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झूठी मोहब्बत

झूठी मोहब्बत, यकीन नही आता
तुम्हे भी मुझसे
मोहब्बत थी
वो भी झूठी

वादे थे हमारे, वचन थे सुहाने,
पर अब ये सब लगते हैं वो सब ठगने।

तुम्हारी हंसी, तुम्हारी मुस्कान,
अब हर सब्बा में बस एक बहाना निगलते हैं।

जैसे रात का अंधेरा, जैसे ख़्वाबों का धोखा,
तुम्हारी बातों में छुपा था एक बड़ा सच्चा।

प्यार का वादा था, इकरार की आस,
पर तुम्हारे दिल का कच्चा, बोलता था झूठा वास।

मोहब्बत का झरोखा, दिखावे की दुकान,
तुम्हारे लिए ये सब था सिर्फ़ एक फ़साना।

अब दिल में ये गुज़रते हैं तूफ़ान,
तूम्हारी मोहब्बत की ये थी कहानी जहान।

सोचा था तुमसे मिलकर हम बनेंगे ज़माना,
पर तुम्हारे दिल का रास्ता था बस एक धोखा साना।

अब ज़िंदगी की कविता में ये शब्द लिखता हूँ,
तुम्हारी झूठी मोहब्बत का सत्य प्रकाशित करता हूँ।

वो झूठी मोहब्बत
झूठी मोहब्बत

पता नहीं

पता नहीं वो कौनसे राज छिपा के बैठे है अपने सीने में जो वो हर पल मुस्कुराते ही रहते है। ना वो हमसे कुछ कहते है और जिंदगी से उदास रहते है।

पता नहीं वो कौनसे राज छिपा के बैठे हैं,
अपने सीने में जो वो हर पल मुस्कुराते ही रहते हैं।

उनकी हंसी की बारिश में खो जाता हूँ,
मेरे दिल की झील में बह जाते हैं वो बार-बार।

जैसे छिपा हुआ है खुदा का एक राज़,
बिना वजह मुस्काने का वो उपहार देते हैं।

ना जाने कौनसे संगीत की सुरीली धुन,
उनके होंठों से बहती है बार-बार।

जब भी उनकी आँखों में देखता हूँ,
एक नया जहां बनता है हर बार।

वो राज़ी हैं खुदा से और अपने दिल से,
जैसे खिलते हैं फूल हर बगिया में बार-बार।

इतनी खुशियों से भरी है उनकी ज़िंदगी,
जैसे उजियारे हों सबके आस-पास हर जगह।

मालूम नहीं वो कौनसे राज छिपा के बैठे हैं,
पर उनकी मुस्कान से जगमगाती है दुनिया हर पल।

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खता हो गई

खता हो गई तो फिर सज़ा सुना दो दिल में इतना,
दर्द क्यूँ है वजह बता दो, इस दिल को राहत दिला दो।

जिंदगी के सफर में कभी-कभी हम गलतियाँ कर जाते हैं,
खुद से और दूसरों से गलत आश्वासन पाते हैं।
प्यार और विश्वास के क्षणों में हो जाती है ये भूल,
फिर इसे सुधारने का इरादा करते हैं हम सब।

पर दिल में जब दर्द बस जाता है बेवजह,
तो क्या कहें, कैसे समझाएँ वो अहसास महका दो।
इंसान होते हैं खामोश कुछ तो बात कर दो,
हालात को समझाने का मौका दे दो।

वक़्त के साथ चलने की कला ये सिखा दो,
गलती से जुदा हो गए तो भी राहत दिला दो।
हमसे भी तो बड़ी होती हैं गलतियाँ अक्सर,
क्षमा के फ़साने में सद्भाव समा दो।

खता हो गयी तो फिर सज़ा सुना दो दिल में इतना,
दर्द क्यूँ है वजह बता दो, इस दिल को राहत दिला दो।
बस, एक मौका दो हमें फिर से सुधारने का,
प्यार और माफ़ी की कहानी को फिर से बना दो।

खता हो गई तो फिर

खता हो गई तो फिर
सज़ा सुना दो दिल में इतना
दर्द क्यूँ है वजह बता दो

बिछड़कर फिर मिलेंगे

बिछड़कर फिर मिलेंगे यकीन कितना था,
ज़माने का डर भी था, अपने होने का यकीन कितना था।

बेशक ये ख्वाब था मगर हसीन कितना था,
सपनों की राहों में तुम्हारा अमन कितना था।

चाहे राहें जुदा करे, या दूरियाँ हो जाएं,
हमारी यादों में सदा तुम्हारा असर कितना था।

फिर मिलेंगे जब बातें करेंगे लम्हों की,
दिल की धड़कनों में तुम्हारा इश्क़ इतना था।

यकीन नहीं होता था थोड़ा सा वक़्त बिताने का,
जब भी मिलते थे हम, इक पल जैसे जीना ही था।

बिछड़कर भी जब फिर मिलेंगे, तब साथ रहेंगे हमेशा,
क्योंकि हमारे बीच का प्यार हमेशा हसीना है।

बिछड़कर फिर मिलेंगे यकीन कितना था

बिछड़कर फिर मिलेंगे यकीन कितना था
बेशक ये ख्वाब था मगर हसीन कितना था

दिल को छु जाए

जब दिल को छू जाए वो इश्क़ की राहत,
तब जान ले तू, दर्द की कहानी की बात।

मुझको समझने के लिए ज़माने की नहीं ज़रूरत,
बस इश्क़ कर, और ज़ख्मों को महसूस कर जरा।

मोहब्बत की इन्तहाँ नहीं होती कोई सीमा,
दर्द का इलाज़ लिख, मेरे शब्दों की एक रीमा।

जब तक न खो जाए तेरी रौशनी दिल की,
तब तक संग रहेगी, मेरी शायरी ये बेदिल की।

ना कर इतनी मेहनत तू, मेरे दर्द को समझने की,
प्यार कर, और वादे से भर दे ज़िंदगी की राहें।

संजय गुप्ता शायर

ना कर तू इतनी कोशिशे, मेरे दर्द को समझने की,
पहले इश्क़ कर, फिर ज़ख्म खा, फिर लिख दवा मेरे दर्द की

मेरी आवारगी में

मेरी आवारगी में कुछ दखल तुम्हारा भी है,
तेरी याद जब सताती है, दिल बेकरारा हो जाता है।

घर की चाहरदी सब अजनबी सी लगती है,
तेरे बिना यहां रहना, बस कठिन हो जाती है।

आवारगी में घूमते हैं ये रास्ते जहां,
तेरी यादों की महक साथ लेकर चलते हैं।

दिल की तनहाई में जब तेरी याद आती है,
घर बिखर जाता है, अकेलापन सताता है।

आवारगी में जब दिल तेरी तलाश में होता है,
तू घर की याद बनकर, दिल को संभालता है।

तेरी यादों की मधुर सुरी जब घर को छू जाती है,
खुशियों की चादर ओढ़ कर, दिल को भर जाती है।

मेरी आवारगी में कुछ दखल तुम्हारा भी है

मेरी आवारगी में कुछ दखल तुम्हारा भी है, क्यों की जब तेरी याद आती है तो घर अच्छा नही लगता

सिसकिया

जब उनकी शायरी सुनते हैं हम,
दिल में उठती है सिसकिया कभी न कभी।
वो कलम की जद्दोजहद से निकलते हैं,
दर्द की गहराईयों में खुद को भुलाते हैं।

उनके अल्फ़ाज़ रूह को छू जाते हैं,
जैसे एक आवाज़ हैं उनके संगीत में।
उनकी शायरी में छुपा है अमर रंग,
जो दिलों को छू जाता है उनके अंदाज़ में।

वो कलम के जादू में खुद को खो देते हैं,
अपनी रूह को उनकी शायरी में ढला देते हैं।
जब शब्दों की आड़ में उनकी ज़ुबान खुलती है,
हर दिल को खुदा का एक नया दिन दिखलाती है।

जिनकी शायरी से होती है सिसकियां,
वो शायर नहीं किसी आशिक़ के दीवाने होते हैं।
उनके अल्फ़ाज़ दिलों को छू जाते हैं,
और उनकी शायरी में बस खुदा की आस्था होती है।

जिनकी शायरियो में होती है सिसकिया
सिसकिया

जिनकी शायरियों में होती है सिसकिया,
वो शायर नहीं किसी ….. के दीवाने होते है..

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ऐ आईने

ऐ आईने , तेरी भी हालत अजीब है मेरे दिल की तरह।
दर्द की दस्तान लिखती है तेरी चेहरे की हर पल,
तेरे अंदर का गम समझना मुश्किल है हमारे लिए।

तेरे आईने में छिपी हर एक हकीकत दिखती है,
जैसे तेरे दिल की हर दरार बयां करने को तैयार है।
वक्त के साथ जब भी आईने की रौशनी बदलती है,
तेरी उदासी में हर बार हमारी रौशनी ढलती है।

तेरे आईने में छिपी हर एक अदा जब समाती है,
दिल की धड़कनें तेरे दीदार के इंतजार में बढ़ती हैं।
हर रोज़ जब तेरे साथ बिताए अपने लम्हे याद आते हैं,
मेरे दिल की तरह तेरे आईने के भी कुछ अलग अहसास जगाते हैं।

ऐ आईने, जहां भी जा, जैसा भी दिखा,
तेरी मुस्कान के आगे हमारी कलम हार जाती है।
तेरे आईने में छिपी हर एक कहानी सुनाती है,
मेरे दिल की तरह, तू भी किसी की तक़दीर बन जाती है।

ऐ आईने तेरी भी हालत अजीब है
shayri

ऐ आईने तेरी भी हालत अजीब है मेरे दिल की तरह
तुझे भी बदल देते हैं यह लोग तोड़ने के बाद

उलफ़त की कहानी

उलफ़त की कहानी लिखते हैं हम शेरों की ज़ुबान से,
जब दिल का इश्क़ उभरता है, और रूह को छू जाता है।

उल्फ़त की चाहत में जब दिल बेकरार हो जाता है,
हर वक़्त उसका जिक्र करने को तैयार हो जाता है।

जब उल्फ़त का रंग बदलता है वक़्त के साथ,
दिल में नयी धड़कनों की आवाज़ उठ जाती है।

उल्फ़त की आग में जब दिल जलता है,
हर एक दर्द को बहुत गहरा महसूस करता है।

उल्फ़त की बेवफ़ाई में जब दिल टूट जाता है,
हर एक ख्वाब बर्बाद हो जाता है।

उल्फ़त की इक नज़र जब दिल को चूमती है,
ज़िन्दगी की हर चीज़ प्यार की मिसाल बन जाती है।

उल्फ़त की बातें करते हैं हम शेरों की ज़ुबान से,
जब इश्क़ की लहरें दिल को बहुत भाती हैं।
उलफ़त की कहानी लिखते हैं हम शेरों की ज़ुबान से,
जब दिल का इश्क़ उभरता है, और रूह को छू जाता है।

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इश्क मोहब्बत क्या है

इश्क मोहब्बत क्या है, कौन समझा सकता है,
दिल में उतर जाता है, फिर रूह को सताता है।

ये एक आग है जो जलती है बिना बुझने,
जब तेरे दीदार का ख्वाब मन में छाने।

इश्क की बारिश में जब दिल भीग जाता है,
हर सांस तेरे नाम पर ज़िंदगी बस बिताता है।

दर्द की गहराई में जब आँखें नम हो जाती हैं,
इश्क के रंग में जब दिल खुद को खो जाता हैं।

ये जुनून है जो दिल को भरमा देता है,
जिस्म को जला देता है, रूह को जला देता है।

इश्क मोहब्बत क्या है, जब बयां करने की ज़रूरत नहीं,
सिर्फ एहसासों को अपने दिल में बसाने की चाहत है।

इश्क मोहब्बत क्या है

इश्क मुहब्बत क्या है..?
मुझे नही मालूम…?
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बस …..
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तुम्हारी याद आती है..?
सीधी सी बात है