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कल की तैयारी

कल की तैयारी हे आज करे अच्छा ।
सोच बड़ी हो तो पूरी होगी हर इच्छा ॥
अच्छा करना जेसे वो बचत खाता ।
बचत खाता ज़रूरत में काम वो आता ॥

अच्छा करना जैसे वो बचत खाता,
संयम और प्रयास से बढ़ जाता।

जीवन की पथशाला में निश्चित सफलता,
कठिनाइयों को पार करेगी विजयता॥

अपार संभावनाएं बस इंतजार करें,
हिम्मत और मेहनत से समर्पित रहें।

कठिनाईयों को तोड़कर आगे बढ़ें,
सपनों की ऊंचाइयों को हाथों में पकड़ें।

जीवन का सफर है, यह जान लें,
हर क्षण को खुशी से जीने की आदत बनाएं।

अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ते चलें,
खुद को निरंतर सँवारते चलें।

कल की तैयारी है, आज करें अच्छा,
सोच बड़ी हो तो पूरी होगी हर इच्छा॥

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अहंकार से मुक्ति

भरीं केतली जब जब झुकती तभी वो हो पाती वो ख़ाली ।
इसी तरह अहंकार से मुक्ति के लिए झुकते वही भाग्यशाली ॥
सदा नीवा रहने से नहीं जन्मती शरीर मन में अकड़ ।
वरना दुःख दर्द तकलीफ़ें लेती पाश में लेती वो जकड़॥

भरीं केतली जब जब झुकती तभी वो हो पाती वो ख़ाली।
इसी तरह अहंकार से मुक्ति के लिए झुकते वही भाग्यशाली॥

सदा नीवा रहने से नहीं जन्मती शरीर मन में अकड़।
अहंकार को त्याग कर, पाएं सुख और आत्मिक संत्रष्टि की अपार विश्राम॥

जीवन के समुद्र में हम खोए रहते हैं, अहंकार के प्रवाह में बहते हैं,
परन्तु जब हम झुकते हैं, तभी प्रकृति की गोद में आते हैं।

गर्व से बहुत दूर हो, नम्रता की ओर बढ़ो,
स्वान्तःसुख को पाएं, खुशियों के आगार में बसो।

अहंकार का विनाश कर, मुक्ति का मार्ग खोजो।
नीवा रहो नम्र, जीवन के रहस्य को पहचानो॥

झुकाव और नम्रता में ही संपन्न होती है उच्चता,
विनम्रता से ही मिलती हैं मन की शांति और सुख की बरसाती।

अहंकार को त्याग कर, भाग्यशाली बनो तुम,
नम्रता की ओर चलो, आत्मिक संतुष्टि को पाओ आप।

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बहुत सारा ख्याल

बहुत सारा ख्याल है तुम्हारा,
तुम हो एक मेरा सहारा।
तुम ही हो मेरी जिंदगी बंदगी,
प्यार और संगीत की छंदगी॥

तेरे बिना ये दिन ठंडा है,
तेरे साथ ये जीवन गर्म है।
तू है मेरी आस्था, मेरी प्रेरणा,
तेरे बिना कुछ भी नहीं मेरा अरमाना॥

तेरी मुस्कान मेरे दिल की रौशनी,
तेरी बातें मेरे जीवन की कहानी।
तू है मेरी ख्वाहिश, मेरी आशा,
तेरे संग जीने में है बहुत ज्ञानी॥

जब भी हार मेरे द्वार खटखटाए,
तू ही है जो मेरी राह रोशन कराए।
तू है मेरी सपनों की उड़ान,
तेरे बिना मेरी दुनिया है बेज़ान॥

तेरे संग हर रंग नया लगता है,
तेरे साथ हर पल खुदा बनता है।
तू है मेरी रौशनी, मेरी चांदनी,
तेरे बिना मेरी जगमगाहट है अधूरी॥

बहुत सारा ख्याल है तुम्हारा,
तुम हो एक मेरा सहारा।
तुम ही हो मेरी जिंदगी बंदगी,
प्यार और संगीत की छंदगी॥

अच्छा कार्य करते रहे

शक्कर अंधेरे में खाये या उजाले में मुँह को करेगी मीठा…..
अच्छा कार्य करते रहे कोई देखे या न देखे
बाक़ी सब झूठा ।

कई बार दूर से सामने नहीं दिखता रास्ता…..
सड़क बता रही हे कारण लेकिन दृष्टिकोण होता सस्ता ।
दृष्टिकोण में सुधार करे , करे उसमे विकास ….
तभी बड़ी बड़ी सूचनाएँ समझ पायेंगे करेंगे जब निरंतर प्रयास।

शक्कर अंधेरे में खाये या उजाले में मुँह को करेगी मीठा,
अच्छा कार्य करते रहे कोई देखे या न देखे।

मधुरता उजागर करेगी सदा,
जीवन को रंगीन करके ही छोड़ा।

क्या है जगत की धूप और छाँव,
जो करता है न्याय, सत्य का पालन।

हर कार्य जचाएगा जब भी,
सच्चाई की रोशनी में जब भी।

कितने भी झूठ बस वही रहेगा,
जो सत्य की परिभाषा बनेगा।

जगत के रंग में न रंगे दिल,
अच्छाई की राह पर चले दिल।

कविता यह गीत है सत्य का,
जो आपको कहती है सच्चाई का।

शक्कर अंधेरे में खाये या उजाले में मुँह को करेगी मीठा,
जीवन को सार्थक बनाएगी यह लीला।

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स्वयं को नही रोकना

स्वयं को नही रोकना, देना सदा अपना सर्वोत्तम ।
चाहे नहीं देता सामने वाला श्रेय नहीं रोकना अपने कदम ।

आपके बढ़ाए अच्छे कदम उदाहरण समाज का वो दर्पण ।
ये असल जीवन जीने का नियम , देने का भाव का समर्पण ॥

स्वयं को नही रोकना, देना सदा अपना सर्वोत्तम ।
चाहे नहीं देता सामने वाला श्रेय नहीं रोकना अपने कदम ।

खुद को बनाएं सितारा, चमकें आसमान में,
जीवन के हर मोड़ पर स्वयं को गुरुत्वाकर्षक बनाएं।

सोचो न कभी अधीन, हकदार हो तुम उच्चताओं के,
अपने सपनों को पूरा करो, ना हो कभी थमते कदम।

जगमगाते रहो आप, अपने आत्मविश्वास की रौशनी में,
चाहे हों न रहे उपलब्धियाँ, अपने हौसलों को न टूटने दो।

आगे बढ़ो सदैव, ना रुकना अपने सपनों के आगे,
प्रशंसा का पर्दा तोड़ो, अपने जीवन के रंग बिखेरो।

जीवन की राहों में जब भी थक जाओ,
खुद को याद दिलाओ, अपने संकल्प को जगाओ।

स्वयं को कभी भी नहीं रोको, अपनी उच्चताओं को छू लो,
चाहे नहीं मिले श्रेय, अपने कदमों को थामो।



याद कैसे किया जाए

याद कैसे किया जाए , याद आँखियो से नहीं हृदय से किया जाने वाला संदेश ।
आँखो को तो हृदय से मिलता समाचार ही सच्चा आदेश ॥
हृदय में यादों के उठते जवार ओर भाटा ।
उठते तूफ़ान आँखियो को भिगो भिगो जाता ॥

जब याद आँखियों से नहीं, हृदय से आता है संदेश,
तब विश्वास जगा लेता है, अनुभवों का आदेश।

आँखों की नकली छटा, सुन्नी हो जाती है सदा,
लेकिन हृदय से उठी बात, सच्चाई कराती वादा।

यादों की गहराई में, छिपे होते हैं राज,
हृदय की धड़कनों में, छुपा होता है प्यार का छाज।

स्पष्ट होता है हृदय से, मन की गहराई जो चाहे,
आँखों के मोर नहीं, हृदय का आदेश आये जो सदा।

सोचो न कभी, केवल आँखों से करके तारीफ किया जाना,
हृदय के उग्र ध्वनियों में, छिपा होता है भगवाना।

इसलिए, जब याद आँखियों से नहीं, हृदय से आए संदेश,
उन्हें सुनो, उन्हें मानो, जीवन को हो जाये आदेश, याद कैसे किया जाए

सब पद है अस्थाई

सब पद है अस्थाई ….
क्या यह बात बुद्धि को समझ आई ।
शीर्ष पद सब शीर्षक सीमित….
बुद्धि समझे किस बात में हित ।

कैसे व्यक्तियों से करते व्यवहार….
इसी बात में समाहित पूरा सार ।

व्यवहार का क्षेत्रफल विशाल….
स्मृति में उसकी ऊँची उछाल ।
व्यवहार से हृदय में मिलता स्थान…
व्यवहार से ही व्यक्ति का उत्थान ।

सब पद है अस्थाई,
क्या यह बात बुद्धि को समझ आई।
शीर्ष पद सब शीर्षक सीमित,
मानवता के लिए यह बुद्धि संयमित।

जीवन की रेस में भाग रहे हम,
चाहे सब कुछ हो, पर लिंग सिर्फ एक नम।
पद हो या स्थान, सब अनिश्चित,
हम तो चलते रहते हैं निरंतर यहां-वहां।

कितनी ही उच्चताओं को छूने की ख्वाहिश,
मन की गहराइयों में भरी है यह आस्था।
परंतु ज्ञान का आदान-प्रदान नहीं है,
केवल शीर्ष पुरुषों के क्षेत्र में ही स्थान।

क्या इस विचार से समझ पाएंगे हम,
कि जीवन की सच्चाई है यह अस्थाई।
सब पदों के पीछे छुपी है एकता,
हम सब एक हैं, यह जान लें यह ज्ञान।

यह भी पढे: सारे विचार अस्थाई, आशा ओर निराश, अनुभव खुद का चखा, हमारा जीवन,


वृक्ष का संसार

वृक्ष का संसार
सदा जीवन में विस्तार ।
नई ऊँचाइयाँ उनका धर्म…
झोंकता स्वयं के कर्म ॥

वृक्ष का आकाश प्रेम ….
पूछते उसका कुशल क्षेम ।
वृक्ष का सम्पर्क धरती आकाश….
पूरी करता धरती की आश ॥

वृक्ष जीवन की सुंदरता….
प्रकृति की कलात्मकता ।
वृक्ष धरती की धरोहर….
हर क्षण हर पहर हर क्षण हर पहर ।

वृक्ष का संसार … सदा जीवन में विस्तार।
नई ऊँचाइयाँ उनका धर्म।
झोंकता स्वयं के कर्म।

वृक्षों की दुनिया में, एक आदर्श बसा है।
प्रकृति की गोद में, उनका स्वरुप न्यारा है।
जीवन की रक्षा, प्रेम की अद्भुत कहानी।
वृक्षों की छाया में शांति का गीत बहानी।

जैसे वृक्ष ऊँचाई प्राप्त करते जाते हैं,
हमें भी आगे बढ़ने का संकल्प लेना चाहिए।
जीवन के कठिनाइयों में डटकर नहीं रुकना चाहिए।
बलिदान कर, प्रगति का मार्ग चुनना चाहिए।

वृक्षों की कठोरता और सहनशीलता से हमें सीख लेनी चाहिए।
उनकी प्रकृति के साथ मेल जोड़कर रहना चाहिए।
वृक्षों की प्रेम भरी छाया से चिढ़ाना चाहिए।
प्रकृति के संगीत में अपनी जीवन धुन गाना चाहिए।

वृक्षों की उच्चता और नीचता के बीच,
समता का संदेश छिपा है।
हमें भी सबको सम्मान देकर रहना चाहिए।
एक-दूसरे के साथ प्यार और सहयोग बढ़ाना चाहिए।

वृक्षों का संसार है सदा विकास करता,
उनकी शाखाओं में नई ऊँचाइयाँ बनाता।
स्वयं के कर्मों से झोंकता जीवन का रहस्य,
हमें भी आगे बढ़कर अपना भाग्य बनाना चाहिए।

वृक्ष का संसार… सदा जीवन में विस्तार।
नई ऊँचाइयाँ उनका धर्म।
झोंकता स्वयं के कर्म।

वृक्षों को पनपने दे वो जानते हे स्वयं को वो असली आध्यात्मिक जो सिर्फ़ देना जानते हे देना फ़ना होना उनका कर्म।
मिट्टी के पाताल के जल के अग्नि के आकाश के पत्थरों के पहाड़ों के आकाशों के बादलों के पक्षियों के कीट पतंगो के जानवरों के वातावरण के जीवन के पृथ्वी के समंदरो के नदी के मनुष्यों के सब के मित्र जीवन के चक्र की रीड़ की हड्डी ।

सही से जीवन की आकाँक्षा हो तो इनको मदद करे (न मदद करके ) वातावरण ओर इनकी मदद के नाम पे हम नुक़सान ज़्यादा कर रहे हे ये स्वयजीवी हे इस परम मित्र को नष्ट न करे ।
मनुष्यों समझे ये हे तो हम हे इतनी सीख ही यह सत्य ।
इस सत्य से सीखे ज़्यादा बात की नहीं आवश्यकता ।
सुबह की राम राम ।
जय श्री वृक्ष
ॐ श्री वृक्ष
धरती परम धाम वृक्ष ।
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यह भी पढे: अच्छा समय आएगा, विनम्रता ही सम्पदा, एक उम्मीद, प्रेरणा जीवन, आपके शब्द,

यह सत्य

हर पेड़ दे फल यह नामुमकिन ….
यह सत्य करना पड़ेगा यक़ीन ।
वो देता छाया यह क्या कम हे….
यथाशक्ति वो दे रहा जितना दम हे।

अनगिनत पक्षी कीड़े मकोड़ों इसकी शरण…
ये उसका स्वभाव प्रकृति के प्रति समर्पण ।
पेड़ मरकर भी जीवन के प्रति समर्पित…..
नौका किवाढ़ सज्जा से जीवन शोभित ।

हर पेड़ दे फल यह नामुमकिन,
यह सत्य करना पड़ेगा यक़ीन।

वो देता छाया यह क्या कम हे,
जब उगते होते हैं वो ज़मीन।

पुष्पों से सजा आँगन उनका,
फलों से भरी होती डाली।

वृक्षों की छाया देती है शर्म,
सबको देती है वो माली।

फलों का मज़ा जब चखा जाता है,
हर बार नए रंग लाता है।

यह पेड़ नहीं सिर्फ़ हरा नहीं,
यह जीवन का संघर्ष दिखाता है।

छोटे छोटे पत्तों से जब खिलता है,
पूरे वन को रंगीला बनाता है।

हर पेड़ दे फल यह नामुमकिन,
यह सत्य करना पड़ेगा यक़ीन।

जब खेतों में वो बढ़ते हैं,
अन्न की तरह सबको पोषण देते हैं।

जब हवाओं में उनकी लहरें होती हैं,
सबको ताजगी और शान्ति मिलती है।

यह पेड़ नहीं सिर्फ़ हरा नहीं,
यह जीवन का संघर्ष दिखाता है।

धूप के तप से जब सबको बचाते हैं,
प्राकृतिक सौंदर्य को बनाते हैं।

नीर के बंद कोषों से जब गूढ़ निकलता है,
जीवन की सत्यता को समझाता है।

हर पेड़ दे फल यह नामुमकिन,
यह सत्य करना पड़ेगा यक़ीन।

इन पेड़ों के महत्व को जब समझोगे,
प्रकृति की रक्षा में योगदान दोगे।

अपने आस-पास के हर एक पेड़ को,
संभालो, प्यार दो, बचाओ।

क्योंकि हर पेड़ दे फल यह नामुमकिन,
यह सत्य करना पड़ेगा यक़ीन।

कुछ तो लिखे हम

कुछ तो लिखे हम, हर रोज तो लिखने को नही होगा
क्या यह बात है सही
नही नही
यह बात तो बिलकुल भी सही नही
क्यों
क्युकी हर पल , हर क्षण , हम अपने भीतर भर रहे असंख्य विचार उन्ही का समूह हम बना रहे है। बना रहे विचार पर विचार
फिर कैसे कुछ
फिर कैसे कुछ ना होगा कहने को
सुनने को
सुनाने को
कैसे ना होगी बात
और फिर कैसे ना होगी हमारी और आपकी मुलाकात
होगी और बहुत सारी होगी बात, कुछ नए शब्द और विचारो के तालमेल संग हम और आपका होगा साथ

कुछ तो लिखे हम, हर रोज लिखना ज़रूरी नहीं है,
यह सत्य नहीं है बिलकुल भी।
क्योंकि हमारे भीतर बसते हैं
असंख्य विचार, भावनाएं अनगिनत।

हर पल, हर क्षण ये विचार घुलते हैं,
उनसे ही हमारी कविताएं मिलती हैं।
ये विचारों का समूह हमें बनाता है,
कविता की रचना में उन्हें समाता है।

कविता हमारी आत्मा की अभिव्यक्ति है,
जब विचारों को शब्दों में बदलती है।
हर रोज़ लिखकर हम बनाते हैं वाद्य,
अपनी भावनाओं को साझा करते हैं यहाँ।

तो हर रोज़ लिखने को हो सकता है,
यह बात बिलकुल सही हो सकती है।
क्योंकि जब विचार बहुत हों अनगिनत,
उन्हें शब्दों में छिड़कते हैं हम नित्यत।