म की प्राचीन पुस्तकें जैसे के महाभारत, श्रीमद् भागवत गीता वह वेद व पुराण आदि संस्कृत भाषाओं में लिखे गए हैं। इससे हमें ज्ञात होता है कि उस समय के कालखंड में संस्कृत भाषा का काफी प्रचार था।

चाहे हम गूगल इंटरनेट व कंप्यूटर पर कितना ही समय क्यों ना बिता लें परंतु ज्ञान का असीम सोर्स दो किताबें ही है हमें किताबों के साथ भी कुछ समय बिताना चाहिए। इससे हमारा ज्ञान वर्धन भी होगा।

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अच्छा कार्य करते रहे

शक्कर अंधेरे में खाये या उजाले में मुँह को करेगी मीठा…..
अच्छा कार्य करते रहे कोई देखे या न देखे
बाक़ी सब झूठा ।

कई बार दूर से सामने नहीं दिखता रास्ता…..
सड़क बता रही हे कारण लेकिन दृष्टिकोण होता सस्ता ।
दृष्टिकोण में सुधार करे , करे उसमे विकास ….
तभी बड़ी बड़ी सूचनाएँ समझ पायेंगे करेंगे जब निरंतर प्रयास।

शक्कर अंधेरे में खाये या उजाले में मुँह को करेगी मीठा,
अच्छा कार्य करते रहे कोई देखे या न देखे।

मधुरता उजागर करेगी सदा,
जीवन को रंगीन करके ही छोड़ा।

क्या है जगत की धूप और छाँव,
जो करता है न्याय, सत्य का पालन।

हर कार्य जचाएगा जब भी,
सच्चाई की रोशनी में जब भी।

कितने भी झूठ बस वही रहेगा,
जो सत्य की परिभाषा बनेगा।

जगत के रंग में न रंगे दिल,
अच्छाई की राह पर चले दिल।

कविता यह गीत है सत्य का,
जो आपको कहती है सच्चाई का।

शक्कर अंधेरे में खाये या उजाले में मुँह को करेगी मीठा,
जीवन को सार्थक बनाएगी यह लीला।

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