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समय का नहीं अवरोध

समय का नहीं अवरोध …..
निरंतर अविरल अविरोध ।
सब घटनाएँ समय के भीतर….
समय साक्षी निश्चित इसका स्वर ।

समय अनुसार व्यक्ति वस्तुओं का बदलता रूप…..
यह समय की लीला क्रिया कोई दिखता सुंदर या करुप ।
समय नही थकता इसने नहीं सीखा थकना….
प्रार्थना मुझे भी इस साहस का स्वाद चखना

विहग स्वर्गीय आकाश में बदलते हैं,
प्राणी जीवन के संघर्ष में पलते हैं।
समय की गति निरंतर बदलती है,
जीवन की लहरों को लहराती है।

समय के साथ चलो, मोमबत्ती जैसा जलो,
क्षण-क्षण का आनंद जीवन में ढलो।
भूत, वर्तमान, भविष्य, एक ही क्षण में,
जीने का रहस्य समय के पास है छिपा।

प्रेम के बंधनों को समय सुलझाता है,
दुःख के बादलों को समय छिड़कता है।
सफलता की मस्ती समय के संग आती है,
विफलता का गहरा संगी समय से हारती है।

जीवन का रहस्य समय के भीतर छिपा है,
खोये हुए सपनों को समय फिर लौटाता है।
बदल जाता है समय, चलता रहता है,
मनुष्य को जगाता है, जीवन को बचाता है।

समय का नहीं अवरोध, उसकी विरासत हैं हम,
जीवन के अरमानों को समय से जोड़ते हैं हम।
समय के आगे सब कुछ झुक जाता है,
इसीलिए हर क्षण को समय से जीता है।

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मेरे ख्यालों में

यू बेवजह कही भी कभी भी
“बस तुम”
आया ना करो
बेमतलब अब बस मुझे
तुम सताया ना करो
बिना पूछे जो तुम आ जाते हो
जब मर्जी ये जो तुम मेरे खयालो का
दरवाजा खटखटाते हो
मैं खोलता हूं दरवाजा तो
नजर नही आते हो
पता नही क्यों तुम
मुझे सत्ताकर भाग यू जाते हो
यह बेफालतू की जिद्द है
तुम्हारी मेरे ख्यालों में आने की
मुझे इस कदर सताने की
इसलिए

यू बेवजह कही भी कभी भी मेरे ख्यालों में बस तुम आया ना करो
मेरे ख्यालों में


बात अब तो मेरी तुम मान जाओ
मुझे यू ना तुम सताओ , ना तड़पाओ
बस अब वापस आ जाओ
फिर हक से मेरे
खयालो का दरवाजा खटखटाना, तोड़ना और
भीतर आ जाना
सिर्फ तुम बस जाना
और फिर अगर
तुम चाहो तो रुलाना और सताना भी
लेकिन
मुझे छोड़कर नही तुम जाना

इन्हे भी पढे: ख्याल, तेरा ख्याल, तुम्हारा ख्याल,

अच्छा समय आएगा

अच्छा समय अभी आएगा
मित्रता सत्रुता सबक़ भी सिखाएगा ।

अच्छा समय अभी आएगा….
जो अच्छे कर्मों से उसे बुलाएगा।

अच्छा समय अभी आएगा,
मन में जगाएगा उम्मीद का दीपक।
मित्रता सत्रुता सबक़ भी सिखाएगा,
खुशहाली लेकर आएगा आपके द्वार पर।

मित्रता का संगम होगा सबको,
दूर भी होंगे झगड़े और लड़ाई।
दिलों में बसेगा एकता का रंग,
एक दूसरे का होगा आदर-सम्मान।

विश्वास की किरण जगाएगा सबका,
अच्छाई का पूरा विश्व में फैलाएगा।
समझदारी सबको सिखाएगा,
गलतियों से सबक यही ले आएगा।

प्रेम की बारिश होगी फूलों की बहार,
बदल जाएगा दुश्मनी का संसार।
हंसी और मुस्कान की लहरें उठेंगी,
खुशियों के गीत हम सब गाएँगे।

दोस्ती का त्योहार मनाया जाएगा,
दूरियों को भी छूकर गले लगाया जाएगा।
बंधनों को तोड़कर हम आगे बढ़ेंगे,
प्रेम और सदभाव से सबको जोड़ेंगे।

आएगा वह दिन जब इंसानियत की जीत होगी,
बुराइयों की हार और सच्चाई की जीत होगी।
इस कविता की आवाज़ सबको सुनाई देगी,
और नया भविष्य अच्छाई से सजाई देगी।

अच्छा समय ज़रूर आएगा हमारे पास,
मित्रता सत्रुता सबक़ सिखाएगा साथ।
हम सब मिलकर इसे बनाएंगे,
हर दिन अच्छाई और प्रेम से जीएंगे।

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सारे विचार अस्थाई

सारे विचार अस्थाई
नहीं अस्थाई मर्ज़ की दवाई ।

सब व्यक्ति व्यक्तित्व अस्थाई…
समझो इस बात की गहराई ।

सब दिखते दृश्य अस्थाई ….
इससे क्या बात समझ आई ।

सारी भावनायें अस्थाई ….
नहीं कुछ भी स्थाई ।

अपने मिले कार्य सही से करे….
हम सब स्थाई दायरे से घिरे ।

न काहु से दोस्ती न काहु से बैर…
शुक्रिया करते चलो माँगो सब की ख़ैर ।

यहाँ सब अस्थाई….
यह बात ही सच्ची इकाई ।

बहते चलो जैसे बहता पानी….
या बहो पवन की तरह यही ज़िंदगानी ।

सारे विचार अस्थाई,
नहीं अस्थाई मर्ज़ की दवाई।

जीवन के सफर में कभी आए,
खो गए फिर वो गुजरे दिन जाए।
चिंता और चिंता का बंधन है,
इसे तोड़ने की राह ढूंढ़ लो भले।

ज़िंदगी की चाल में आए हैं ये विचार,
चिंता के बादल छाए हैं ये आधार।
पर याद रखो, ये सब हैं अस्थाई,
हो सकता है आने वाले कुछ पल हंसाई।

ज़िंदगी की राहों में कभी थम जाएं,
चिंता के दामन से खुद को छुड़ाएं।
हर चिंता को दवा नहीं कहा जा सकता,
कुछ तो विचार होंगे अस्थाई ही रह सकता।

अपना ध्यान मुख्य बातों पर रखो,
हंसते रहो, मुस्कराते रहो आप।
रोग या चिंता ने नहीं जीती है ज़िंदगी,
जीने का आनंद सदैव बनाए रखो सर्वदा।

सब का शुक्रिया सब का धन्यवाद

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शिक्षा देके बीता था

जो था अच्छा था….
शिक्षा देके बीता था ।

जो है वो सबसे बेहतरीन….
वर्तमान जीवित और हसीन ।

वर्तमान में डाले उत्तम बीज….
भविष्य की फसल अजीज ।

जो बीता वो पल नहीं लौटेंगे….
वर्तमान स्वस्थ तो उससे बने इतिहास में
भी खूबसूरत फूल लगेंगे ।

वर्तमान स्वस्थ तो भविष्य भी खुशहाल….
यही जादू है वर्तमान का उसका कमाल ।

समय बाहर बदलता रहता….
भीतर समय की कम रफ़्तार ये मैं कहता ।

कितनी भी की हो ग़लतियाँ….
वर्तमान में शुरूआत करे सुधार की
जगेंगे सही शक्तियाँ ।

जो था अच्छा था…
शिक्षा देके बीता था

वर्तमान के पन्नों पर
उसकी यादें बिखरी हैं।
मस्तिष्क में उसकी छाप
हमेशा बसी है जीते हुए।

वह शिक्षा का समुद्र था,
जिसमें धर्म, ज्ञान, नैतिकता
सब लहरों में बहते थे।
गुरु की ओर से वह जीवनमूल्यों का आदान था।

विद्या की आग जलाकर
उसने मन के अंधकार को हराया,
ज्ञान की बारिश से
उसने सृजन के उस पथ पर पैर रखाया।

वह शिक्षा का प्रिय याराना था,
जो अब भी दिलों में बसा हुआ है।
जीवन की हर चुनौती में
उसकी सीख हमें सम्भाला है।

जो था अच्छा था…
शिक्षा देके बीता था।
उसके बाद भी उसका परिणाम
हमारे जीवन को चमका रहा है।

यह भी पढे: शिक्षा का संस्कार, दुनिया एक किताब, जो जीवन बीत रहा,


विकल्पों का पतन

यहाँ एक चलन …..
हुआ विकल्पों का पतन ।

प्लास्टिक और रणनीति…..
दोनों की ज़रूरत वाली स्थिति ।

प्लास्टिक करता दूषित वातावरण…
प्लास्टिक का क्यों नहीं नया संस्करण ?

राजनीति भी बहुत मैली और दूषित….
मनो में भर दिया टनो ज़हर अघोषित ।

बोल रहे नहीं है दोनों का विकल्प ….
विचारहीन समाज अच्छाई हुई अल्प ।

ये विचार विकार बात यह ग़लत….
एक सौ चालीस करोड़ हुए बेइज्जत ।

सब एक दूसरे को दिखा रहे उँगली….
बस चल रहा है आके मिल उस गली ।

वैज्ञानिक खोजो को दे इस दिशा में बढ़ावा ….
विश्व से प्लास्टिक मिटे स्वस्थ सब , न करे छलावा।

यहां एक चलन है रुख़सार,
हुआ विकल्पों का पतन अनुभव।
परिवर्तित हुए दृष्टि के आयाम,
खो गई स्वतंत्रता की राह अविरल।

नगरी ने जीने की बंधन में डाला,
चुनौतियों से बनी अब वह भटकती है।
आदर्शों की गोद में लिपटी रही वह,
अब हर तरफ़ है प्रताड़ित और दबी हुई।

जब जगह नहीं रही सपनों की,
तब कैसे उड़े आवाज़ आज़ादी की।
हर तरफ़ दिखें बंधनों की खड़ी,
मन में जलती रहे आग स्वतंत्रता की।

फिर आया है वक़्त जागरूक होने का,
इस चलन को तोड़ देने का।
खुद को मुक्त कर, निकल पड़ो आगे,
अपनी अलख़ जगाओ और चमकाओ राहें।

चलो अब छोड़ो विकल्पों की मृत्यु,
जीवित हो जाओ स्वतंत्रता की प्रेरणा।
करो प्रगति को आगे बढ़ाना,
यही है जीने की सच्ची पहचाना।

आओ मिलकर नयी दिशा में चलें,
करें स्वतंत्रता की शोरगुल मचाएं।
जागो, उठो और बदलो समाज को,
यही है सच्ची आज़ादी की आज़ादी।

यह भी पढे: खुद से करे सवाल, प्रति दिन चिन्ह, अपनी मेहनत,

खुद से करे सवाल

खुद से करे सवाल जीवन जी रहे या उसे रहे हो काट ।
ग़र वर्तमान में प्रसन्न…..
यही सच्चा कमाया धन ।

फिर जीवन को नहीं रहे तुम काट…..
चाहे न या कम धन फिर भी ठाठ -भाट।

जीवन का मालिक कौन है यह सत्ता किसके है पास….
यदि जीवन की चाभी स्वयं के पास यह सुखद अहसास ।

आपकी सुखी और दुखी होने की चाभी यदि दूसरो के पास….
राक्षस और तोते की कहानी गर्दन तोते की दाबेगी इधर राक्षस की उड़ेगी सांस ।

अकारण वर्तमान में रहे ख़ुश ….
शुक्रिया करे नहीं हो कभी नाखुश ।

ख़ुशी का विकल्प सिर्फ़ और सिर्फ़
ख़ुशी ….
जिये जीवन जैसे जीवन जीता शशि ।

खुद से करे सवाल जीवन जी रहे या उसे रहे हो काट,
गर वर्तमान में प्रसन्न, यही सच्चा कमाया धन।

जीवन का मतलब क्या है, विचार करो थोड़ा,
क्या तुम बस काम करते हो, और अपनी ज़िन्दगी छोड़ा?

ख़ुद से पूछो, क्या तुम खुश हो, क्या तुम संतुष्ट हो,
क्या तुम वह सपना पाए हो, जिसे ज़िंदगी ने तुमसे छीना हो?

क्या तुम वक्त का मज़ा ले रहे हो, प्यार से अपनों के साथ,
या बस दौड़ रहे हो, धन-दौलत के पीछे भागते रहते हाथ?

जीवन एक उपहार है, इसे सवार्थी बना न पाओ,
इसका आनंद लो, अपने सपनों को पूरा करो।

धन और सम्पत्ति तो केवल मालिकी हैं यहाँ,
परम मूल्यवान है वह, जो मनुष्य को मिलता है स्वयं।

ताजगी और ख़ुशी से भरी हो ज़िंदगी की क़लाएं,
बस वही सच्चा कमाया धन, जो दिल को छू जाएं।

ज़िंदगी को अपने अरमानों से सजाओ,
सपनों को पूरा करके अपनी ख़ुशियां बढ़ाओ।

खुद से करो सवाल, जीवन को जी रहे हो या उसे रहे हो काट,
गर वर्तमान में प्रसन्न, यही सच्चा कमाया धन।

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मेरी मुस्कुराहट

कही मेरी मुस्कुराहट तो नही खो गई, मैं दिखता हूं आजकल बहुत गंभीर सा चेहरा लिए हुए ना जाने वो मुस्कुराते हुए होठ कहां छुप गए है, जो हमेशा मुस्कुराते ही रहते थे चाहे उन होंठों के पास मुस्कुराने की वजह हो ना हो लेकिन वो बस मुस्कुराते हुए रहे आज कुछ गुम गुम से है।

मेरी मुस्कुराहट खो गई कहीं,
ये चेहरा गंभीर सा हो गया हैं।
होंठों पर खेलती थी हंसी,
अब वो खो गए, कहां छुप गए हैं?

जहां चेहरे पर मुस्कान थी लगी,
हंसती अदा थी वो लगी-शूनी,
अब देखता हूं खुद को आईने में,
कहां छुप गई वो खुशी जो भरी?

जीवन की मस्ती थी उस हंसी में,
खुशियाँ थी चिरागों की तरह जगमगाती।
आजकल कहाँ हैं वो रौशनी वाले दिन,
बीतते हैं अब ख़ामोशी से रातें।

मौसम की बदलती चाल में,
खो गई हैं प्यारी सी मुस्कान।
कहीं तलाशता हूं उसे दिल में,
पर ना जाने कहां छुप गए होंठ कहां?

ये दिन थे जब हंसते थे, गाते थे,
खुशियों की बहार थी हर दिशा में।
पर अब आँखों में हैं आँसू छलकते,
मुस्कान की कहां हैं वो मिशालें?

कहीं गुम हो गई खुशियों की छाँव,
बन गया ये चेहरा गंभीर सा अब।
लौट आओ, मेरी प्यारी मुस्कान,
चाहे वो होंठों के पास, चाहे जहां छुप गए होंठ कहां।

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धैर्य व्यवहार

धैर्य व्यवहार का शुभ गहना….
समझ कर इसे धारण करना ।

योग्यता स्वस्थता का मुख्य सूत्र धेर्य…
जितना सधा धेर्य उतना ही प्रबल शौर्य ।

धेर्य का गहना निरंतरता की साधना…
समय सदुपयोग से इस को निखारना ।

धेर्य का गुण बने शिक्षा का अंग ….
व्यक्ति विकास होगा बिखरेगे रंग ।

सब का हो भला जीवन में उमंग ।
समाज परवर्तित होगा बदलेगा ढंग ।

महत्वपूर्ण बस धेर्य हो सकारात्मक…
सकारात्मकता ही मुख्य शुभ घटक।

धेर्य व्यवहार का शुभ गहना,
समझ कर इसे धारण करना।

जब जीवन की लहरें ऊँची उठाएं,
और परेशानियों की आंधियाँ छाएं।

तब धेर्य से जीने का आदेश होता है,
चंदन की तरह खुद को गंधित करना।

जब चिंताएँ मन को सताएं,
और निराशा की आंधियाँ छाएं।

तब धेर्य से जीने का आदेश होता है,
अग्नि की तरह अपनी रोशनी बढ़ाना।

जीवन के प्रत्येक पथ पर,
चुनौतियाँ बनी रहें बार-बार।

तो धेर्य तुम्हारा साथ देगा,
आगे बढ़ने की ताकत देगा।

संघर्षों के मैदान में उठते हैं तूफान,
और अस्थायी बन जाते हैं मनुष्यों के आदान-प्रदान।

तब धेर्य को निभाने का समय होता है,
जब तूफान की चपेट में हो जाना।

तो धेर्य की शक्ति तुझे आगे बढ़ाएगी,
हर लम्हे में खुद को बेहतर बनाएगी।

धैर्य व्यवहार का शुभ गहना,
समझ कर इसे धारण करना।

यह कविता राम ललवानी जी द्वारा लिखी गई है, आप उनकी अन्य और कविताए पढ़ सकते है, नीचे उनकी कुछ ओर कविताओ के लिंक दिए है। कमेन्ट कर हमारा प्रोत्साहन बढ़ाए, धन्यवाद

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अपने शब्दों पर जोर

अपने शब्दों पर जोर दे….
ख़याल न आवाज़ का शोर दे ।

न चाहते हुए शोर हो जाता…
बात की गरिमा पे मटिया मेट हो जाता ।

यह बात बहुत ही अच्छी….
मैं अपनाना चाहता हूँ सच्ची ।

किया है संकल्प न यह टूटे….
निरंतर ध्यान प्रयास न छूटे ।

मुद्दा शोर करने पे वो भटकाता….
रखे शब्दों पे ज़ोर व्यथा रख पाता ।

आवाज़ तेज तो नये नये मुद्दे जागते…
समस्या ज्यो की तयों रहती जानते ।

मैं कही पढ रहा था….
समस्याओं को समझ रहा था ।

बारिश बरसात से फ़ुल खिलते….
बिजलियों गड़गड़ाहट से नहीं वो पलते ।

अपने शब्दों पर जोर दे….
ख़याल न आवाज़ का शोर दे ।

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