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मूड को जरा संभाल

क्या होता है ना की आप अपने मूड के साथ ही लड़ते रहते हो, कब किस तरह का मूड बन जाए आपको पता ही नहीं चलता, इसलिए अपने मूड को जरा संभाल कर रखिए क्युकी इसको बिगड़ने में समय नहीं लगता बस संभालने में वक्त बहुत है लगता, इसलिए इस मूड को क्यों ही बिगड़ने दे हम, इस मूड को हमेशा सकारात्मक विचारों से भरना बहुत जरूरी है, जब हमारे मन मस्तिष्क में नकारात्मक विचार बहुत ज्यादा हो जाते है, तभी हमारा मूड बहुत जल्दी जल्दी खराब होने लगता है, इसलिए सकारात्मक बने रहे।

बार बार अपने मूड को मत खराब करो, इस मूड को देखो की ये बार बार क्यू खराब हो जाता है, इसका क्या इलाज है की बस ठीक रहे यह क्युकी यह मूड तो हर छोटी छोटी सी चीज पर खराब हो जाता है।

“इस मूड को जरा संभाल कही ये हो न जाए बिगड़ेल”

जैसे ही हमारा मूड खराब होता है हम चिड़चिड़े हो जाते है, ओर फिर हमे कोई पसंद नहीं आता हम सभी से लड़ाई झगड़ा करने लग जाते है, कुछ भी पसंद नहीं आता, ये हमारे मूड खराब होने का नतीजा निकलता है।

इस मूड को ठीक रखने के लिए हमे क्या क्या करना चाहिए, इस मूड के बार बार खराब होने से हमारा पूरा दिन ही खराब हो जाता है, हम चिड़चिड़े हो जाते है, इसलिए इस मूड को ठीक रखने की आवश्यकता होती है, इस मूड का कुछ पता ही नहीं चलता, कभी ठीक रहता है तो कभी खराब हो जाता है, बहुत बार हमे पता ही नहीं चलता की हमारा मूड क्यों खराब हो जाता है।

जब हम अपनी मर्जी का कोई कार्य नहीं करते तब हमारा मूड ज्यादा खराब हो जाता है, या तो आप उस कार्य को करे जो आपको ज्यादा पसंद है या फिर अपनी सोच को बदलिए की कोई भी काम बेकार नहीं होता बस उसमे मन लगाना आना चाहिए, और मन लगाकर ही किसी भी कार्य को करना चाहिए।

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विज्ञापन

सहवाग कहने को तो स्कूल चलाते है, लेकिन विज्ञापन गुटखे का देते है, क्या वो यही बात अपने स्कूल में भी सिखाते है, क्या जो बच्चे उनके स्कूल में पढ़ते है उनको भी वो यही शिक्षा देते है, उनके स्कूल के बच्चे भी शायद गुटखा खाते होंगे, इसलिए बाकी जिन्ह लोगों ने अपने बच्चों का दाखिला नहीं करवाया है, तो वो लोग जरा सोच समझ कर कराए। इनके साथ साथ सुनील गावस्कर भी जो दूसरों को बहुत सलाह देते है। लेकिन खुद किसी भी सलाह पर काम नहीं करते ऐसे फालतू के लोगों को अपना रोल मॉडल नहीं बनाना चाहिए।

सौरव गांगुली जिन्हे हम सभी दादा कहते है ये भी इसी तरह के कार्यों में लगे हुए है, समझ नहीं आ रहा है, इतना पैसा कमा कर ये लोग क्या कर रहे है, यदि इन्हे गुटखा, तंबाकू, ओर सट्टा खेलना ही सिखाना था, तो किसी ओर काम में चले जाते क्यों ये इस तरह पैसा कमा चाह रहे है? ये हमारी आने वाली पीढ़ियों को भी बर्बाद कर देना चाहते है, इस तरह के लोगों से वयं को दूर रखे।

इसी दौड़ में सचिन जिनको क्रिकेट का भगवान कहा जाता है , इनको भारत रत्न दिया जाता है, ओर एक सांसद के रूप में नियुक्त किया गया है क्या यह सही है? अब यही सचिन तेंदुलकर Paytm के गेम का विज्ञापन कर रहे है, पहले मैं भी बहुत आदर सम्मान करता था, लेकिन अब कोई आदर नहीं ऐसे लोगों जो कुछ रुपयों के लिए बिक जाते है, इतना धन होने के बाद भी इन लोगों की धन के प्रति हवस कम नहीं होती ये लोग ओर कमाना चाहते चाहे पैसा कही से भी आ रहा हो, इस बात से शायद इन लोगों को कोई फरक नहीं पड़ता, इन्होंने गुटखे का विज्ञापन नहीं दिया क्युकी इनके पिता जी ने कहा था, लेकिन जुआ खेलों ओर खिलाओ ये बात भी इनके पिता जी ने कही थी इसलिए सचिन तेंदुलकर अपने देश को बेचने पर भी आतुर हो जाते है, सिर्फ कुछ रुपयों के लिए हो सकता है, कुछ ज्यादा भारी रकम इस काम के लिए मिली हो तभी तो सचिन पैसों के नीचे दब गए ओर ये काम शुरू कर दिया।

इसके साथ ही कुछ ऐसे फिल्मी सितारे है, जो गुटखे का विज्ञापन कर रहे है, अब लिस्ट इन लोगों की लंबी होती जा रही है, जैसे की अक्षय कुमार , शाहरुख खान , ओर अजय देवगन ये अजय देवगन तो है ही पैदाईशी नसेड़ी, हृतिक रोशन, कपिल शर्मा जो हरभजन सिंह के साथ गेमिंग एप का विज्ञापन करते है, यह लोग बहुत सारे पैसों के लिए बिक रहे है। बस किसी भी तरह से पैसा आ जाए ये लोग अपने देश को बेच देंगे।

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प्रकृति को शीघ्रता नहीं

प्रकृति को शीघ्रता नहीं है ….
तब भी सब कार्य हो रहे समय पे
ये उसकी सुंदरता ।

पशु पक्षी कीट पतंगे सब प्राणी
प्रकृति के अंग प्रत्यंग….
ये ज़िम्मेदारी मनुष्यों की न हो
नुक़सान , सब धरती रहे संग संग ।

प्रकृति की शीघ्रता नहीं, यह सत्य है,
फिर भी सब कार्य होते हैं समय पर निश्चित रीति से।

देखो प्रकृति की सुंदरता को, जो अद्वितीय है,
समय का प्रभाव उसे बदल नहीं पाता, यह विस्मयकारी है।

प्रकृति की गतिशीलता, नियमों की अद्भुतता,
सब कुछ चल रहा है उसकी अद्वितीय प्राकृतिक सृष्टि में।

हमें सीखना चाहिए उसकी तेजी से,
समय का महत्व समझना चाहिए जीवन के लिए।

कार्यों को समय पर पूरा करना,
प्रकृति के संगठन में संयम बनाना।

समय की कीमत को महसूस करो,
प्रकृति की सुंदरता के साथ उन्नति करो।

जीवन को सफलता से भरो,
समय के महत्व को सदैव ध्यान में रखो।

प्रकृति को नहीं है शीघ्रता, यह सच है,
उसकी सुंदरता को सदैव सराहें, यही हमारी प्रार्थना है।

बहे जल की तरह

बहे जल की तरह …..
कल कल ध्वनि स्नेह ।
जल जीवन जल प्रेम…..
जल प्राण कुशल क्षेम ।

जल की क्या आयु….
जब धरती जन्मी जन्मी वायु ।
जब मैं न था जल था….
मैं न रहूँगा तब भी चलेगी गाथा ।

धरती पर मुझ में तेरा भाग सतर प्रतिशत ….
तेरी महिमा चहु ओर नमन वंदन शत शत ।
जल जी आप को ढूँढने गये हे चाँद पर ….
मिले हो तुम उसकी सतह के भीतर ।

जल से ही धरती पे जीवन पनपा…..
सब जल से यह करिश्मा बरपा ।
सदा हाथ जोड़ के जल करे ग्रहण ….
तर जाएँगे रहे जल की शरण ।

बहे जल की तरह …..
कल कल ध्वनि स्नेह ।
जल जीवन जल प्रेम…..

जीवन का अर्थ, जल में छिपा है,
जल ही जीवन, यह सच बतला है।
जल के बिना न जीवन हो सकता,
जल की भूमि पर ही सबका निवास है।

जल की महत्ता कोई न जाने,
अनजाने में हम उसे छेड़े जाते हैं।
पानी को बचाने की जरूरत है,
नहीं तो हमारा भविष्य खराब हो जाएगा।

बहता जल जीवन को धो देता है,
वृक्षों को जीवित रखता है।
फूलों को खिला देता है वह,
हरियाली को बनाए रखता है।

ताजगी देता है जल विरासत में,
सबको सुरक्षा और आनंद देता है।
जीवन की रक्षा करे हम सब,
पानी की बचत पर ध्यान देता है।

जल की बरसात देती है खुशियाँ,
उमंगों को भरती है वह।
दिलों में उत्साह भर जाती है,
जीवन को नया रंग देती है।

इसलिए बहे जल की तरह हमेशा,
प्यार और स्नेह से बहते रहें।
जल को बचाने का संकल्प लें,
जीवन को खुशहाली से जीने रहें।

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समस्या ओर समाधान

समस्या ओर समाधान कि बात की जाए तो बेहतर है, यदि सिर्फ समस्या ही गिनते रहेंगे तो आप एक दिन समस्यायों को इतना बड़ा कर लेंगे की फिर उभर नहीं पाएंगे, उन समस्याओ का समाधान ढूँढने के लिए लगातार प्रयास करते रहे, क्युकी समस्या को बड़ा नहीं होने दे, एक बार जब समस्या बड़ी हो जाती है तो उससे निकलना मुश्किल हो जाता है।

इसलिए जब भी कोई समस्या आती है उसको वही पर खतम करे, उसे देख लेंगे, या छोड़ो ना कहकर ना खतम करे, उसका हिसाब वही पर चुकता करे यही एक बेहतर समाधान है, क्युकी जब हम समाधान ढूँढने के लिए जाते है तो उसका समाधान नहीं मिलता, बस समस्या बड़ी हो जाती है ओर हम उसमे फंस जाते है।

समस्या का समाधान अवश्य मिलता है, लेकिन उसमे तकलीफ को बड़ा ना होने दे, कैसी भी समस्या हो आपको उसका हल मिल ही जाता है, बस आप समस्या को रबड़ की तरह ना खींचे यही आपकी जिम्मेदारी है।

इसलिए यदि समस्या है तो उसका समाधान भी अवश्य है, इसलिए साथ साथ उसको भी बताए सुझावों की सूची बनाएं।

सुझाव दीजिए तभी आप सशक्त होंगे तभी हम बेहतर बन पाएंगे।

zomato

बहुत बार हम अपने ही जानने वाली दुकान से online समान मंगाते है, Zomato से हमे लगता है की सिर्फ हम डिलीवरी का ही चार्ज ज्यादा देते है बाकी समान का मूल्य वही होता है, लेकिन यदि आपको ऐसा लगता है तो यह बिल्कुल गलत है क्युकी बहुत सारे समान के मूल्य Zomato की वेबसाईट पर बढ़े हुए दिखाई देते है, जब आप उसी दुकान पर जाकर खरीदते है तो समान का मूल्य भी कम होता है, उसकी क्वानटिटी भी अधिक होती है। जिसकी वजह से ग्राहक का ही नुकसान अधिक होता है, हर तरफ से ग्राहक का ही नुकसान है।

क्युकी ना तो उसको समान की क्वानटिटी ज्यादा मिली बल्कि पैसे भी ज्यादा देने पड़े ओर साथ ही डेलीवेरी चार्ज भी अधिक देता है, इसके अलावा खाना आते हुए ठंड भी हो जाता है। अब आप ही देखिए आपका कितना नुकसान होता है, आप खुद ही देख सकते है यदि आपके आसपास कोई खाने का समान बाहर से मंगाते है तो कभी भटूरे आप मंगाते है तो उसका मूल्य हाफ प्लेट का भी बहुत अधिक होता है, ओर फूल प्लेट का मूल्य भी

जब मैं नागपाल से भटूरे लेने गया तब उन्होंने मुझे अच्छी पॅकिंग करके दी साथ ही उन्होंने मुझे समान की क्वानटिटी भी अधिक दी जब मैं खुद लेकर आया तो उन्होंने छोले ज्यादा दिए साथ ही सलाद भी अधिक मात्रा भी दी थी। बल्कि जो मैंने अनलाइन 183 रुपये दिए थे।

1 प्लेट के वही मैं 100 रुपये में लेकर आया ओर 10 मिनट बात भी हुई कुछ उनसे जानने को भी मिला ये एक ईमोशनल टच भी बहुत बहुत जरूरी होता है, जब भी आप किसी दुकानदार के पास जाते है तो आपको उनके बारे में जानने को मिलता है, ओर समझने को भी साथ ही आप ये भी देखते है वह खाना साफ सफाई के साथ तैयार हो रहा है या नहीं, इस बात का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए हमे।

क्या आप ज्यादा पैसे दे रहे है? हम जब भी अनलाइन खाना मंगाते है तो हमे उस समान की कीमत से अधिक मूल्य चुकाना होता है ओर यही अनलाइन फूड वाले एप हमे बेवकूफ बनाते है की हम इतना डिस्काउंट दे रहे है, हर एक समान पर वास्तव में उस समान का मूल्य कम ही होता है, यदि आप उस समान को दुकान पर जाकर खरीदते है तो, जसई तरह से आप सिनेमा हाल पर जाकर टिकट लेते है तो आपको कन्वीन्यन्स चार्ज का भुगतान नहीं करना होता उसी तरह फूड के लिए भी आपको डेलीवेरी चार्ज नहीं देना होता आप उसे दुकान पर जाकर लेते है तो साथ ही उसकी मात्रा भी अधिक होती है।

यह फैसला आपका है की आप अनलाइन समान खरीदना चाहते है या फिर ऑफलाइन इन फिल्मी कलाकारों व हमे भी इस बात के पैसे मिलते है यदि हम अनलाइन समान को प्रमोट करते है या बेचते है परंतु यह चीज जनता के हिट की नहीं है ओर इससे हमारा भविष्य काफी हद तक नुकसान की जाएगा इसलिए अनलाइन न जाकर हमे ऑफलाइन समान खरीदना चाहिए।

zomato ओर swiggy ये दोनों ही महंगे है जबकी ऑफलाइन आपको समान इन दोनों से सस्ता पड़ता है।

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कोई भी कमजोर नहीं

कोई भी कमजोर नहीं होता आज Nedarland ने साउथ अफ्रीका को परेशान कर दिया पूरा मैच देखने लायक ओर बहुत कुछ सीखने लायक रहा जिस तरह से उन्होंने अपनी पारी खेली वो लड़खड़ाए जरूर लेकिन उनके कप्तान ने हार नहीं मानी पूरी बारी में बहुत जोश ओर होश दिखा, जब वो बल्लेबाजी कर रहे थे, हर एक गेंद जैसे ही बल्ले से लगती वो दौड़ कर रन ले लेते थे।

जिससे उनके रन अधिक बने हर बाल पर स्ट्राइक लेना ओर देना इससे आपका आत्मबल बढ़ता है, ओर टीम का स्कोर भी इसिके साथ आपके दिमाग से प्रेशर भी हट जाता है, सामने वाली टीम दवाब में आती नजर आ जाती है जैसे जैसे आपका स्कोर बोर्ड चलता है यही किया Nedarland के कप्तान ने ओर कर दिखाया आज एक कारनामा , उन्होंने इतिहास रच दिया।

कोई भी कमजोर नहीं होता जैसा की हमने रविवार वाले मैच में देखा जो अफगानिस्तान ओर इंग्लैंड के मैच बड़ी उलट फेर हुई अफगानिस्तान ने इंग्लैंड को हरा दिया जो 2019 की विश्व विजेता टीम थी उसको हराना एक बहुत बड़ी सफलता अफगानिस्तान के लिए जिसकी वजह से इस वर्ल्ड कप में पॉइंट्स टेबल में उलट फेर हो गई है।

कप्तान एडवर्ड्स ने 78 रन बनाए जो बहुत ही शानदार रहे इस मैच में

साउथ अफ्रीका पर Nedarland ने दबाव बनाया जिसकी वजह साउथ अफ्रीका की पारी लड़खड़ाती हुई दिखाई दी पहले दो मैच में साउथ अफ्रीका सबसे बेहतरीन टीम लग रही थी इस विश्व कप की लेकिन Nederland के सामने बिल्कुल झुकी हुई टीम दिखाई दी,

मुश्किल बढ़ा दी थी साउथ अफ्रीका की वो बिल्कुल रन नहीं बना पाए, ओर जल्दी ही वापस अपने खेमे में जाते हुए नजर आए साउथ अफ्रीकी बल्लेबाज की सारी टीम आउट हो गई। आज जो चैम्पीयन की तरह खेल रही थी साउथ अफ्रीका की टीम वो धराशाई होती नजर आई, यह टीम नीदरलेन्ड से हारी हुई नजर आई।

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किताबे

किताबे जिससे कि हमें ज्ञान प्राप्त होता है। आखिरकार सभी प्रकार की जानकारी व ज्ञान का मूलभूत स्रोत यह किताबें ही है। किताबों में ही सभी प्रकार की जानकारी को एकत्र करके रखा जा सकता है। हमारे पूर्वजों ने भी नाना प्रकार के विषयों के ऊपर जानकारी इकट्ठी करके किसी न किसी ग्रंथ या किताब में उसे संजोकर रखा तभी तो हम आज उस ज्ञान को प्राप्त कर पाए हैं।

प्राचीन समय में कागज का आविष्कार होने से पहले हमारे पूर्वज लिखने के लिए भोज पत्रों का इस्तेमाल किया करते थे। इन भुज पत्रों के आगे और पीछे दोनों तरफ लिखावट होती थी और इन्हीं से किताबें बनाई जाती थी। उस समय लिखावट के लिए भी पेड़ों की टहनियों की कलम बनाकर इस्तेमाल की जाती थी। जब फूलों को पीसकर स्याही तैयार की जाती थी। समय के साथ साथ कागज और फिर आधुनिक कागज का आविष्कार होता गया और भोज पत्रों के स्थान आधुनिक कागज पत्रों ने ले ली और कागज के बाद भी आज कंप्यूटर ने उन कागजों का स्थान ले लिया।

सर्वप्रथम कागज का आविष्कार चीन में हुआ था।और कागजी मुद्रा का आविष्कार भी सर्वप्रथम चीन में ही हुआ था। आज से 200 साल पहले राजा रवि वर्मा के द्वारा हमारे देश में प्रिंटिंग प्रेस स्थापित की गई वह कई किताबों की छपाई की गई। प्रिंटिंग प्रेस के आने से पहले राजाओं के दरबार में कई ज्ञानि व्यक्तियों की आवश्यकता होती थी, जो कि किसी एक किताब को अलग-अलग भाषाओं में अनुवाद करते थे। इसके अलावा एक ही किताब को लिखने के लिए काफी समय लग जाता था परंतु आज के समय में आधुनिक प्रिंटिंग प्रेस के आने से एक साथ लाखों किताबे बहुत ही कम कम समय में छापी जा सकती हैं।

आज जो हम अपने इतिहास के बारे में जानते हैं वह सिर्फ इन किताबों की वजह से ही तो जानते हैं। जो कुछ हमारे पूर्वज हमारे लिए किताबों में लिख गए उसी को पढ़कर हम प्राचीन समय के समाज के बारे में जानकारी एकत्र कर पाते हैं।

यह किताबे ही है जो ज्ञान का असीम भंडार हैं। प्रत्येक देश में प्रत्येक भाषा में प्रत्येक विषय पर लिखी गई किताबों से ही हम उस विषय के बारे में उस भाषा के बारे में उस देश के बारे में जानकारी एकत्र कर पाते हैं और किताब किसी न किसी भाषा में होती है परंतु जिस समय में भाषाओं का अविष्कार नहीं हुआ था चित्रों द्वारा अपनी भावनाओं को व्यक्त करते थे वह जानकारी एकत्र करते थे , फिर धीरे-धीरे भाषाओं का विकास होने लगा, कुछ प्राचीन भाषाओं में पाली प्राकृत वह संस्कृत भाषाएं भी आती है। कई बौद्ध व जैन धर्म ग्रंथ जो कि आज से 5000 वर्ष पूर्व लिखे गए उनमें पाली भाषा व प्राकृत भाषा मिलती है। इससे हमें ज्ञात होता है कि उस समय पाली में प्राकृत भाषाओं का काफी प्रचलन था। सनातन धर्म की प्राचीन पुस्तकें जैसे के महाभारत, श्रीमद् भागवत गीता वह वेद व पुराण आदि संस्कृत भाषाओं में लिखे गए हैं। इससे हमें ज्ञात होता है कि उस समय के कालखंड में संस्कृत भाषा का काफी प्रचार था।

चाहे हम गूगल इंटरनेट व कंप्यूटर पर कितना ही समय क्यों ना बिता लें परंतु ज्ञान का असीम सोर्स दो किताबें ही है हमें किताबों के साथ भी कुछ समय बिताना चाहिए। इससे हमारा ज्ञान वर्धन भी होगा।

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अच्छा कार्य करते रहे

शक्कर अंधेरे में खाये या उजाले में मुँह को करेगी मीठा…..
अच्छा कार्य करते रहे कोई देखे या न देखे
बाक़ी सब झूठा ।

कई बार दूर से सामने नहीं दिखता रास्ता…..
सड़क बता रही हे कारण लेकिन दृष्टिकोण होता सस्ता ।
दृष्टिकोण में सुधार करे , करे उसमे विकास ….
तभी बड़ी बड़ी सूचनाएँ समझ पायेंगे करेंगे जब निरंतर प्रयास।

शक्कर अंधेरे में खाये या उजाले में मुँह को करेगी मीठा,
अच्छा कार्य करते रहे कोई देखे या न देखे।

मधुरता उजागर करेगी सदा,
जीवन को रंगीन करके ही छोड़ा।

क्या है जगत की धूप और छाँव,
जो करता है न्याय, सत्य का पालन।

हर कार्य जचाएगा जब भी,
सच्चाई की रोशनी में जब भी।

कितने भी झूठ बस वही रहेगा,
जो सत्य की परिभाषा बनेगा।

जगत के रंग में न रंगे दिल,
अच्छाई की राह पर चले दिल।

कविता यह गीत है सत्य का,
जो आपको कहती है सच्चाई का।

शक्कर अंधेरे में खाये या उजाले में मुँह को करेगी मीठा,
जीवन को सार्थक बनाएगी यह लीला।

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बचपन के दिन

मेरे जो बचपन के दिन थे, कुछ अजीब तो कुछ कमाल ही थे, जैसे पढ़ाई से जी चुराया मैं करता था, स्कूल ना जाने के कितने ही बहाने बनाया करता था , बचपन से ही मुझे ये बात समझ आ गई थी की मेरा पढ़ाई में मन नहीं लगता ओर शायद मैं उतना पढ़ भी नहीं पाउ, लेकिन पढ़ाई करने के अलावा उस समय कुछ ओर समझ भी नहीं आता था, की नहीं पढ़ेंगे तो क्या करेंगे।

बचपन से ही एक सवाल जिसने मेरा पीछा नहीं छोड़ा उस सवाल का जवाब लगातार ढूंढता रहा, मैं हर जगह चाहे वो निर्जीव हो या सजीव लेकिन मैं उस सवाल को सबसे पूछता था, कि कोई तो होगा जो मुझे मेरे सवाल का जवाब देगा, सवाल पूछने की आदत थी मेरे अंदर लेकिन मुझे अपने सवाल दूसरों से पूछने में डर लगता था, पता नहीं क्या सोचेंगे , कुछ बोल न दे कही मारेंगे तो नहीं कच पूछने पर , मेरी हंसी तो नहीं उड़ाई जाएगी यदि मैं ऐसे सवाल पूछूँगा तो बस इसलिए मैंने किसी से अपने सवाल नहीं पूछे, खुद से सवाल करता था मैं , मुझे उस समय जवाब नहीं मिलते थे ओर मिल भी जाते होंगे तो मुझे जल्द समझ नहीं आते थे क्युकी वो बचपन के दिन ही थे।

जिस तरह मुझे गणित बिल्कुल पसंद नही थी और समझ भी नही आती थी, टीचर तो अच्छा पढ़ते थे क्युकी सभी बच्चों को समझ आती थी लेकिन मेरे दिमाग में गणित कभी घुस नहीं पाती थी, मुझे दुबारा पूछने में डर लगता था, इसलिए नहीं पूछता था, बस उस गणित से ज्यादा अच्छी मुझे अपनी जिंदगी ही लगती थी, बस जिंदगी को समझू यही हमेसा अच्छा लगता था।

कभी वृत का गोल, लंबाई – उचाई , गुना भाग , जोड़- घटा , Permutation, Combination, Probability, कभी समझ ही नही आती थी, लेकिन जिंदगी की सारी गुना भाग पल भर में समझ आ जाती थी और इसको समझने और सीखने में जो मजा आता था वो मुझे गणित में कभी समझ नही आया।

अपने विचारो को अपने ऊपर हावी होने दे रहे हो ? किस तरह से आपके विचार आ रहे है ? किस और से आ रहे है ? आप क्रोधित हो फिर भी आपने विचारों को सजगता से देख रहे हो यह भी एक प्रकार का मनन है चिंतन है हमारे विचारो में द्वंद्व है लेकिन कब तक भागेंगे एक दूसरे के विपरीत यह विचार एक समय तो आएगा जब यह दोनों एकमत होंगे दोनो कब तक विपरीत दिशा में भागेंगे किसी ना किसी अंतिम छोर पर टकरा कर वापिस आ ही जाएंगे।