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नमस्ते का अर्थ

नमस्ते का अर्थ हम आपके प्रति प्रकट करते सम्मान….
नमस्ते हमारी संस्कृति का हिस्सा उसका स्वाभिमान ।
नमस्ते से जब होती दिन कि शुरुआत….
मन होता प्रसन्न चेहरे पे ख़ुशियों की बात ॥

नमस्कार के संस्कार से खुले हृदय का द्वार….
हृदय से खूब खूब करते इसका प्रचार प्रसार ।
अच्छी बांतो की समाज को प्रचार करना ज़रूरी….
मेरा नमस्कार करे स्वीकार नहीं तो बात रहेगी अधूरी ॥

नमस्ते कहने से जगमगाता है आसमान,
यह नभ बदलता है रंग और छान।
हमारी संस्कृति की गहराई छुपी है इसमें,
नमस्ते का शान है उसकी मधुर गीता।

हर बात का होता है एक आरंभ नमस्ते से,
हर मिलन सा लगता है अनुपम नमस्ते से।
जब आँखों में आपसी स्नेह छा जाता है,
दूर होती है सभी दुर्भावनाएं जब नमस्ते बोलता है।

प्रेम, सम्मान और आदर्शों की बात करता है यह,
नव जीवन की शुरुआत करता है यह।
नमस्ते की सुरीली आवाज से बसती है खुशियाँ,
नमस्ते के प्रहार से हर बुराई दूर हो जाती है।

नमस्ते की भावना से जीवन बनता है मधुर,
आपसी सम्बंधों में आत्मीयता बनती है जब आदर।
चाहे जितना भी विभाजित हो जगत,
नमस्ते की एकता में होती है आपसी मिलाप।

नमस्ते कहने से मन को शांति मिलती है, खुशियाँ बरसती है।
इसलिए आओ मिलकर बोलें नमस्ते

स्वयं को समय दे

स्वयं को समय दे …
जीवन क्षण क्षण हो रहा हे व्यय ।
जो जो करना हे उसका करे चिंतन …
उसपर फिर करे कर्मों से मनन ॥

स्वयं पे भी दे ध्यान….
स्वयं आप धुरी ले संज्ञान
आप प्रसन्न जो जग प्रसन्न …
ये अर्जित कमाई आपका धन ॥

स्वयं से करे संवाद…
पहचाने मन के विवाद ।
जीवन को मिले सही अर्थ …
बने हम इतने समर्थ ॥

स्वयं की करे सुरक्षा …
आपके चाहने वालों की यही मंशा ।
आपके चाहने वाले चाहते रहे सुरक्षित….
ये विचार मेरे मित्रों को समर्पित ॥

स्वयं को भी दे समय,
जीवन क्षण-क्षण हो रहा है व्यय।
जो-जो करना है, उसका करे चिंतन,
मन की ऊर्जा को जगाएं जगमगाते किनारे।

आओ, निर्णय का सागर तैरें,
ख्वाबों की उड़ान को पकड़ें,
आपातित्व की धारा में हर क्षण निकालें,
अपने अस्तित्व को नयी राह दिखाएं।

चिंता के बादलों को रोके,
आनंद की बूंदें बहाएं,
खुशियों के गीत गाएं,
भाग्य की रोशनी के साथ चले जाएं।

समय की पालकी में बैठें,
चरणों में जीवन की गाथा लिखें,
प्रतिभा के पंखों से ऊंचाई छू जाएं,
अपने सपनों को साकार करें और मनोरंजन करें।

जीवन क्षण क्षण हो रहा है व्यय,
इसे महत्वपूर्ण बनाएं और समय का सम्मान करें।
स्वयं को भी दे समय,
और खुद को नयी ऊंचाइयों तक ले जाएं।

छोड़ना पकड़ना

छोड़ना पकड़ना एक चीज को छोड़ते है तो दूसरी चीज पकड़ लेते है, लेकिन जिंदगी बोल रही है कब तक छोड़ेगा और पकड़ेगा एक दिन सब छूट ही जाना है कुछ भी तेरे साथ पकड़ा हुआ नही जाना है।

छोड़ते हैं एक चीज़ को, पकड़ते हैं दूसरी को,
जीवन की यह लहरें, बदलती रहती हैं हमारी कोशिशों को।
पर ज़िन्दगी आवाज़ उठाती है और कहती है,
कब तक छोड़ेंगे, कब तक पकड़ेंगे, एक दिन सब छूट ही जाना है।

सच है, कुछ भी तेरे साथ पकड़ा हुआ नहीं है,
यह दुनिया एक पल में बदल जाती है अपनी छवि।
जो आज है, कल वही नहीं रहेगा,
सब छूट जाएगा, यह जान ले तू अपनी सीमाएं।

इसलिए न तेरा आसरा हो और न तेरा अभिमान,
जीवन का अनुभव ले, बांध के न रह जा एक स्थान।
अपने सपनों को पूरा करने का अवसर ढूंढ़,
क्योंकि ज़िंदगी की रफ्तार है अद्यायवादी और अवसादी।

छोड़ना पकड़ना, ये खेल है जीवन का,
लेकिन जब सब छूट जाएगा, तभी तू जीवन को समझ पाएगा।
चल आगे बढ़, जिए अपने यथार्थ सपनों को,
जीने का आनंद ले, हर पल को खुशियों से सजाएगा।

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बड़ी कुटिल

बड़ी कुटिल
बड़ी छली
सी सोच लगती है,
जब मै राजनीति की बाते करने लगता हूं
जिंदगी ही जिंदगी पर एक बोझ लगती है
अभी शुरुआत है या अंत पता नहीं चलता
एक धर्म , एक जाती , एक देश , एक वर्ण
किसी दूसरे का अधिकार बस छलते हुए ही है दिखता
अपनी सत्ता , अपना लालच ,दम, अहंकार और साहस पर क्यों ए इंसान तू चलता है ?
कौन हिन्दू है ? और कौन मुस्लिम है ?
इसका फैसला क्यों ?
ये तुच्छ सा इंसान करता है
धर्म परिवर्तन तो कभी धर्म के नाम पर ही लड़ता है
तकलीफ किसको किससे है ?
भाषा से है या वर्ण से है
ये कोई क्यों नहीं समझता है ?
एक देश है उसके टुकड़े तुम करना चाहो
क्या ऐसा दुस्साहस भी कोई करता है? बड़ी कुटिल बड़ी चली सी सोच लगती है

प्रेम शब्द

चन्द लफ्जो में बयान क्या करू ?
इस प्रेम को
मेरे सारे शब्द और मेरी उम्र बीत जाए
लेकिन प्रेम का अर्थ पूरा मेरे शब्द भी ना कर पाए
फिर भी एक नाकाम कोशिश सी है

कुछ बताने की एक नया रिश्ता बनाने की
ये संबंध वो है
जिसमे हर एक रिश्ता नाता समा जाता है
मत भेद दिलो मेंं जो है वो दूर हो जाता है ,
असीम आसमान भी धरती की औढनी नजर आता है

जब कभी सतरंगी होता है आसमान
तब यही आसमान एक छोर से
बाहे फैलाये दूसरे छोर को जाता है
तब देखो क्या मधुर संबंध

धरती और आसमान का बन जाता है
यह प्रेम है जो धरती और आसमान को
एक करता हुआ नजर आता है
यह प्रेम है

जो पूरे ब्रह्मांड को एक शब्द में बांधे नजर आता है
यह प्रेम
वो है जो ना शब्दो से बयान हो पाता है
ना मौन से
यह प्रेम तो शब्द और मौन दोनो के पार ले जाता है।

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