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दिखावा करना

दुनिया में दिखावा करना ….
कोई नहीं हमसाया ।
कही न कही यह स्वय का दोष …
जो चाहता तो हे स्वय के लिए मिले
ऐसा व्यक्तित्व लेकिन नहीं किसी के लिए मैं इस शिद्दत से जी पाया ।
बाहर तो हम कह सकते है आसान हे यह सही नहीं वो कितना ग़लत…..
प्रश्न स्वय से किया कभी मैंने किसके लिये क्या किया ? क्यूँ में माँग रहा कितनी मेरी हे समझ ।

स्वय को कम आंकना नहीं मेरा मक़सद….
बस उम्मीदों के कारवाँ से बचना ही सही मायने की स्वय की सही अर्थों में मदद।

समय गूंगा नहीं है

ये समय गूंगा नहीं है बस रहता यह मौन….
समय पर देता बता किसका ही कौन ।
समय से सब कुछ मान सम्मान या अपमान …
समय जब अपना तो गधा भी पहलवान ।

समय से करो संवाद उसके हृदय को जानो…
उसकी निरंतरता निष्पक्षता को तुम पहचानो।
निरंतरता और निष्पक्षता एक कठिन साधना..
अहंकार की गुरुत्वाकर्षण सीमा को पड़ेगा तोड़ना टापना ।

इन सब बाँतो का नही कही पाठ्यक्रम ….
जीवन में श्रेष्ठ को जानने के कठिन नियम ।
हर घटना में समय सदा था हे और रहेगा साक्षी….
यह समय की अनिवार्य शर्त दिखती हर घटना में उसकी यह बानगी ।

यादों का सिलसिला

कुछ इश्क भी था, कुछ इश्क की बाते, कुछ बेसब्र थी जिंदगी, तो कुछ बेसब्र उनसे मुलाकाते, बस सफर यू ही कटने को था, रह गई मेरी अधूरी यादे, और उनकी यादों का सिलसिला, कुछ दूर तक ओर चला, जिंदगी का दौर खत्म हुआ, अब मौत के साथ मेरी गुफ्तगू हो गई।

कुछ इश्क़ भी था पर अब वो नहीं है,
जब चाहत थी तब हम थे वो नहीं है।

रात भर जागते थे हम उसके इंतज़ार में,
पर अब वो नहीं है जिसकी तलाश में।

हमने चाहा था उसे सबसे ज़्यादा,
पर वो तो बस एक ख्वाब बन कर रह गया।

जिस दिन उससे मिलने की ख़ुशी थी हमें,
वो दिन भी गुज़र गया, वो वक़्त नहीं है।

कुछ इश्क़ भी था पर अब वो नहीं है,
जब चाहत थी तब हम थे वो नहीं है।

उनकी यादों का सिलसिला कुछ इस तरह
क्या उन्हे मिलने की वो चाहत नहीं थी जो हमारे दिल में थी।

पर अब उससे मिलने की कोई आस नहीं है,
कुछ इश्क़ भी था पर अब वो नहीं है।

इन्हे भी पढे: तुम्हारी यादों का ढेर, तेरी यादे,

दूर करे अंधकार

वो कौनसे वार है जो दूर करे अंधकार , हर एक शब्द हर एक विचार हमारे जीवन को उच्च बनाता है , इन अनमोल वचनों को हमे जीवन में उतारते रहना चाहिए।

ऐसे कौन से “वार” प्रतिदिन दूर करे अंधकार ।
ऐसा कौनसी “ गार” जिससे चलता पूरा महीने का पहिया मज़ेदार ।
ऐसा कौन का “हार” जो स्वादिष्ट खाने का आधार ।
ऐसा कौन सा “चार” जिसका खट्टा मीठा संसार ।

जवाब दीजिए ,
हर सुबह आपकी अच्छी शुरुआत हो बहुत शुभ और लाभकारी हो।


नाम था उस शहर का

मेरी कविता का शीर्षक है “नाम था उस शहर का”

चल दिए वो जिस शहर की ओर नाम था उस शहर का कुछ और , बस वो अपनी मस्ती में हो रहे थे धुन सवार कही कोई न कह दे , कुछ उनसे के वापस चलो फिर उसी ओर

चल दिए बस ना जाने कही, इस तरह छोड़ कर अकेले मुझे,
जीवन की इस भीड़ में छूट गए आप, मेरे दिल के साथ तुम्हारी याद भी गयी।

आज तक नहीं भूल सकता, वह दिन जब हम साथ थे,
खुशियों से भरी हर पल था, हम दोनों के लिए तय।

पर अब आप चले गए, चले गए मेरी जिंदगी से दूर,
मेरे दिल में आपकी यादें बसी हैं, जो हमेशा मेरे साथ हैं और रहेंगी।

चल दिए बस ना जाने कही, ये बात हमें हमेशा सताती है,
पर मैं जानता हूँ कि कहीं ना कहीं आप भी मेरे साथ हो,
क्योंकि हमारी यादों को कोई दूर नहीं कर सकता।

चल दिए बस ना जाने कही, लेकिन आपकी यादें हमेशा हमसे होंगी,
जब भी तन्हाई के लम्हे होंगे, तो आपकी यादें हमेशा हमारे साथ होंगी।

चल दिए बस ना जाने कही, ये बात हमेशा दर्द देती है,
पर मैं जानता हूँ कि आप हमेशा मेरे साथ होंगे,
क्योंकि हमारी यादों को कोई दूर नहीं कर सकता।

चल दिए वो जिस शहर की ओर नाम था उस शहर का कुछ और , बस वो अपनी मस्ती में हो रहे थे धुन सवार कही कोई न कह दे ,

दुख अतीत की बाते

दुख अतीत की बाते सोचने पर ही होता है इसलिए हमे अपने अतीत की बातों भूल जाना चाहिए ओर स्वयं को वर्तमान के विचार पर ही ध्यान केंद्रित करना चाहिए,

दुःख की नज़र होती पीछे अतीत में…
अत्तीत में रहने से वर्तमान में नुक़सान हमे ।
व्यक्ति दुखी और ख़राब कर रहा वर्तमान..
दुखो से बोझिल चलता फिरता शमशान ।

जगाये विश्वास कि सब कुछ होगा सही…
विश्वास का बल अंधेरों की चढ़ा देगा बलि ।
विश्वास में निहित सुंदर भविष्य की कामना…
पूरे होंगे सारे सपने पूरी होगी सब मनोकामना।

जीवन प्रयोग के तीन

जीवन प्रयोग के ऐसे तीन ज जो है, बहुत मजबूत नहीं होने दे कमजोर , जज़्बातों पर नियंत्रण रहता है बहुत जब मन हो जाता है मजबूत सारी समस्या भी हल हो जाती है,

जीवन प्रयोग के तीन ज हो मज़बूत….
जज़्बात, जेब और खूब मज़बूत हो जूत ।
जज़्बात
जज्बात हो नियंत्रित
जब मज़बूत मन तब होती संचालित ।
जेब
जेब हो मज़बूत भारी भरी गहरी ….
भरी समस्याओं की फूट जाएगी गगरी ।
जूता
पहने जूते से होती व्यक्ति की पहचान……
मिलता उसको उसी हिसाब से सम्मान ।

जज़्बात जेब और जूता…..
इन तीनो का कस के पकड़े खूटा ।
हम सब संघर्षों से निपटते हुए, सफलता की ओर अग्रसर बढ़ते हैं।

फितरत बदलना

फितरत बदलना आसान नहीं है, किसी की फ़ितरत नहीं बदल सकते दोस्तों जब भी भैस पुछ उठाएगी तो गोबर करेगी गोबर क्या समझे, न उलझें, सिर्फ़ और सिर्फ़ समझे, अब बात गोबर की उससे उपले बनते है, बेहतरीन खाद बनती है, गोबर गैस का प्लांट चलता है और पहले गोबर से घर में लेप लगाते थे, दीवारो पे लगाते थे गर्मी में ठंडा और ठंडी में गर्म का अहसास होता था।

और अब तो न जाने क्या क्या समान बनाया जा रहा है, गोबर से कागज मूर्तियाँ लिफ़ाफ़े न जाने अनगिनत समान बना रहे है, लेकिन बदबू में अटक गये तो वहाँ भी फसे रहने की संभावना हे।

तो कृपा करके शुरुआत में न जाये पूरा भाव पढ़े फिर आगे की बात करे, समझदार तो गोबर में भी अपना फ़ायदा ढूँढ लेंगे, ढूँढ लिया है, आगे-आगे और आयेंगे और आने चाहिए जो इसमें अच्छे व्यापार की सम्भावना को बड़ा करे विस्तृत करे, अब बस हमे फितरत बदलना है।

हमारी रियाशी

आज का शब्द “हमारी रियाशी” है

हमारी रियाशी जगह वीआईपी….
इतने गड्डे सड़क पे जैसे वाहन ने शराब पी ।
समझ नहीं आता हे सड़क में गड्डे या फिर गड्डे में बनी हे सड़क……
ख़ासकर दुपहिया वाहन उछल उछल जाते दिल जाता धड़क ।

अभी होगी जब बारिश गड्डे में भर जाएगा लबालब पानी …..
गिरेंगे चोटिल होंगे लोग होगा समय बर्बाद याद आएगी नानी ।
ट्रेफ़िक पुलिस क्यू नहीं लेती इन गड्डों की ज़िम्मेदारी….
क्या सिर्फ़ मोटे मोटे चालान करना उनका फ़र्ज़ हे यह कहाँ की ईमानदारी ।

ब्रह्मांड अखंड है

ब्रह्मांड का एक छोर से दूसरे छोर तक जुड़ा होना ही अखंड कहलाता है,

इस पर कुछ पंक्तियों के माध्यम से अपने शब्दों की छोटी सी रचना की है।

कविता का शीर्षक “ब्रह्मांड अखंड है

ब्रह्मांड अखंड…
शक्ति का अदभुत मेला प्रचंड ।
ब्रह्मांड अदभुत….
व्यवस्था में नहीं कमी एक सूत ।
ब्रह्मांड अकल्पनीय…
कार्यशेली गोपनीय सुरमय ।
ब्रह्मांड निरंतर……
सदा विस्तारित चक्र ।
ब्रह्मांड क्यूँ……
एक गहरा गोपनीय खेल विहू ।
ब्रह्मांड व्यवस्था…..
देखे जैसी जिसकी आस्था ।
ब्रह्मांड ऊर्जा….
स्वयं संचालित व्यवस्था ।
ब्रह्मांड के नियम…..
सबके लिए सम ।
ब्रह्मांड का महत्वपूर्ण हिस्सा पृथ्वी
जीवन यौवन से वो उजरी सँवरी ।

धन्यवाद यह रचना राम ललवानी द्वारा लिखी गई है

साथ ही आप ब्रह्मांड का जुड़ा होना एक छोर से दूसरे तक पढ़ सकते है।