Posts tagged Kavita

बारिश की उन बूंदों

एक प्यारी सी कविता जिसमे मेरा बचपन कही छूट गया है, बारिश की उन बूंदों ने इस बात आज मुझे एहसास दिलाया है।

फिर से आज एहसास हुआ है मुझको
की मेरा बचपन कही छूट गया है

उन छोटी छोटी खुशियों से
शायद मेरा रिश्ता अब टूट गया

बारिश की उन बूंदों ने आज एहसास दिलाया है
बहुत दूर निकल आया हूं बचपन के
उन नन्हे नन्हे हाथो से , उन नन्हे नन्हे कदमो से
जो थका कभी नही करते थे
घंटो खेलने के बाद भी कुछ देर और खेल लू क्या? बस यही कहा करते थे

वो बचपन की बाते बड़ी अजीब सी होती थी, जो खुद को तो समझ आती थी लेकिन औरो को पागल बहुत बनाती थी

उसी के चलते आज एहसास हुआ की मेरा बचपन
कही पीछे छूट गया है

जिंदगी से जिंदगी का नाता
थोड़ा कम और थोड़ा ज्यादा
बस छूट गया है

सवाल बहुत किये अपने आपसे
जवाब यही था
की मेरा बचपन कही पीछे छूट गया है

आज फिर बारिश की बूंदों ने यह एहसास दिला दिया है
प्यार से भरा और प्यारा था मेरा बचपन जिसमे गम ना था , ये हर रोज की आपाधापी ना थी वो लड़कपन और कुछ शरारते थी , बतमीजी थी बहुत लेकिन दिल में मैल नही था

आज एहसास हुआ मुझे की मेरा
बचपन जो कही छूट गया है

बारिश में भीग जाने का डर नही था,
बारिश में भीगने से घमोरियां ठीक हो जाएगी
इसलिए बारिश में भीग जाया हम करते थे,
आज मोबाइल रखा है जेब में इस बात से डरा हम करते है

आज आधुनिक तकनीको ने छीन लिए वो सारे खेल
जिनकी वजह से ही होते थे हम बच्चो के दिल के मेल

घंटो मिट्टी में खेला हम करते थे,
कपड़े गंदे होंगे इस बात से घबराया नही करते थे
आज हल्की सी शर्ट की क्रीज खराब न हो जाए,
इस बात से भी चीड़ हम जाते है

तब लड़ाई सिर्फ ताकत बढ़ाने के लिए होती थी
आज ताकत दिखाने के लिए लड़ा हम करते है।

उन छोटे छोटे कदम और
नंगे पांव से मिलो का सफर
तय हम कर लेते थे

कांटे चुभ रहे है या नही
इस बात पर भी सोचा हम नही करते थे

खेलते थे खूब
जब तक मन करता था
घर जाना है
हम इस बात पर भी सोचा नही करते थे
आज एक मिनट देर हो जाए
फ़ोन पर फ़ोन बज जाया करते है

थक जाने के बाद हम यह नही देखते थे
फर्श है या गद्दे वाला पिलंग बस जहा
जगह मिली सो जाया हम करते थे

एक टिफिन में चार लोग खा लेते थे
एक पिलंग पर चार लोग सो जाते थे
एक बल्ले से 10 लोग खेल लेते थे
3 दोस्त
3 रुपये के प्लास्टिक वाले अंडे में
1-1 रुपया मिलाकर ले आते थे।
हॉफ प्लेट चाऊमीन में 3 दोस्त घपड घपड खा लेते थे,
गली में जगह नही खेलने की तो गली को अपने तरीके से मोड़ हम लेते थे

एक किराये की साईकल लेकर
उस पर तीन लोग सवार हो जाते थे

लेकिन

आज मत भेदों ने इस तरह से घेर रखा है
की हम कहने लगे है यह तेरा है यह मेरा है

आज एहसास हुआ है कि
मेरा बचपन कही छूट गया है

अधूरी ख्वाइश

ना जाने कितनी ही अधूरी ख़्वाइसे है मेरी
लेकिन
वो सारी ख़्वाइसे तुम पर आकर पूरी हो जाती है।

ना जाने कितनी उम्मीद है मेरी आंखों में तुम्हे पाने की तुम्हे अपना बनाने की
लेकिन
तुम्हारे ना कहने पर वो सारी उम्मीद टूटकर चकनाचुर हो जाती है

ना जाने इन आँखों में कितनी गहरी नींद है
जो पूरी ही नही होती
लेकिन तुम्हारी एक याद से वो सारी नींद टूट जाती है।

ना जाने कितना प्रेम है, जो कभी क्रोध ही नही आता
लेकिन तुम्हारे दूर होने पर वो भरम भी टूट जाता है।

ना जाने कितने अरमान है तुझे पाने के
लेकिन वो अरमान सारे फीके हो जाते है
जब तू कहती है की मैं किसी और का अरमान हूं
और मेरा अरमान भी कुछ और है

लगता है कितना अधूरा हूं मै तेरे बिना लेकिन
वो अधूरापन तब दूर हो जाता है जब तू पास आ जाती है

फिर दुबारा ये भी एक भरम में तब्दील हो जाता है जब तू मुझे छोड़ कर दूर चली जाती है

“लगता है सदियों से अधूरा हूं ‘तुम बिन’ फिर भी
ना जाने क्यों हर जन्म में साथ तेरा मेरा छूट जाता है”

क्या मेरी इन आंखों में अश्क़ है या मोती ?
जो समझ ही ना आते है
( मेरी इन आंखों में अश्क़ है या मोती यह मुझे समझ ही नही आता है )
लेकिन हाँ
जब जमीन पर गिरते है तो दरिया सा बन जाता है।

एक एह्सास है गहरा सा जो
तुम्हारे हर वक़्त पास होने का भर्म मिटाता है
और
यही एह्सास है जो मुझे तेरे हर जन्म में करीब लाता है

रोहित शब्द

जिंदगी का हाल

जिंदगी का हाल क्या बताऊ

तेरे बिना कुछ ऐसी है और कुछ वैसी है जिंदगी

और जब  तू साथ है तो  लगता है कि कुछ है जिंदगी

जिंदगी का हाल क्या बताऊँ ?

कुछ हाल ऐसा है कुछ हाल वैसा है

बस मसक्कत से भरी है जिंदगी

जब 

तू दूर जाती है तो रूठ जाती है जिंदगी

तू पास आती है

 तो मुस्कुराती और खिलखिलाती भी खूब है ये जिंदगी 

गम ए छुपाये नहीं ये छुपता

लगता है बेमुरम्मद सी है जिंदगी

आंसुओ से आँखे भर भर जाती है

जब तू इन आँखों से दूर चली जाती है

चिरागे रोशन तू  कर जाती है

 जब तू फिर से पास आती है

ना जाने 

क्यों तेरे बिना ?

बेतहासा बेहाल सी है जिंदगी

लगता है कुछ फटेहाल सी है जिंदगी

लेकिन

जब तू पास होती है तो कमाल सी है जिंदगी

ना जाने क्या क्या करती धमाल सी है ये  जिंदगी

इसलिए

तू दूर जाना मत मुझे छोड़ कर

वरना लगेगी दुर्भर सी ये जिंदगी

अगर

तू पास है तो हर हाल में मस्त है ये जिंदगी

तू साथ है इसलिए जबरदस्त भी है ये जिंदगी

कुछ हाल ऐसा है कुछ हाल वैसा है 

तेरे बिना कुछ ऐसी है कुछ वैसी है जिंदगी

जिंदगी जिंदगी जिंदगी 

प्रेम क्या है

प्रेम क्या है ? यह कैसे बयान कर पाउ , हर छोर हर ओर बस प्रेम ही प्रेम मैं पाउ

इस प्रेम को मेरे सारे शब्द और मेरी उम्र बीत जाए

चन्द लफ्जो में बयान क्या करू ?

लेकिन प्रेम का अर्थ पूरा मेरे शब्द भी ना कर पाए

फिर भी एक नाकाम कोशिश सी है कुछ बताने की,

एक नया रिश्ता बनाने की ये संबंध वो है

जिसमे हर एक रिश्ता नाता समा जाता है

मत भेद दिलो मेंं जो है वो दूर हो जाता है ,

असीम आसमान भी धरती की औढनी नजर आता है

जब कभी सतरंगी होता है आसमान

तब यही आसमान एक छोर से बाहे फैलाये दूसरे छोर को जाता है

प्रेम क्या है यह कैसे बयां में कर पाउ हर छोर पर सिर्फ प्रेम ही प्रेम मैं पाउ
प्रेम क्या है

तब देखो क्या मधुर संबंध धरती और आसमान का बन जाता है यह प्रेम है जो धरती और आसमान को एक करता हुआ नजर आता है

यह प्रेम है जो पूरे ब्रह्मांड को एक शब्द में बांधे नजर आता है

यह प्रेम वो है जो ना शब्दो से बयान हो पाता है

ना मौन से यह प्रेम तो शब्द और मौन दोनो के पार ले जाता है।

यह भी पढे: यह प्रेम है, जीवन एक प्रेम कथा, प्रेम शब्द, प्यार का इजहार,

बेमतलब की बाते

बेमतलब की बाते
फालतू की बाते ये लौंडे चार करते है
ये चार लड़के साथ चले तो छिछोरे लगते है
चार लडकिया साथ चले तो अच्छी लगती है


चार बुजुर्ग साथ बैठ जाए तो
बचपन की बात याद करते है
नही तो बस ताश ये पीटते है
मोहल्ले की चार औरते मिल जाए तो बस चुगली
लगाती हुई थकती नही है


और इनकी बाते कभी खत्म होती नही है
बस बात करती हुई नजर आती है
बेमतलब की बाते जिनका
कोई सर पैर नही है


बस बात नही जैसे चुगली
करती हुई नजर आती है
जवान लड़की और लड़को को बोलती है
ये कर और वो मत कर बस
बिना बात के लेक्चर देती
हुई नजर आती है

और
ये ना जाने क्यों बेमतलब की
मतलब डांट बहुत लगाती है
ना कुछ सीखती है ना कुछ सिखाती है
सिर्फ सारा दिन चुगली लगाती है


ये बस बिना बात के बातेे और फिर
बात पे बात बनाती जाती है अब ना जाने
बात करने से कितना रस टपकता है


समझ नही आता बस ये तो
चारो घड़ी बात करती ही नजर आती है
अगर कोई बात करने के लिए नही मिले इनको तो सकपका ये जाती है अकेली बैठ नही ये औरते पाती है

तेरी यादे

तेरी यादे बन बैठा हूँ मैं तेरी मोहब्बत में,

ख्वाबो का पुतला सा

मैं कुछ कह ना पाऊ

कुछ सुन ना पाऊ

बस बेसुध सा नजर आउ मैं

ये जो तुझसे मोहब्बत हुईं

ना पाकर घबराऊँ मैं….

हिम्मत कर राही

हिम्मत कर राही 

कोशिश करते रहो, कभी  न मानो  हार ।

हर मुश्किल से लड़ने को,

हरदम रहो तैयार।

अच्छा हो चाहे , चाहे हो बुरा समय ।

तुम्हें रहना होगा, सदा ही निर्भय।

हिम्मत की बागडोर को, कभी न छोड़ना बीच राह ।

आगे ही बढ़ते रहना, होना न गुमराह।

जिंदगी की डगर माना है नहीं आसान ।

आखिर तुम्हें बनानी है अपनी नई पहचान।

भीड़ से अलग हो जाने का , न करना कोई गुमान ।

मिलकर आगे बढ़ते रहना , छिपाना ना मुस्कान।

इस दुनिया की फुलवारी में, हैं खिले अनेकों  सुमन ।

पर तुम्हें बनाना है, गुलाब जैसा मन।

अपने होठों की हंसी को, रखना हमेशा बरकरार।

वक्त आकर ठहरेगा , तुम्हारे लिए इक बार।

Akme mittal

मेरा बचपन

आज एहसास हुआ है मुझको
की मेरा बचपन कही छूट गया है

जिंदगी से जिंदगी का नाता
थोड़ा और ज्यादा बस छूट गया है

सवाल बहुत किये अपने आपसे
जवाब यही था मेरा बचपन छूट गया है

आज फिर बारिश की बूंदों ने यह एहसास दिल दिया है
प्यार से भरा और प्यारा था बचपन जो कही छूट गया है

बिना डर के भीग जाने के लिए भाग जाया हम करते थे
आज मोबाइल रखा है जेब में इस बात से डरा हम करते है

घंटो मिट्टी में खेला हम करते थे घर जाना है
हम इस बात पर भी सोचा नही करते थे।

मेरा बचपन कही छूट गया मानो आज
जिंदगी से जिंदगी का नाता टूट गया

बचपन में बीमार होने में भी अच्छा लगता था
आज बीमार हो जाये तो तकलीफ सी लगती है

नंगे पांव मिलो चल आया करते थे तकलीफ नही थी
आज घर में चप्पल नही उतरती ये तकलीफ सी है

जब मैं तेरे बारे

जब मैं तेरे बारे सोचता हूँ

आंखे भीग जाती है मेरी

दिन का चैन खो जाता है

और

रातो की नींद उड़ जाती है

सारे सपने भूल जाता हूं

ना सोता हूं ना जागता हु

पागलो की तरह बड़बड़ाता हुआ

लोगो को नजर आता हूं

जब मैं तेरे बारे में सोचता हूं

ना काम कर पाता हूं

ना खाली बैठ पाता हूं

तेरी याद में ना जाने कहाँ खो जाता हूं

तुझको भूल ही नही पाता हूं

फिर ये बात भी गलत लगती है

कि मैं तेरे बारे सोचता हूं

तू तो मेरे खयालो से नही जाती है

हर पल हर दम तू मेरी

सांसो की धड़कनों में धड़कती

हुई सुनी जाती है 

फिर कैसे कह रहा था मैं

की जब भी तू मेरी यादों में आती है

अब तो यह बात मेरी सांसो ने भी झुठलादी है

की जब तू मेरी यादों में आती है, आंखे भीग जाती है मेरी जब भी तेरी याद आती है।  

यह भी पढे: आंखे, आंखे भीग जाती है, तेरी आंखे, आंखे मन का दर्पण, जिंदगी तेरे बिना,

जिंदगी एक कविता

जिंदगी एक कविता की भांति ही है, जिसमे आपको जिंदगी के हर उतार चदाव के बारे में मिलता है, जिस तरह से जिंदगी आपको प्रोत्साहित करती है उसी तरह कविता भी, कविता में ही जिंदगी की सच्चाई छुपी मिलती है जो शब्दों के माध्यम से आपको बताती है, रूबरू कराती है।

मुस्कराहट का ही तो एक नाम है जिंदगी
जरा इसे मुस्कुराने ही दो,

ना गम के साये में खोने जाने दो यह है जिंदगी
जिसे मिली उसे कदर नहीं है

जिसे न मिली उससे पूछो जरा क्या है जिंदगी ?
न तड़पाओ न रोने दो बड़ी प्यारी है जिंदगी

इसे खिलने दो जरा यह खिलना चाहती है
क्योंकि खिलखिलाती सी है यह जिंदगी

गुदगुदाती सी है जिंदगी
बहुत हसाती है यह जिंदगी

रुलाती भी बहुत है जिंदगी
मिलकर जीने का नाम है जिंदगी

बिछड़ने का नाम है जिंदगी
फिर मिल जाने का नाम भी है जिंदगी

प्यारी सी मुस्कान है यह जिंदगी
खुद में जीने का नाम है जिंदगी

रूठे हुए को मनाना है जिंदगी
किसी अपने से रूठ जाना भी है जिंदगी

इंतज़ार भी है जिंदगी
अधूरी प्यास है जिंदगी

सहलाती हुई माथे पर हाथ रखती माँ है यह जिंदगी
माँ का आँचल है जिंदगी

पिता की डांट का नाम है जिंदगी
खुदसे प्यार करने का नाम है जिंदगी

मैं से मैं मिल जाना है जिंदगी
तुम और मैं को खत्म कर देना है जिंदगी

जिंदगी एक कविता की भांति ही है बस इस जिंदगी को उसी तरह से जिओ

यह भी पढे: जीवन से सवाल पूछो, जिंदगी के साथ चलना, जिंदगी से जिंदगी,