जीवन को जानने के लिए हम उत्सुक है ओर हमें अपनी उत्सुकता को बढ़ाना चाहिए।
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एकला चलो
एकला चलो रे , कभी ये मन में मत सोचिए आप अकेले है……
सोचो की आप अकेले ही काफी, सही राह पे हे….
सोच की जब दिशा सही तो फिर नही मन में लाए संशय…
और व्यक्ति भी जरुर जुड़ेंगे मन में जब होगा पक्का निश्चय ।
जब दुनिया बिखरी हुई, और रास्ते अँधेरे हों,
आप अकेले ही सहारा हैं, जो सच्चाई पे चले हों।
जब लोग विचारों में फंसे हों, और उम्मीदें टूट जाएं,
आप अकेले ही आग हैं, जो ज्ञान की रोशनी लाएं।
जब वक्त के साथ बदलें, और जगमगाती दुनिया हों,
आप अकेले ही ध्यान हैं, जो शांति का संगीत गाएं।
जब भारी हो जिम्मेदारियाँ, और थका मन हो जाए,
आप अकेले ही साथ हैं, जो संघर्षों को गले लगाएं।
जब दुनिया का शोर हो चरम, और चुप्पी से भरी हो रात,
आप अकेले ही आवाज हैं, जो सत्य की आवाज बन जाएं।
एकला चलो रे , कभी ये मन में मत सोचिए आप अकेले हे…
सोचो की आप अकेले ही काफी, सही राह पे हे।
हर अंत नई शुरुआत
हर अंत नई शुरुआत हे
अंत जैसा कुछ नहीं सब समझे तो अंत निरंतर का हिस्सा हे एक नई शुरुआत हे ।
हर अंत नयी शुरुआत हे…..
यह समझने की बात हे ।
हर अंत नयी शुरुआत हे….
सच्चाई से मुलाक़ात हे ।
हर अंत नयी शुरुआत हे….
ये जीवन का उत्पाद हे ।
यही जीवन का संवाद है ।
यह सच बात हे यह सच बात हे।
हर अंत नई शुरुआत है,
जब एक द्वारा समझा जाता है यह बात है।
अंत की भावना सब नहीं समझ पाते,
पर वो है जो हम सबका हिस्सा बनाते।
जीवन का चक्र अटल है निरंतर,
हर अंत से होती है नई शुरुआत यहाँ।
लहरों की तरह चलती रहती है यह धारा,
सबके जीवन में इसकी होती है प्यारा।
हर अंत एक मंच है दूसरी शुरुआत की,
नये सपनों की ऊँचाई फिर से पाने की।
चाहे हो जीवन की राहों में कोई अटकाव,
विजय की ओर बढ़ते हैं हम अपने कदम।
अंत का आगाज हमेशा नया होता है,
नई उम्मीदों की धूप सदैव छा जाती है।
हर अंत एक संदेश है नई जीवन का,
जैसे कि सूरज का संध्या में उदय होना।
तो चलो, आओ अंत को स्वीकार करें,
नयी शुरुआत की आग में उड़ जाएं।
हर अंत नई पहचान है हमारी,
जगा दो ख्वाबों को, बन जाओ तैयारी।
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जिम्मेदारियां
ये जिम्मेदारियां ही हे जो आपको बनाती मजबूत ओर परिपक्व……
परिपक्वता का आयु से कुछ लेना नही ये आती जब जगता अनुभव….
जिम्मेदारियां और अनुभव आपस में हे तालमेल हे जिगरी मित्र…..
जिम्मेदारियां बुरी नही उनके प्रति सोच संवारती आपका चरित्र।
ये जिम्मेदारियां ही हैं जो आपको बनातीं मजबूत और परिपक्व,
परिपक्वता का आयु से कुछ लेना नहीं, ये आती जब जगाता अनुभव।
समय के साथ बदलती हैं ये जिम्मेदारियां,
जब मानसिकता होती हैं प्रगाढ़ और प्रगतिशील।
धीरे-धीरे सीखते हैं हम जीने का कला,
जब जीवन की लहरें आतीं हैं और जातीं हैं अनुभवों की तरंगें।
परिकल्पना की पंखों पर उड़ते हैं हम,
जब सपनों की दुनिया को हम अपनाते हैं।
संघर्षों के मोर्चों पर खड़े होते हैं हम,
जब ज़िन्दगी की मुश्किलें हमें चुनाती हैं।
परिपक्वता की गाथा सुनाते हैं हम,
जब नये अनुभवों के साथ बढ़ते हैं हम।
समय की ओर चलते हैं हम निरंतर,
जब जिम्मेदारियों का भार हमें संभालते हैं।
परिपक्वता के पथ पर चलते हैं हम,
नई दिशा में अपनी आवाज़ उठाते हैं।
जीवन के रंगों को चढ़ाते हैं हम,
जब जिम्मेदारियों को समझते हैं और निभाते हैं।
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चिंता में रहोगे
चिंता में रहोगे …..
भीतर के ताप से जलोगे ।
और जो खुश रहोगे….
ख़ुद स्वस्थ दूसरो को खुश कर सकोगे ।
ईर्ष्या भय चिंता और शंका…..
दुःख मुसीबतों का बजेगा डंका ।
ख़ुशी खुशी रहना सुखद संक्रमण…..
शुभ और लाभ ख़ुशी का आचरण ।
चिंता में रहोगे, दुःखों में खो जाओगे,
भीतर के ताप से जलोगे, आत्मा को भस्म करोगे।
पर जो खुश रहोगे, संतुष्ट रहोगे,
जीवन की मधुरता को आसानी से छोड़ोगे।
चिंता और चिंतन से मुक्ति पाने का रहस्य हैं,
आत्म-विश्वास और प्रेम में विलीन हो जाना हैं।
भीतर की आग को बुझाने के लिए,
आत्मा को प्रकाश की ओर ले जाना हैं।
चिंता में रहकर आत्मा तप्त हो जाती हैं,
दुःखों में खोकर जीवन अधूरा हो जाता हैं।
पर जो खुश रहें, जीवन को समझें,
आनंद के बीज बोने में लग जाता हैं।
चिंता से दूरी और मन की शांति पाने का रहस्य हैं,
आनंद का स्रोत और खुशियों का आधार हैं।
जब खुश रहोगे, तो अनुभवों को महसूस करोगे,
आत्मा की गहराई और प्रेम की ऊर्जा में लीन होगे।
तो चिंता में न रहोगे, खुश रहोगे हमेशा,
जीवन की गाथा में आनंद से रंग भरोगे।
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प्रकृति का नियम
इस जीवन को दे झोंके अपनी क्षमता का सर्वोत्तम …….
गहरा ज्ञान ये जो देंगे वो होता कई गुणा ये प्रकृति का नियम ।
गुप्त ओर गहरा ज्ञान यह कि देने का नाम ही जीवन……
देने के लिए प्रकृति ने रखा रचा बीजों का चयन …….
बीजों की गहराई में छिपा है आनंद विशाल,
जो फलों और पुष्पों को देते हैं उच्च विकास।
मिट्टी की गोद में आँखे भरी खुशबू पलती है,
सृष्टि की गोद में नई जीवन की लहर बहती है।
वृक्षों की छाया में प्राकृतिक सुंदरता छाई है,
पक्षियों की चहचहाहट में जीवन की गाथा बांई है।
हर पौधे की जड़ में ताकत बसी होती है,
हर वनस्पति की पत्ती में जीवन का रहस्य छिपी होती है।
जीवन की प्रकृति ने बनाए हैं सृजन के अद्भुत रंग,
जो देते हैं हमें खुशियों का नया संग।
हर बीज अपनी विशेषता लेकर उगता है,
हर फूल अपनी मिठास लेकर मुस्काता है।
जीवन की रचना में प्रकृति का साथ हमेशा रहा है,
हर मनुष्य को यह ज्ञान दिया जाता है।
चाहे जीवन की बारिश हो या तूफान,
प्रकृति हर समय हमें देती है सहारा बन।
समय बीतता रहता है, जीवन की यात्रा में,
पर प्रकृति की रचना हमें हमेशा संजोती रहती हैं।
गुप्त और गहरा ज्ञान यह कि देने का नाम ही जीवन।
देने के लिए प्रकृति ने रखा रचा बीजों का चयन, यही प्रकृति का नियम
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खुशियां
खुशियां ना कोई गंतव्य
खुशियां न तो कोई गंतव्य ,अधिकार कमाई, न इसे पहने न ही ये भोजन…..
ये एक आध्यात्मिक अनुभव जीवन के हर क्षण में प्रेम कृपा का आभार में लिप्त मन ।
कृपा ओर आभार से लिप्त मन सब के लिए शुभ ओर हितकारी…..
व्यक्ति विकास से होगा समाज का विकास मनुष्यता के लिए श्रेष्ठ शुभकारी ।
खुशियां का न तो कोई गंतव्य, अधिकार कमाई,
न इसे पहने न ही ये भोजन, ये एक आध्यात्मिक अनुभव।
जीवन के हर क्षण में प्रेम, कृपा का आभार में लिप्त मन।
यह जगत भरी माया का खेल, चाहे धन की महिमा हो या ऐश्वर्य।
पर सब छूट जाता है इस अनुभव के सामरिक आयाम से।
जब मन केवल प्रेम में विलीन हो जाता है,
तब खुशियां और प्रकृति के सुंदर रंग दिखाई देते हैं।
आनंद की अनंतता में जीने का अद्भुत गुण,
यही है आध्यात्मिक अनुभव का महान फल।
इस आध्यात्मिक यात्रा में खो जाएं तुम,
अध्यात्मिक गुरु के पास करो शरण।
वह दिखाएगा राह जो अद्वितीय है,
वहाँ निर्मल चित्त और आनंद के आभास हैं।
प्रेम की अमरता से जीने का रहस्य है,
भावों की ऊर्जा से जगाने का रहस्य है।
अनुभवों के साथ जो साझा करें तुम,
वह सत्य का मार्ग है, आनंद का प्रकाश हैं।
इस आध्यात्मिक अनुभव को जीने का आदिकाल से ही तत्व समझा जाता है,
संसार की मोहमय वृत्तियों से जब मुक्त होता है मन।
प्रेम की अनंत झरना जब बहने लगता है,
तब आत्मा को परमात्मा में विलीन होने का अनुभव होता हैं।
खुशियाँ और आनंद की अनंतता का जो एहसास होता हैं,
वही आध्यात्मिक अनुभव का महत्वपूर्ण लक्षण होता हैं।
मन को शांति और सुख का आनंद प्रतथा आनंद प्रदान करने वाला हैं,
आध्यात्मिक अनुभव के माध्यम से जीवन को सजाने वाला हैं।
इस आध्यात्मिक अनुभव में सच्ची खुशियाँ हैं,
जो भाग्यशाली जीवन का सच्चा आधार हैं।
मन को शुद्ध करके जब प्रेम का आनंद मिलता हैं,
तब जीवन निर्मलता और प्रकाश से भर जाता हैं।
इस खोज में रहकर जीने का सच्चा आनंद हैं,
जो वास्तविकता के साथ जीवन को परिपूर्ण करता हैं।
अध्यात्मिक अनुभव के माध्यम से जब सम्पूर्णता का अनुभव होता हैं,
तब मन और आत्मा में प्रेम की अभिव्यक्ति होती हैं।
इसलिए, खुशियां के पीछे न तो कोई गंतव्य होता हैं,
न अधिकार की कमाई, न इसे पहने न ही ये भोजन।
यह एक आध्यात्मिक अनुभव हैं, जो मन को आनंदित करता हैं,
प्रेम और कृपा का आभार में लिप्त होता हैं।
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कुछ ऐसे काम करो
कुछ ऐसे काम करो जिंदगी में की लोग तुम्हें भूल ना जाए ,काम करो ऐसे जीवन में,
जो लोग न भूलें तुम्हें;
आदर और सम्मान की माला,
तुम्हारी गर्व से सजाएं।
नई राहें चुनो, नये सपने,
करो काम जो रचें इतिहास;
प्रेरणा बनो आप सबके लिए,
तुम्हारी महिमा गुनगुनाएं।
संघर्षों का मुकाबला करो,
हर चुनौती को गले लगाओ;
अपनी मेहनत से चमकों,
तारीफों से गगन में उड़ाओ।
सेवा का पथ चुनो, उच्च स्थान,
करो दिल से जो बातें;
विश्वास रखो, संयम रखो,
जीवन को बना दो महान।
संगठन में जुटो, मिलकर काम,
सहयोग से पहुंचो आगे;
तुम्हारी योग्यता और संयम,
लोगों को हमेशा याद रखें।
कुछ ऐसे काम करो ऐसे मन से प्रेम से,
जो अनुभव करें सबको आदर;
तुम्हारी मेहनत और उपकार,
बनाएंगे तुम्हे यादगार।
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कल की तैयारी
कल की तैयारी हे आज करे अच्छा ।
सोच बड़ी हो तो पूरी होगी हर इच्छा ॥
अच्छा करना जेसे वो बचत खाता ।
बचत खाता ज़रूरत में काम वो आता ॥
अच्छा करना जैसे वो बचत खाता,
संयम और प्रयास से बढ़ जाता।
जीवन की पथशाला में निश्चित सफलता,
कठिनाइयों को पार करेगी विजयता॥
अपार संभावनाएं बस इंतजार करें,
हिम्मत और मेहनत से समर्पित रहें।
कठिनाईयों को तोड़कर आगे बढ़ें,
सपनों की ऊंचाइयों को हाथों में पकड़ें।
जीवन का सफर है, यह जान लें,
हर क्षण को खुशी से जीने की आदत बनाएं।
अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ते चलें,
खुद को निरंतर सँवारते चलें।
कल की तैयारी है, आज करें अच्छा,
सोच बड़ी हो तो पूरी होगी हर इच्छा॥
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अहंकार से मुक्ति
भरीं केतली जब जब झुकती तभी वो हो पाती वो ख़ाली ।
इसी तरह अहंकार से मुक्ति के लिए झुकते वही भाग्यशाली ॥
सदा नीवा रहने से नहीं जन्मती शरीर मन में अकड़ ।
वरना दुःख दर्द तकलीफ़ें लेती पाश में लेती वो जकड़॥
भरीं केतली जब जब झुकती तभी वो हो पाती वो ख़ाली।
इसी तरह अहंकार से मुक्ति के लिए झुकते वही भाग्यशाली॥
सदा नीवा रहने से नहीं जन्मती शरीर मन में अकड़।
अहंकार को त्याग कर, पाएं सुख और आत्मिक संत्रष्टि की अपार विश्राम॥
जीवन के समुद्र में हम खोए रहते हैं, अहंकार के प्रवाह में बहते हैं,
परन्तु जब हम झुकते हैं, तभी प्रकृति की गोद में आते हैं।
गर्व से बहुत दूर हो, नम्रता की ओर बढ़ो,
स्वान्तःसुख को पाएं, खुशियों के आगार में बसो।
अहंकार का विनाश कर, मुक्ति का मार्ग खोजो।
नीवा रहो नम्र, जीवन के रहस्य को पहचानो॥
झुकाव और नम्रता में ही संपन्न होती है उच्चता,
विनम्रता से ही मिलती हैं मन की शांति और सुख की बरसाती।
अहंकार को त्याग कर, भाग्यशाली बनो तुम,
नम्रता की ओर चलो, आत्मिक संतुष्टि को पाओ आप।
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