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शिक्षा ही जीवन

शिक्षा ही जीवन का आधार है, शिक्षा से ही होता जीवन का विस्तार है।

भूलों अपने दुखो को न भूलो जो मिली शिक्षा
शिक्षा सच्चा मित्र करेगा सुरक्षा और रक्षा ।
शिक्षा आकाश समान नहीं उसकी सीमा
सब सम्भव ख़ुशियों और तरक़्क़ी का बीमा ।

शिक्षा विस्तार
नये मनुष्य का आधार ।
शिक्षा प्रकाश
शिक्षा ही कैलाश ।
शिक्षा महामार्ग
मिटते अज्ञान के दाग ।
शिक्षा हथियार
सदा लगाते रहे धार ।
शिक्षा मनुष्यत्व
शिक्षा परम तत्व ।
शिक्षा पीड़ानाशक
शिक्षा कुशल शासक ।

जय शिक्षा जय जय शिक्षा, शिक्षा जहाँ मिले उसे स्वीकार mode से स्वीकार करे उसका सदा स्वागत करे उसका सदा आवाहन करे उसे बढ़ने फूलने फलने में सहायक बने दीखिये फिर शिक्षा का आकाश कैसे विस्तृत रूप विराट रूप धरता हे जिसकी भूमि अंतहीन अपरमित हे जय शिक्षा जय जय शिक्षा तेरी सदा ही विजय हो तू हे तो समाज में बदलाव हे शिक्षा जीवन को सुखद और खुशहाल करने में उसका सम्पूर्ण योगदान हे तो खूब खूब शिक्षा का विस्तार हो समाज में उसका प्रभाव दिखे ।

सुंदर आयाम

हर सुबह उठकर अपने विचारों को उत्तम बनाए उन विचारों को बार बार मनन व चिंतन करे आज का शब्द “सुंदर आयाम”

सुंदर आयाम प्रकृति के,
नादियाँ अपना जल नहीं पीती,
वृक्ष अपना फल नहीं खाते,
हीरे जवाहरात भी दूसरे को सुशोभित ,
नियम प्रकृति का दूसरे के प्रति समर्पित ……
ऐसे ही दयावान व्यक्ति अनायास दूसरो के
हित के लिए होता हर समय आकर्षित ।

सुंदर आयाम प्रकृति के,
नादियाँ अपना जल नहीं पीती।
वृक्ष अपना फल नहीं खाते।
हीरे जवाहरात भी दूसरे को सुशोभित।

प्रकृति की अनूठी सुंदरता,
मनोहारी नजारों में बिखराती।
नदियाँ अपनी बहुता प्रदर्शित करती,
पर खुद को नहीं उन्हें भरती।

वृक्षों की हरियाली से लबरेज,
फलों की मिठास से नहीं भरेज।
वे धरती के अनुपम उपहार हैं,
जो दूसरों को खुशियाँ देते हैं।

हीरे और जवाहरात की मोहकता,
दूसरों के श्रृंगार में बसता।
ना स्वयं चमकते हैं, ना भूलते हैं,
पर दूसरों की ख़ूबसूरती में खो जाते हैं।

यह अद्भुत प्रकृति का रहस्य है,
सदैव दूसरों को सुशोभित करने का इरादा है।
जो देती है वृक्षों को जीवन,
और नादियों को मार्गदर्शन।

इसीलिए वे सुंदरता का प्रतीक हैं,
जो प्रकृति की महिमा को दिखाते हैं।
हमें सिखाते हैं समर्पण और निस्वार्थता,
क्योंकि खुद को भूल जाना ही सुंदरता है।

यह भी पढे: प्रकृति का सौन्दर्य, प्रकृति को शीघ्रता नहीं, प्रकृति का नियम,

अत्याचार का बड़ा भाई

हर सुबह, हर दिन अच्छे विचारों से आपका दिन शुभ हो इसके लिए कीजिए विचार प्रतिदिन आज का विचार “अत्याचार का बड़ा भाई”

अत्याचार का बड़ा भाई हे भ्रष्टाचार….
भ्रष्टाचार राक्षसों का सर्वश्रेष्ठ आहार ।
करते व्यभिचार उनका अधिकार….
उनको सब घृणित कृत्यों से प्यार ।

अब आया नए नसल का भ्रष्टाचार….
स्वयं की घोषणा पवित्र होने की हुंकार ।
उनके पाप का धड़ा जल्द ही भर रहा…
उनका नैतिकता का मुखौटा उतर रहा ।

अत्याचार का बड़ा भाई है भ्रष्टाचार,
भ्रष्टाचार राक्षसों का सर्वश्रेष्ठ आहार।
करते व्यभिचार उनका अधिकार,
उनको सब घृणित कृत्यों से प्यार।

धन का लालच, इंसानियत का त्याग,
भ्रष्टाचार के रास्ते पर चलते ये व्याघ्र।
निर्दोषों को बदनाम करते हैं आपात,
आम जनता की जीवनरेखा बन जाते हैं विलापत।

चोरी-छिपे मिलती हैं जब डेली,
सत्ता के बैठे ये लालची जेली।
सारे नेता बन जाते हैं बिकाऊ,
जनता की बातों से जुदा हो जाते हैं दूर।

खाते हैं घूस में बड़े-बड़े रिश्वत,
जनता की मुसीबतों को करते निवारण।
बदलता नहीं इनका रंग नेतृत्व,
वोटों के मोह में फंस जाते हैं गुमराह।

देश की विकास ले जाते हैं इंद्रधनुष,
जनता की आशाओं को बनाते हैं धुंध।
दिखावे के पीछे छिपाते हैं अपराध,
भ्रष्टाचार के दामन से डरते हैं नागरिक।

जब तक न जागे जनता की आँखें,
भ्रष्टाचार की चोट बनी रहेगी गहन।
संघर्ष करें हम इस बुराई के खिलाफ,
दें एक नये भारत को वादा विश्वास का।

इसिके साथ साथ आप कुछ ओर कविताए भी पढे व हमे कमेन्ट में जरूर बताए की हमारी कविटाए आपको कैसी लगती है जिससे हम ओर बेहतर ओर ज्यादा से ज्यादा लिखे आपके द्वारा दिए गए सुझाव ही हमे प्रेरित करते है

कुछ और कविताए : भविष्य निर्माण, विनम्रता में भी नंबर, चलते चलो, कैंची और सुई का संवाद,


तुम हो समुद्र

तुम हो समुद्र तुम्हारा दुख तेज धूप तुम्हारी सहन शक्ति के आगे नतमस्तक हम , तुम्हारा बल अद्भुत तुम्हारी गाथा तुम हो अनेकों विचारों एक दाता तुम हो समुद्र दुःख तेज धूप…
धूप विकट समुद्र विराट स्वरूप ।
तेज से तेज धूप समुद्र का बाल भी
बाँका नही कर सकती …..
समुद्र चुप शांत कभी क्रुद्ध धूप की
तो एक नियत शक्ति ।

तुम हो समुद्र तुम्हारे दुःख तेज धूप….
धूप शक्ति नही बदल सकती समुद्र रूप
कोई कुछ बोले करे मनन रहे सदा शांत….
इस बात में हित लाभ मन भी होगा प्रशांत ॥

जीवन का गणित

जीवन का गणित एसा है जो किसी को समझ ना आए इस गणित सब उलझे हुए नजर आए , इस गणित को जो समझे वो इस भवर से बाहर निकल जाए।

जीवन का गणित
जीवन में आशीर्वादों को जमा कीजिए
दुःख तकलीफ़ों को घटा दीजिए
भलाई को गुणा कीजिए
इच्छाओं को भाग दीजिए
जीवन के विकास में जहां जहां
जो ज़रूरी हे कही घटा कही जोड़
कही भाग तो कही गुणा निरंतर कीजिये

दुःख तकलीफ़ों को घटा दीजिए, दर्द को मिटा दीजिए,
खुशियों को बांटिए, सबको हंसा दीजिए।

भलाई को गुणा कीजिए, अच्छाई को फैलाइए,
सद्गुरु की ओर से मंगलकामनाएं लेंगे आपको बहुत सारी।

दूसरों की मदद कीजिए, सदैव नेकी में लग जाइए,
प्रेम और समझ से बनाइए, जीवन को अपारी।

सफलता की राह पर चलिए, मेहनत और समर्पण से,
आपकी कठिनाइयाँ घटाएंगे, सफलता की उच्चाईयाँ पाएंगे।

खुश रहिए, मुस्कराइए, दूसरों को खुश रखिए,
यह जीवन का गणित है, जिसे हमेशा आप सुलझाइए।

यह थी प्रेम, शांति और समृद्धि की कविता,
जीवन के साथी बनकर, खुशहाली की पथ पर चलिए सदा।

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सच्चा मित्र

एक अस्त्र ही बहुत है वह अस्त्र आपका मित्र है , जिस मित्र के सदा विजय नहीं चाहिए सहस्त्र मित्र बस एक ही हो वो सच्चा मित्र मित्र आपका अस्त्र…
एक ही बहुत
नही चाहिए वो सहस्त्र ।
मित्र सच्चा सहयोगी….
सुगंध उसकी सर्वत्र उपयोगी ।

मित्रता की सदा विजय हो ,
मित्रता ही नारा ।

एक अस्त्र ही बहुत है, वह अस्त्र मेरा मित्र है,
जो सदा विजय नहीं चाहता, सहस्त्र मित्र बस एक ही है।

वो सच्चा मित्र, जो मेरे साथ सदैव खड़ा है,
जब भी जरूरत पड़ी मेरी, मेरे पास हमेशा आया।

उसकी आँखों में छिपी है विश्वास की ज्वाला,
वो मेरी हर बात को समझता, मेरे दुखों को महसूस करता।

जब समय था मुझे पीछे खींचते अंधकार के घेरे,
वह मेरे साथ चला, मेरे साथ हैरानी और डरे।

जब भी जीवन की लहरें मेरे सामने उठाएं,
वो सहारा बनकर मेरे पास खड़ा रहे आए।

उसने मुझे शक्ति दी, सामर्थ्य की प्रेरणा दी,
जिससे जीता मैं हर युद्ध, हर मुश्किल से लड़ा हूँ।

उसका आभास हर सांस में है, हर धड़कन में बसा,
वो सच्चा मित्र, जो मेरे जीवन का अद्वितीय रंग बना।

जब भी मैं उदासी से भरा, अशांति से घिरा हूँ,
वो मेरे पास आकर मुझे हंसाता, खुशियों से भर देता है।

सदा मेरे पक्ष में स्थिर रहकर, मेरे साथ चलने वाला,
हर संकट और समस्या से मुझे बचाने वाला।

वो जिसका नाम प्यार से जुड़ा है,
जो सदैव मेरे जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान धरा है।

इस अस्त्र की शक्ति सदैव मेरी आस्था बनी रहे,
सहस्त्र मित्र, तू मेरा सच्चा मित्र है और रहेगा सदैव ही।

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संबंध नहीं टूटते

संबंध नहीं टूटते वो जाते बच,
जब जानते एक साधारण नियम …..
कि वो नही ग़लत वो हे सिर्फ़ अलग
उठाना सिर्फ़ इस दिशा में कदम ।

हर व्यक्ति अलग…
ऐसा ही बना ये जग ।

ये ही जीवन की सुंदरता…
ये ही जीवन का सही पता ।

आम अलग अलग नीम…
वही धरती वही मिट्टी
दोनो ही क़ीमती चाहे
नीम कड़वा मीठा आम ,
क्या फ़र्क़ दोनो ज़रूरी
कोई राम कोई रहीम ॥

संबंध नहीं टूटते वो जाते बच,
जब जानते एक साधारण नियम।
कि वो नहीं ग़लत, वो है सिर्फ़ अलग।

उनकी आँखों में छुपे ख्वाब हैं,
दिल के मंज़र अनजान हैं।
जब भी मुस्काते हैं वो बहारों की तरह,
दिल में उत्साह और आशा की फुलवार हैं।

जीवन की सड़कों पर चलते हैं वो अपने क़दमों से,
सबके बीच में भी है वो अपने आप में रुकमण हैं।
वो नहीं थमते, नहीं झुकते,
अपनी अलग पहचान और गर्व से चलते हैं।

जब उठती है आवाज़, तो धरती हिलती है,
उनके साथ चलती है हवाओं की लहरें।
क्योंकि वो है सिर्फ़ अलग, नहीं ग़लत,
विश्वास की गहराई में छुपी एक मिसाल हैं।

जब देखते हैं उन्हें दुनिया की नज़रों से,
तो उनकी अद्भुतता से चमकती है सृष्टि।
क्योंकि वो है सिर्फ़ अलग, नहीं ग़लत,
उनका हर कदम है एक अनूठी कविता।

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सब संभव

सब संभव हो जाता है , जब मिलता है सही व्यक्तियों का साथ , बहुत शुभ होता है , आपकी तरक्की में भी उनका होता है उनका हाथ , सही ओर अच्छी सोच जीवन के रंगमंच का सत्य जाने , समझे इस जीवन का प्रपंच क्या है? इसी पर आधारित एक कविता “सब संभव

सब संभव, जब मिलता सही व्यक्तियों का साथ,
बहुत शुभ, आपकी तरक़्क़ी में होता उनका हाथ॥

जीवन की सारी छवियाँ सजाएं,
रंगों से भरे इस नाटक को बनाएं।

प्रेम की पटियां बिछाएं सबके बीच,
खुशियों की कहानी लिखें, ना हो कोई त्रिश।

संयम और समर्पण से भरे ये अभिनय,
जीवन की सबसे महत्वपूर्ण उपन्यास।

संघर्षों के मैदान में नृत्य करते हुए,
हर स्थिति में सही राह चुनते हुए।

जीवन की संघर्षों को रंगीन बनाएं,
मन के रंगों से ये छवियाँ चमकाएं।

संगठित सोच और सही कर्म,
साथ चलते हुए विजय की ओर धाव।

सब सम्भव, जब मिलता सही व्यक्तियों का साथ,
बहुत शुभ, आपकी तरक़्क़ी में होता उनका हाथ॥

इस रंगमंच पर खुद को प्रकट करें,
अपनी पहचान को जगाएं और बढ़ाएं।

जीवन के सभी पात्र निभाएं सही तरह,
सामरिक आत्मा को जगाएं और जगाएं।

सब सम्भव है, जब आपके साथ हैं सही लोग,
आपकी तरक़्क़ी में होता है उनका योग।

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आशा न बाँधिए

इस जीवन से आशा न बाँधिए, यह एक बहुत ही प्रेरणादायक पंक्ति है। इसका अर्थ है कि हमें आशाओं को बंधने से रोकना चाहिए और स्वीकार करना चाहिए कि जीवन आसान होगा। हमें अपने आप को अपने गुरु के रूप में बनना चाहिए, जो हमें सही मार्ग दिखा सकते हैं। दुःख की दुकान जो हमें दुख देती है, उसे हमें स्वीकार करना चाहिए, और ऐसा करने से हमारी दुकान बहुत अच्छी तरह चलेगी और हमें कोई नुकसान नहीं होगा। यह पंक्ति हमें यह बताती है कि सकारात्मक सोच और आत्मविश्वास के साथ हम जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

रुक जाए आशायें न बांधे,
स्वीकारना करे शुरू !
जीवन होगा आसान,
बनो आपने आप के गुरु !!आशायें जाल,
दुःख की चलाती वो दुकान!
जो हे जेस हे वो स्वीकार,
खूब चलेगी दुकान नही होगा नुक़सान !!

रुक जाए आशायें न बांधे,
स्वीकारना करे शुरू !
जीवन होगा आसान,
बनो आपने आप के गुरु !!

हर दिन चंद्रमा चमके,
सूरज खिले उजियारों से।
आशाओं का विश्वास जगाए,
हर पल नयी उम्मीद भरे।

जीवन की राह में आगे बढ़े,
संकटों का सामना करें।
स्वीकार करें जीवन की चुनौतियों को,
खुद को अद्वितीय बनाएं।

दुःख की दुकान खोले न रहें,
खुशियों के सौगात लें।
सकारात्मकता के संग चलें,
आनंद से जीवन बिताएं।

ज़िन्दगी का नुकसान ना होगा,
जब आत्मविश्वास हो सदा।
बन जाओ आपने आप के गुरु,
जीवन के रंगों में खड़ा।

आशाओं के जाल छिन बांधो,
दुःख की दुकान बंद हो।
स्वीकारो जीवन के हर चुनौती को,
खुशियों से जीवन बना लो।

रुक जाए आशायें न बांधे,
स्वीकारना करे शुरू !
जीवन होगा आसान,
बनो आपने आप के गुरु !!

आशा की किरण से जगमगाए,
प्रेरणा से मन भरे।
कविता की इस पंक्ति से,
आपकी हृदय को छू जाए।

चलो आगे बढ़े, जीवन की राह में,
खुशियों की धूम मचाएं।
स्वीकार करें दुःख और संघर्षों को,
हर दिन उम्मीद से जीना सिखाएं।

रुक जाए आशा न बाँधिए,
स्वीकारना करे शुरू !
जीवन होगा आसान,
बनो आपने आप के गुरु !!

प्रकृति का स्वरूप

विश्व बहुत सुंदर और अनुपम इस विश्व का रूप है, देखिए कितना मनमोहक इस प्रकृति का स्वरूप है, विश्व बहुत सुंदर,
अनुपम उसका रूप ।
देखिए कितना मोहक
इस प्रकृति का स्वरूप ॥

मनुष्य काहे बन बेठा प्रकृति का बैरी….
जिसे होना चाहिए था इसका प्रहरी ।
लोभ के बवंडरो ने मनुष्य को घेरा ….
विनाशकारी युद्धों ने डाला मनुष्यता पे डेरा ॥

अहंकार ओर लालच….
झूठ कपट का ओढ़े कवच ।
करता सब पाप दुष्कर्म…..
अब निकट आ रहा उसका चरम ॥