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विचारों की बारिश

एक विचार, दूसरा विचार, तीसरा विचार ये सब मिलकर कर रहे है, एक दूसरे को बीमार जरा बचिए यह है मेरा विचार है, इन विचारों की बारिश है।

विचारों की बारिश है, मन की उछाल है,
इन विचारों का जादू, अनमोल विचार है।
एक विचार, दूसरा विचार, तीसरा विचार,
मन की उड़ान, ख्वाबों की सौगात है।

हर विचार एक अलग दुनिया का आईना है,
इनमें समाये हर रंग, हर चित्र चित्रित है।
पर कभी-कभी, ये विचार टकराते हैं,
एक दूसरे से टकराते हैं, आहत करते हैं।

मेरे विचार में एक यही समाजधारी है,
ये सोचों की बाधा, रुकावट की खड़ी है।
चिंता मत कीजिए, इस जंगल में जीने की,
विचारों की राह में खुद को बचाने की।

विचारों की बरसात से जगमगाती ये धरा,
उठती है, गिरती है, बदलती है सदा।
पर हम सब एक हैं, इस जगत के अंतर्यामी,
विचारों को बीमार करने की नहीं हमारी कामी।

यह सोचिए, विचार करिए, पर एक दूसरे को
आहत न कीजिए, प्रेम से रखिए हर दोस्ती को।
हम सब में एकता की शक्ति बसती है,
दूसरे के विचारों को तोड़ने मत हस्ती है।

सोचिए, समझिए, इस विचार की महिमा को,
एक दूसरे को सम्मान देकर जीने को।
विचारों का संगम, हमारी आदत बन जाए,
एकता और प्रेम से हमारा जीवन सज जाए।

विचारों की बारिश
विचारों की बारिश

दिल्ली में प्रदूषण

दिल्ली व अन्य सभी राज्यों में प्रदूषण की समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है, जिस पर कोई रोकथाम नहीं है, इस समस्या का कोई निवारण नहीं है, बल्कि लोग भी इस समस्या पर कोई ध्यान नहीं देते, वह सिर्फ यही चाहते है की सरकार ही सभी समस्याओ का हल निकाले, लेकिन आम आदमी उस समस्या पर बिल्कुल भी फिक्र नहीं करे।

क्या यह समस्या सिर्फ सरकार की है, यह समस्या हमारी नहीं है, क्या हमे इस बारे में नहीं सोचना चाहिए ? क्या हमारी वजह से ही यह समस्या बढ़ नहीं रही है, सड़कों पर गाड़िया हम दौड़ा रहे है, जो कूड़ा इकट्ठा हो जाता है उसे हम जला देते है चाहे उसमे कुछ हो पन्नी, प्लास्टिक, आदि इत्यादि कुछ भी उसमे होता है वो सब कुछ हम जला देते है।

एक की चार गाड़िया हम लेकर बैठे है, 200-300 मीटर के रास्ते के लिए भी अपनी स्कूटी निकाल लेते है क्युकी हम पैदल नहीं चलना चाहते ओर हमे प्रदूषण से कोई मतलब नहीं, प्लास्टिक हम से ज्यादा इस्तेमाल कर रहे है, बिना इस बात की चिंता के, की इस वातावरण खराब हो रहा है, बस हमरी सहूलियत के मुताबिक हम सारे काम कर रहे है, लेकिन अपने वातावरण की चिंता नहीं कर रहे जो दिन प्रतिदिन खराब हो रहा है, किसी ओर की वजह से नहीं सिर्फ हमारी वजह से ही।

चॉकलेट, चिप्स, गुटख, टॉफी इन सबके रैपर छीलकर हम रोड पर फेक देते है, कूड़ेदान का इस्तेमाल ही नहीं करते क्युकी सड़क पर गंदगी को फैलाना हमारा अधिकार बन चुका है, हम अपनी ही जिम्मेदारियों से भाग से रहे है, लेकिन हम यह चाहते की सरकार अपना काम पूरी जिम्मेदारी से करे ओर हम गेरजिम्मेदार बने रहे।

सिर्फ दिल्ली में ही प्रदूषण की समस्या नहीं बढ़ रही है ये पूरे देश में एक बड़ी समस्या बन रही है जिसका समाधान जल्द से जल्द होना चाहिए, वैसे भी हम अपनी आने पीढ़ी को क्या ही देकर जा रहे है, क्या हम उन्हे गंदी हवा , गंदा पानी, गंदा वातावरण नहीं देने की तैयारी नहीं कर रहे है।

ऐमज़ान के विज्ञापन

एक ऐमज़ान के विज्ञापन में मनोज बजपाई कहते है की सबजिया अनलाइन खरीदो नहीं तो महंगा पड़ेगा, लेकिन वे खुद अपनी सब्जी बाजार से ढूंढ ढूंढ कर खुद लाते है ऐसे घटिया ओर जलील लोग कहाँ से आते है मुझे यह बात समझ नहीं आती है कुछ रुपये कमाने के चक्कर में कुछ भी करते है कितने दोगले है यह लोग, क्या आप ऐमज़ान से शॉपिंग करते है, यदि हाँ, तो आपको कितना सस्ता पड़ता है ओर कितना महंगा, आपको आज भी ज्यादातर समान बाजार में सस्ता मिल जाता है, जबकी वही समान online महंगा मिलता है, साथ ही उसमे भेजने का खर्च अलग से जुड़ जाता है, इससे आने वाले समय में जो नुकसान होता दिख रहा है, वो यही की समान का मूल्य अधिक कर देना ओर सस्ता बता कर बेच देना क्युकी आप online में ज्यादा तुलना नहीं कर पाते, जबकी बाजार में जाकर ज्यादा समान देख सकते है समझ सकते है ओर ज्यादा से ज्यादा मूल्य की पहचान होती है, ओर मोल भाव भी हो जाता है, जो online संभव नहीं है, साथ ही हमे उसका अनुभव होता है।

क्या महंगा पड़ेगा ओर क्या सस्ता पड़ेगा आपको online की खरीदारी से, क्या आपको सबकुछ महंगा पड़ता है ऑफलाइन में लेने से, या अनलाइन में महंगा समान मिलता है, आपका क्या जवाब है, ओर क्या दिककते आती है? आपको अनलाइन ओर ऑफलाइन में, अब ऐमज़ान के विज्ञापन से तो ऐसा ही लगता है की अनलाइन समान सस्ता है बाकी सभी दुकानदार महंगा बेच रहे है, वह सभी दुकानदारों को झूठा ओर चोर साबित करने में लगे हुए है।

कुछ विज्ञापन ऐसे आते है, नहीं तो महंगा पड़ेगा अरे भाई क्या महंगा पड़ेगा तुम खुद तो सब्जी बाहर लेने जाते हो ओर हमे ज्ञान बाँट रहे हो की अनलाइन खरीदो गजब का दोगलापन है भाई यह तो, वैसे ये लोग पैसे के पीछे क्यू इतना भाग चलते है, इंसानियत की जिम्मेदारी को छोड़ आगे निकल चलते है यह लोग, फिल्मों से पैसा कमाने आते है लेकिन पता नहीं क्या क्या बेचने लग जाते है। इसी तरह से कपिल शर्मा भी जिनको कपिल शर्मा शो से काफी अच्छा पैसा मिलता है लेकिन ये भी जनरेशन को बिगाड़ने में लगे है हाल में ही कपिल शर्मा ने भी 360 गेमिंग app का विज्ञापन दिया जिसमे हरभजन सिंह भी साथ में दिखे, जितना बड़ा आदमी उतनी ओछी हरकते है इन लोगों को कितना ही आप कुछ कहे इन लोगों के बारे में ये सुधरेंगे तो है नहीं ये लोग पैसा कमाने के लिए कुछ भी करते है।

इस समय मार्केट काफी अलग है क्या अनलाइन ओर क्या ऑफलाइन इन दोनों में से क्या चुने ओर क्या नहीं बहुत बार यह बात समझ नहीं आती क्योंकि जीतने भी अभिनेता ओर अभिनेत्री है यह सब लोग अनलाइन शॉपिंग करने के लिए विज्ञापन करवाते है, जिसकी वजह से लोग online बहुत तेजी से भाग रहे है।

अगर देखा जाए तो आगे जीवन ओर भी ज्यादा व्यस्त हो जाएगा जिसकी वजह से ऑफलाइन ओर अनलाइन की दौड़ में अनलाइन जीत सकती है, क्युकी ऑफलाइन में बहुत सारी ऐसी दिककते है जिनका समाधान नहीं हो रहा है, जो लोग इस मार्केट के साथ जुड़े रहेंगे सिर्फ वही अच्छा व्यवसाय बना सकते है जो की बड़ी कंपनी हो सकती है, जिनकी खुद की दुकाने है वह बैठ सकते है, खुद की जमिनो पर कारोबार होना फेर भी संभव है, लेकिन किराये पर दुकान लेकर व्यवसाय चलना काफी हद् तक मुश्किल होगा ओर किराये पर दुकान लेकर बैठ जाना संभव होना बहुत मुश्किल है जैसे जैसे व्यवसाय का आधुनिकीकरण हो रहा है। लोग अपने घरों से बाहर नहीं आना चाहते, जो समय अब उन्हे घूमने के लिए चाहिए उसको अब वही लगाना चाहते है, उस समय को शॉपिंग करके खराब नहीं करना चाहते।

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मूड को जरा संभाल

क्या होता है ना की आप अपने मूड के साथ ही लड़ते रहते हो, कब किस तरह का मूड बन जाए आपको पता ही नहीं चलता, इसलिए अपने मूड को जरा संभाल कर रखिए क्युकी इसको बिगड़ने में समय नहीं लगता बस संभालने में वक्त बहुत है लगता, इसलिए इस मूड को क्यों ही बिगड़ने दे हम, इस मूड को हमेशा सकारात्मक विचारों से भरना बहुत जरूरी है, जब हमारे मन मस्तिष्क में नकारात्मक विचार बहुत ज्यादा हो जाते है, तभी हमारा मूड बहुत जल्दी जल्दी खराब होने लगता है, इसलिए सकारात्मक बने रहे।

बार बार अपने मूड को मत खराब करो, इस मूड को देखो की ये बार बार क्यू खराब हो जाता है, इसका क्या इलाज है की बस ठीक रहे यह क्युकी यह मूड तो हर छोटी छोटी सी चीज पर खराब हो जाता है।

“इस मूड को जरा संभाल कही ये हो न जाए बिगड़ेल”

जैसे ही हमारा मूड खराब होता है हम चिड़चिड़े हो जाते है, ओर फिर हमे कोई पसंद नहीं आता हम सभी से लड़ाई झगड़ा करने लग जाते है, कुछ भी पसंद नहीं आता, ये हमारे मूड खराब होने का नतीजा निकलता है।

इस मूड को ठीक रखने के लिए हमे क्या क्या करना चाहिए, इस मूड के बार बार खराब होने से हमारा पूरा दिन ही खराब हो जाता है, हम चिड़चिड़े हो जाते है, इसलिए इस मूड को ठीक रखने की आवश्यकता होती है, इस मूड का कुछ पता ही नहीं चलता, कभी ठीक रहता है तो कभी खराब हो जाता है, बहुत बार हमे पता ही नहीं चलता की हमारा मूड क्यों खराब हो जाता है।

जब हम अपनी मर्जी का कोई कार्य नहीं करते तब हमारा मूड ज्यादा खराब हो जाता है, या तो आप उस कार्य को करे जो आपको ज्यादा पसंद है या फिर अपनी सोच को बदलिए की कोई भी काम बेकार नहीं होता बस उसमे मन लगाना आना चाहिए, और मन लगाकर ही किसी भी कार्य को करना चाहिए।

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सर्वाधिक आनंद

सर्वाधिक आनंद उन्हे प्राप्त होता है, जो अकेले रहने की कला सीख जाते है।

एकाकी जीवन की कला,
सर्वाधिक आनंद जो मिलता है।
जब अपने आप से मेल होता है,
खुद को आपमें खो जाते है।

अकेलापन को मित्र बना लिया है,
खुद के साथ संगीत गुनगुना लिया है।
मन की आवाज़ को सुनते हैं,
खोये हुए सपनों में जीने की अभिलाषा लिया है।

दिनभर की भीड़ में गहराई से सोचते हैं,
अपने मन की धड़कनों को सुनते हैं।
अपने विचारों को खुलकर खोलते हैं,
खुले आसमान में उड़ जाते हैं।

स्वतंत्रता की इच्छा जगाते हैं,
अपने आप को पहचानते हैं।
खुद को अपनी संगीत के रंग में रंगते हैं,
आनंद के नए स्वर गाते हैं।

सर्वाधिक आनंद
आनंद

खुद के साथ अकेले रहने की कला,
सुखद जीवन की धुन सी बन जाती है।
जब खुद की मिलती है साथी,
उस खुशियों का आनंद जीवन में बन जाती है।

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कमजोर ताकतवर

कमजोर ताकतवर का खेल न सोचो तुम,
समझदारी के साथ जीवन को बनाओ मधुर।

जो कमजोर व्यक्ति वो लेते बदला….उनकी फ़ितरत में लेना सिला । ताकतवर आदमी दे देते माफ़ी….उनके ज़िंदगी की यही बेबाक़ी ।

समझदार व्यक्ति करते उपेक्षा….
यह उनके जीवन आधारभूत शिक्षा ।

अब देखना कौन हे कमजोर ताकतवर या हे वो समझदार…..
किस दिशा से कौन व्यक्ति खोल रहा जीवन का पावन द्वार।

क्या ताकतवरता है जो बस शक्ति में दिखावटी है,
या समझदारी है जो अनुभव से प्रगट होती है।

क्या कमजोरी है जो दिल की बातों को छुपाती है,
या समझदारी है जो सच्चाई को उजागर कराती है।

ताकतवर व्यक्ति हो सकता है शक्ति से परिपूर्ण,
लेकिन समझदार व्यक्ति होता है अनुभवों से भरपूर।

कमजोर व्यक्ति शायद दिखे छोटा और निर्बल,
लेकिन समझदार व्यक्ति होता है ज्ञान से सम्पन्न।

हमेशा यह न सोचो कि शक्ति ही सबकुछ है,
क्योंकि समझदारी है वह ज्योति जो जीवन को आलोकित करती है।

जीवन के पावन द्वार को खोले वो व्यक्ति है समझदार,
जो ज्ञान और सच्चाई के मार्ग पर चलता है सारे विचार।

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मौन सही में परिपूर्ण

मौन सही में परिपूर्ण …..
मौन की दुनिया संपूर्ण ।
मौन में हो जागृत विश्वास….
कुछ भी नहीं दूर सब पास पास ।

वाणी से जन्म लेते षड्यंत्र …..
मौन को जिये मौन सर्व यंत्र ।
मौन शक्तिमान अपार बलशाली…..
बिगड़ी बात मौन ने सम्भाली ।
इसकी डोर करती संबंधों की रखवाली ।

मौन सही में परिपूर्ण,
जहां शब्दों की हो नहीं कोई आवाज़।
वहाँ शांति का वास होता है,
मन की गहराइयों में छुपी छांव होती है।

मौन की दुनिया संपूर्ण,
जहाँ ध्यान की झील में डूबे हर व्यक्ति।
अन्तरंग शांति का निर्माण करता है,
विचारों की लहरों को तालाब में बहता है।

मौन में हो जागृत विश्वास,
क्योंकि आकाश में हर तारा बखूबी जानता है।
कुछ भी नहीं दूर, सब पास पास,
मौन की गहराइयों में छिपी हर कहानी बसती है।

मौन से बोलती है हर सूरत,
जब अकेलापन घेर लेता है मनुष्य को।
उस समय शब्दों की बजाय दिल की धड़कन सुनती है,
और सबकुछ अनुभव करने का समय मिलता है।

मौन की विभीषिका यही होती है,
जब शब्दों से परे भावनाओं की बात होती है।
सुनो, यह मौन कविता है खुद की अनुभूति की,
जो शब्दों के पर्दे से आप तक पहुंचाती है।

मौन सही में परिपूर्ण मौन को जिये और नित प्रति उसका अभ्यास करे और मौन से अपने अनसुलझे प्रश्न रखे फिर आर्य मौन का प्रयास करे जिसमें बाहर तो बाहर भीतर भी मौन को सिद्ध करने का प्रयास करे भीतर के कोलाहल को शांत करके अपने उठाये प्रश्न पर ध्यान धरे इसमें यदि आप कर पाते हे तो आपने अपने अवचेतन से कार्य ले सक पाने में सक्षम हो रहे हे दक्ष हो रहे हे और सच्चाई से अपने प्रश्नों के उत्तर भी पा सकेंगे , सब का मंगल हो रहा हे ।
मौन आपका मंगल करे आपकी दिशा दशा का सही से आँकलन करे बहुत शुभ लाभ हो ।

बात अच्छी लगे तो उसपर कार्य करके देखें स्वय का जीवंत अनुभव से सत्य का अनुभव कर के देखे इससे बड़ी कसौटी नहीं है जीवन की ।

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विज्ञापन

सहवाग कहने को तो स्कूल चलाते है, लेकिन विज्ञापन गुटखे का देते है, क्या वो यही बात अपने स्कूल में भी सिखाते है, क्या जो बच्चे उनके स्कूल में पढ़ते है उनको भी वो यही शिक्षा देते है, उनके स्कूल के बच्चे भी शायद गुटखा खाते होंगे, इसलिए बाकी जिन्ह लोगों ने अपने बच्चों का दाखिला नहीं करवाया है, तो वो लोग जरा सोच समझ कर कराए। इनके साथ साथ सुनील गावस्कर भी जो दूसरों को बहुत सलाह देते है। लेकिन खुद किसी भी सलाह पर काम नहीं करते ऐसे फालतू के लोगों को अपना रोल मॉडल नहीं बनाना चाहिए।

सौरव गांगुली जिन्हे हम सभी दादा कहते है ये भी इसी तरह के कार्यों में लगे हुए है, समझ नहीं आ रहा है, इतना पैसा कमा कर ये लोग क्या कर रहे है, यदि इन्हे गुटखा, तंबाकू, ओर सट्टा खेलना ही सिखाना था, तो किसी ओर काम में चले जाते क्यों ये इस तरह पैसा कमा चाह रहे है? ये हमारी आने वाली पीढ़ियों को भी बर्बाद कर देना चाहते है, इस तरह के लोगों से वयं को दूर रखे।

इसी दौड़ में सचिन जिनको क्रिकेट का भगवान कहा जाता है , इनको भारत रत्न दिया जाता है, ओर एक सांसद के रूप में नियुक्त किया गया है क्या यह सही है? अब यही सचिन तेंदुलकर Paytm के गेम का विज्ञापन कर रहे है, पहले मैं भी बहुत आदर सम्मान करता था, लेकिन अब कोई आदर नहीं ऐसे लोगों जो कुछ रुपयों के लिए बिक जाते है, इतना धन होने के बाद भी इन लोगों की धन के प्रति हवस कम नहीं होती ये लोग ओर कमाना चाहते चाहे पैसा कही से भी आ रहा हो, इस बात से शायद इन लोगों को कोई फरक नहीं पड़ता, इन्होंने गुटखे का विज्ञापन नहीं दिया क्युकी इनके पिता जी ने कहा था, लेकिन जुआ खेलों ओर खिलाओ ये बात भी इनके पिता जी ने कही थी इसलिए सचिन तेंदुलकर अपने देश को बेचने पर भी आतुर हो जाते है, सिर्फ कुछ रुपयों के लिए हो सकता है, कुछ ज्यादा भारी रकम इस काम के लिए मिली हो तभी तो सचिन पैसों के नीचे दब गए ओर ये काम शुरू कर दिया।

इसके साथ ही कुछ ऐसे फिल्मी सितारे है, जो गुटखे का विज्ञापन कर रहे है, अब लिस्ट इन लोगों की लंबी होती जा रही है, जैसे की अक्षय कुमार , शाहरुख खान , ओर अजय देवगन ये अजय देवगन तो है ही पैदाईशी नसेड़ी, हृतिक रोशन, कपिल शर्मा जो हरभजन सिंह के साथ गेमिंग एप का विज्ञापन करते है, यह लोग बहुत सारे पैसों के लिए बिक रहे है। बस किसी भी तरह से पैसा आ जाए ये लोग अपने देश को बेच देंगे।

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जीवन का काम

जीवन का काम हे कुछ न कुछ देना……
ख़ुशियाँ या अनुभव आपका क्या कहना ?
अनुभव समय और नुक़सान से बचाता…..
जैसे बारिश में कार्य करता छाता ।

जीवन का काम हे वो कुछ न कुछ देता….
बदले में वो समय आयु को हर लेता ।
या तो ख़ुशियों या अनुभवों से भर देता ….

जीवन के पथ पर चलते-चलते,
अनुभवों का साम्राज्य बनाते।
हर एक सदीव पल में जीवन सिखाता,
नये रंग और चेहरे प्रकट करता।

खुशियाँ और दुःख, जीवन के बादल,
आते-जाते हर पल बनाते संगीत।
अनुभवों की बौछार में खेलता जीवन,
देता है नया आयाम, नया परिचय।

जैसे बारिश में कार्य करता छाता,
अनुभव जीवन को रंगीन बनाता।
हर एक बूंद में छिपी होती खुशियाँ,
प्रकट होतीं हैं जब बरसात की धारें।

जीवन का अनुभव, एक अमूल्य उपहार,
हर एक क्षण में छिपी होती ताक़त।
नुक़सानों से सीखता, आगे बढ़ता,
नये सपनों को पंख देता है बढ़त।

जीवन की बारिश में, आनंद बरसाता,
आपके अनुभव से रंग भराता।
जीवन का काम है कुछ न कुछ देना,
खुशियाँ या अनुभव, यही हैं कहना।

जीवन खिसका जाए जैसे मुट्ठी से रेता

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चेहरे पे मुस्कान

चेहरे पे मुस्कान …..
नहीं हो दिखावट ।
रात्रि की अच्छी निद्रा….
स्वास्थ्य की वो मुद्रा ।

अच्छे से अच्छा विचार अधूरा….
बड़ी सोच से करे उसे पूरा ।
चेहरे पे सदा मुस्कुराहट….
सोच में न हो रुकावट ।

रात्रि की अच्छी निद्रा….
रोगों का रोग अनिद्रा ।

चेहरे पे मुस्कान हो, नहीं हो दिखावट,
खुशियों की छाप हो, न सिर्फ आभावट।
असली खुशी छुपी है अंदर की गहराइयों में,
जो नहीं आती बाहर, वही है सच्ची खुशाइयों में।

रात्रि की अच्छी निद्रा, स्वास्थ्य की वो मुद्रा,
जगाती है नई ऊर्जा, देती है शक्ति की धारा।
जब मन और शरीर विश्राम पाते हैं,
तभी संतुलित होती है जीवन की दौड़-भागी।

नशा नहीं हो रोगों का, तंगी नहीं हो जीवन की,
जब स्वास्थ्य बना रहे, खुद को मानव की पहचान की।
व्यायाम, आहार और नियमित जीवन संगत,
ये हैं वो तत्व, जो रखते हैं हमें स्वस्थ और समृद्ध।

चेहरे पे खिल उठे मुस्कान का पुट,
रात्रि की निद्रा हो सदा निरंतर, अपूर्णता का जट।
स्वास्थ्य ही धन है, ये सच जान लें हम,
खुश और सक्रिय जीवन का रहें अद्यात्मी ध्यान हम।

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