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सारी शिकायते

तुम्हारी सारी शिकायते सुनूंगा , तुम्हे सुलझा लूंगा , तुम्हे लिखना है मुझे, तुम्हे सुनाना है मुझे, एक खामोशी हटानी है तुम्हारे भीतर की जो तुम्हे फिर से नायब करे तुम्हे वक़्त दूंगा तुम्हारे हिस्से का

तुम्हारी सारी शिकायते सुनूंगा,
तुम्हें सुलझा लूंगा, तुम्हें सुनाऊंगा।
इक खामोशी हटानी है तुम्हारे भीतर की,
जो तुम्हें फिर से नायाब करे, तुम्हें वक्त दूंगा।

दर्द और गम के रास्ते तुम्हारे संग चलूंगा,
खुशियों की बहारें तुम्हें संग दिखलाऊंगा।
कागज़ पर तेरे इश्क़ की कहानी लिखूंगा,
हर एक अक्षर में तुम्हें अपना दिल सुनाऊंगा।

ज़ख्मों को तेरे दवा बनाकर लिखूंगा,
आँसूओं को मुस्कान में रंगाऊंगा।
तेरे अंदर छिपी ख़ामोशियों को जगाऊंगा,
तुझे वक्त के साथ फिर से पास लाऊंगा।

अपने शेरों में तुम्हें चाँद सितारे दूंगा,
ख्वाबों की मस्ती को तुम्हें सुनाऊंगा।
हर गम को तेरे दिल से उठा लूंगा,
मुसीबतों के साथ तुम्हें फिर से जीना सिखाऊंगा।

तू लिखना ज़रूरी है मुझे, तू सुनाना ज़रूरी है मुझे,
एक नया अध्याय तेरी कहानी में लिखना है मुझे।
तेरी बातों को समझने का वक्त दूंगा मैं,
तेरे हर अल्फ़ाज़ को दिल के करीब लाऊंगा मैं।

सारी शिकायते

टूटा फूटा

मैं टूटा फूटा ओर बिखर गया उन्होंने सीमेटा भी नहीं इस टूटे हुए दिल को वो बस यू ही बिखरा छोड़ चले उन्होंने मुड़ देखा नहीं, सीमेटा नहीं बेकदरी कर उस हाल में चल दिए।

टूटा फूटा ओर बिखर गया,
दर्द दिल का मेरा उठ गया आसमां में।
सीमेटा भी नहीं इस टूटे हुए दिल को,
वो बस यूं ही बिखरा छोड़ गयी मुझे यहां।

जीने के नगमे थे सजाए हुए,
अब जिंदगी के राग सुनाई नहीं देते।
प्यार के अरमान थे बहुत सजाए हुए,
पर अब तेरे बिना पल गुजराई नहीं जाती।

मेरे टूटे हुए दिल की आहटें,
मुझसे छिन गई हर रातें।
तेरे चरणों में मेरा सुख था,
पर वो भी छिन गया मेरे हाथ से।

क्या करूँ अब मैं इस टूटे हुए दिल से,
कहाँ जाऊँ इस विरानी की दस्तान सुनाने।
वो बस यूं ही बिखरा छोड़ गयी मुझे यहां,
और मैं आज खुद को खोजने में लगा हुआ हूँ।

Jaane kya kiya

Jaane kya kiya h tumne ….

ajkal galib ban gya hu !!

Kavita likhne lga hu per na jane kyu har bar adhuri reh jati hai….

shayad kami hai thode aur jazbat ki . Nhi mere liye to kaafi h per alfazo ke liye kuch kam se hai !

Suno, thodi madad kardo naa ….

phir ek baar milo na pehli baar ki tarah….

phir ek baar tumhe pehli baar dekhna h .

हमसे नाता तोड़ कर

अब उसको क्या मिला ये खोकर,
हमसे नाता तोड़ कर जो बेवफा हुआ,
आज वह खुद भी तनहा है खुदी से,
प्यार की राहों में अकेला फिर रहा है।

दिल की गहराईयों में उसकी तरह,
बेवफाई की वजह से तू भी रो रहा है,
दर्द और तन्हाई की एहसास अब तुझे,
शायरी के रूप में अपना दर्द बयां कर रहा है।

ज़माने की ताकत जो थी वह गई,
वफादारी का वादा वह भूल गया,
जिसे ज़िंदगी ने धोखा दिया है,
वह आज खुद अपनी रौशनी खो गया।

शायरी के ज़रिए अपनी दर्द बयां कर,
दिल की आहटों को बदल दे ज़ुबां,
बेवफाई के गम को लेकर उठा ये दर्द,
हमसे नाता तोड़ कर न रह जाए अब अनजान।

हमसे नाता तोड़ कर
sanjay gupta shayri

क्या मिला उसको
हमसे नाता तोड़ कर
आज खुद भी तनहा फिर रहा है
हमको तनहा छोड़कर..

दिल को छु जाए

जब दिल को छू जाए वो इश्क़ की राहत,
तब जान ले तू, दर्द की कहानी की बात।

मुझको समझने के लिए ज़माने की नहीं ज़रूरत,
बस इश्क़ कर, और ज़ख्मों को महसूस कर जरा।

मोहब्बत की इन्तहाँ नहीं होती कोई सीमा,
दर्द का इलाज़ लिख, मेरे शब्दों की एक रीमा।

जब तक न खो जाए तेरी रौशनी दिल की,
तब तक संग रहेगी, मेरी शायरी ये बेदिल की।

ना कर इतनी मेहनत तू, मेरे दर्द को समझने की,
प्यार कर, और वादे से भर दे ज़िंदगी की राहें।

संजय गुप्ता शायर

ना कर तू इतनी कोशिशे, मेरे दर्द को समझने की,
पहले इश्क़ कर, फिर ज़ख्म खा, फिर लिख दवा मेरे दर्द की

मेरे ख्यालों में ही

तुम मेरे ख्यालों में ही रहा करो,
ज़िंदगी की धूप में मेरे साथ ज़िंदा रहा करो।
तुम्हारी छाँव में मेरी रातें चमकेंगी,
तुम्हारी आवाज़ में मेरे गीत मेरी यादें बनेंगी।

तुम मेरे ख्यालों की बारिश की बूंदों में बरसो,
मेरी हर सांस में तुम चहकों बसो।
जब भी धड़कनें रुक जाएं, मेरे पास आना,
तुम्हारे होंठों से मेरी ज़िंदगी मिलाना।

तुम मेरे ख्यालों मे बिखरा करो मिलकर,
मेरी हर चाह को अपनी ख्वाहिश बना कर।
तुम्हारी मुस्कान बन जाए मेरी चंदनी रातों की,
तुम्हारी आँखों में खो जाए मेरी जिंदगी रातों की।

तुम मेरे ख्यालों में ही रहा करो,
मेरे दिल की हर धड़कन में बसा करो।
जब भी तन्हा महसूस करो, मेरा नाम बुलाना,
तुम्हारे साथ रहकर मुझे हमारी दुनिया सजाना।

इश्क की बाते

इश्क की बाते करें, दिल की जुबां से सुनाएं,
जब रूह को छू जाए, और दिल में जगाएं।

वो अहसास है जो दिल को चूमता है,
सपनों की दुनिया में हमेशा बस जाता है।

इश्क की बारिश में जब दिल भीग जाता है,
हर बूंद दर्द की, अपने अंदर लिए आता है।

मोहब्बत की लहरों में जब दिल बह जाता है,
हर पल उसके साथ, नया एहसास ले आता है।

इश्क की राहों में जब दिल भटक जाता है,
हर राह पर वो दिल, उम्मीद की रोशनी लेकर आता है।

इश्क की बाते करें, रंगीन हो जाएं ज़िंदगी,
दिल की गहराइयों में ख्वाब सजाएं ज़िंदगी।

इश्क की बातें करें, जब दिल से निकलती हैं,
दो दिलों की कहानी, खुदा की जुबां से सुनाई जाती हैं।

रूठे तो मनाए कौन

हम रूठे तो मनाए कौन
दिल को समझे बिना कौन?
शायरी की जद्दोजहद से,
हमारी रूह को छू जाए कौन?

जब दर्द बड़ा हो जाए हमारा,
तो कौन संभाले हमारा?
शेरों के रंग में लिपटी हैं ये दिल की बातें,
मगर ध्यान से पढ़े बिना, कौन समझे हमारा?

जब तन्हाई साथ रहे अकेलापन,
और जीवन की हो मुश्किलें अपार,
तब कौन है जो आए हमारे पास,
और हमें खुशियों से नवाएं खुद को तार?

शायरी की जुबां से बयां किया हैं हमने,
अपने अहसासों को छिपाया हैं हमने।
लेकिन उम्मीद हैं इस शायरी की दुनिया में,
कोई आएगा और मनाएगा हमारा।

हम रूठे तो मन्ये कौन
रूठे तो मनाए कौन

कभी कभी हम रूठ भी जाए तो हमे मनाए कौन ?
बस यही सोचकर खुश रह लेते है…

मेरी आँखों को पढ़

जुबां से कह नहीं सकता तुझे एहसास तो होगा,
मेरी आँखों को पढ़ लेना, मुझे तुम से मोहब्बत है।

जब तेरे आगे दिल थाम कर रुक जाता है,
वो लफ्ज जो जुबां से कह नहीं पाता है।

तेरे हर एक नजर को चुपके से चुराना है,
मेरे दिल की बातें जो छुपी हैं, सुनाना है।

जुबां से कह नहीं सकता, एहसास तो होगा तुझे,
मेरी आँखों की झलक से ये बात साफ होगी।

तेरे नज़दीक आकर मेरे दिल को बहला जाता है,
तेरे रूख को देखकर ये रूह मचला जाती है।

मोहब्बत की इस राह में जो हम चल रहे हैं,
जुबां से कह नहीं सकता, तू समझ जाएगी ये बात।

जो दिल के करीब हो, वो दिल की बातें समझता है,
तेरी आँखों में पढ़ लेना, ये अदा जानता है।

मेरी आँखों की तारीफ करने की कोशिश न कर,
क्योंकि वो जुबां से कह नहीं सकती, तो भी एहसास होगा।

मुझे तुम से मोहब्बत है, ये बात हमेशा रहेगी,
तेरी आँखों से पढ़ लेना, ये अदा याद रहेगी।

मेरी आँखों को पढ़ लेना
संजय गुप्ता शायरी

जुबां से कह नही सकता तुझे एहसास तो होगा
मेरी आँखों को पढ़ लेना मुझे तुम से मोहब्बत है

दर्द का दिखावा

दर्द का दिखावा करने की बात नहीं हमे,
शायरी के जरिए अपनी दिल की बात कहने की है फिजूल सी चाह।
ये शब्द बस एक जुबां का खेल है,
जो हमारे दिल के अंदर छुपे दर्द को बयां करता है खूबसूरती से।

जब रोया था दिल, तो शब्दों के आँसू बहाए,
जब जला था दिल, तो शायरी की रोशनी जगाए।
ये कलम हमारी खुद की आवाज़ है,
जो दर्द को सुनाती है अपनी जुबान से खामोशी से।

शायरी के रंग में रंगते हैं हम,
दिल की बातों को सुनाते हैं हम।
जब खो जाते हैं शब्दों में तबाही,
शायरी के जरिए उभरते हैं हम नयी मिशालों में।

दर्द का दिखावा नहीं होता हमारी शायरी में,
वो सच्चा दर्द हमारे गीतों में छिपा है।
जब तक शब्दों की रौशनी है ज़िंदगी की राहों में,
दर्द और शायरी का मेल हमारी पहचान बनी है।

दर्द का दिखावा
Shayri

हमे नहीं आता दर्द का दिखाना
बस अकेले रोते हैं और सो जाते हैं