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संबंध नहीं टूटते

संबंध नहीं टूटते वो जाते बच,
जब जानते एक साधारण नियम …..
कि वो नही ग़लत वो हे सिर्फ़ अलग
उठाना सिर्फ़ इस दिशा में कदम ।

हर व्यक्ति अलग…
ऐसा ही बना ये जग ।

ये ही जीवन की सुंदरता…
ये ही जीवन का सही पता ।

आम अलग अलग नीम…
वही धरती वही मिट्टी
दोनो ही क़ीमती चाहे
नीम कड़वा मीठा आम ,
क्या फ़र्क़ दोनो ज़रूरी
कोई राम कोई रहीम ॥

संबंध नहीं टूटते वो जाते बच,
जब जानते एक साधारण नियम।
कि वो नहीं ग़लत, वो है सिर्फ़ अलग।

उनकी आँखों में छुपे ख्वाब हैं,
दिल के मंज़र अनजान हैं।
जब भी मुस्काते हैं वो बहारों की तरह,
दिल में उत्साह और आशा की फुलवार हैं।

जीवन की सड़कों पर चलते हैं वो अपने क़दमों से,
सबके बीच में भी है वो अपने आप में रुकमण हैं।
वो नहीं थमते, नहीं झुकते,
अपनी अलग पहचान और गर्व से चलते हैं।

जब उठती है आवाज़, तो धरती हिलती है,
उनके साथ चलती है हवाओं की लहरें।
क्योंकि वो है सिर्फ़ अलग, नहीं ग़लत,
विश्वास की गहराई में छुपी एक मिसाल हैं।

जब देखते हैं उन्हें दुनिया की नज़रों से,
तो उनकी अद्भुतता से चमकती है सृष्टि।
क्योंकि वो है सिर्फ़ अलग, नहीं ग़लत,
उनका हर कदम है एक अनूठी कविता।

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बुने सपने

आप किसी छोटे मस्तिष्क
के घेरे में न आए ….
जो आपके बुने सपने को
बहुत बड़ा वो बताए । आप दिल दिमाग़ से
अपने बुने सपने देखे…
केसे वो धरती पे उतरेंगे
इस बात में बल चले लेके ॥

प्रकृति का स्वरूप

विश्व बहुत सुंदर और अनुपम इस विश्व का रूप है, देखिए कितना मनमोहक इस प्रकृति का स्वरूप है, विश्व बहुत सुंदर,
अनुपम उसका रूप ।
देखिए कितना मोहक
इस प्रकृति का स्वरूप ॥

मनुष्य काहे बन बेठा प्रकृति का बैरी….
जिसे होना चाहिए था इसका प्रहरी ।
लोभ के बवंडरो ने मनुष्य को घेरा ….
विनाशकारी युद्धों ने डाला मनुष्यता पे डेरा ॥

अहंकार ओर लालच….
झूठ कपट का ओढ़े कवच ।
करता सब पाप दुष्कर्म…..
अब निकट आ रहा उसका चरम ॥