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मेरे ख्यालों में ही

तुम मेरे ख्यालों में ही रहा करो,
ज़िंदगी की धूप में मेरे साथ ज़िंदा रहा करो।
तुम्हारी छाँव में मेरी रातें चमकेंगी,
तुम्हारी आवाज़ में मेरे गीत मेरी यादें बनेंगी।

तुम मेरे ख्यालों की बारिश की बूंदों में बरसो,
मेरी हर सांस में तुम चहकों बसो।
जब भी धड़कनें रुक जाएं, मेरे पास आना,
तुम्हारे होंठों से मेरी ज़िंदगी मिलाना।

तुम मेरे ख्यालों मे बिखरा करो मिलकर,
मेरी हर चाह को अपनी ख्वाहिश बना कर।
तुम्हारी मुस्कान बन जाए मेरी चंदनी रातों की,
तुम्हारी आँखों में खो जाए मेरी जिंदगी रातों की।

तुम मेरे ख्यालों में ही रहा करो,
मेरे दिल की हर धड़कन में बसा करो।
जब भी तन्हा महसूस करो, मेरा नाम बुलाना,
तुम्हारे साथ रहकर मुझे हमारी दुनिया सजाना।

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उनकी ना थी खता

उनकी ना थी खता, हम ही कुछ गलत,
समझ बैठे यारो, आँखों की चलती हुई हवा,
जब परछाईयाँ भी अलग हो गई थीं,
हमने उनको खो दिया था अपनी निगाहों से।

दिल में जो दरारें हो गई थीं,
वो कोई बात नहीं थी तुम्हें बताने की,
गलती हमारी थी, हमने नजर उठाने की,
जब चाहा था तुम्हें समझाने की।

आज भी उनकी याद आती है रातों में,
वो दिन जब हमने बातें की थीं कई,
पर एक गलती ने सब बिगाड़ दिया,
और उन्हें खो दिया हमने बहुत जल्दी।

क्या करें अब हम, बातें रह गईं अधूरी,
दिल में छेड़ी हुई यादें दर्द सह रही हैं,
बस यही सोचकर रह जाते हैं हम,
कि उनकी ना थी खता, हम ही कुछ गलत।

उनकी ना थी खता
उनकी न थी खता

उनकी न थी खता, हम ही कुछ गलत
समझ बैठे यारो….
वो मुहब्बत से बात करते थे, तो हम मुहब्बत
समझ बैठे ….

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तलाश न करना

कभी शब्दों में तलाश न करना वजूद मेरा,
ज्यों की आवाज़ में छुपी है मेरी कहानियाँ।
मैं सदैव फूलों के रूप में खिलता हूँ,
खुद अपनी मुस्कान से गुलशन सजाता हूँ।

हर एक पंक्ति में छुपी है मेरी रूह की गहराई,
जैसे काव्य के स्वर्गीय आभूषण बनी है।
इस जगत के रंग और धुंध से परे,
मैं लहरों के संग अपनी विचारधारा लाता हूँ।

जब चांदनी रातों में चाँद तितलियों संग नाचता है,
मैं सदैव अपने सपनों को सच में बदलता हूँ।
मेरे शब्द नहीं, मेरे भाव ही मेरी उपस्थिति हैं,
इस शायर की दुनिया में अक्सर इसीलिए बसता हूँ।

तो खोजें न शब्दों का मेरे मित्र, तलाश मेरी आत्मा की,
मेरी कविताओं में छिपा है एक अनमोल रहस्य।
सदैव जीवित रहता हूँ मैं अपनी शायरी के रूप में,
तो लिखें और पढ़ें मेरे वचन, और खुद को पाता हूँ।

कभी शब्दों में तलाश न करना वजूद मेरा
कभी शब्दों में तलाश न करना वजूद मेरा

कभी शब्दो में तलाश ना करना वज़ूद मेरा,
मैं उतना लिख नहीं पाता जितना तुम्हें चाहता हूँ..

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हम आसमान छूते है

अगर हमारे रोकने से वो रूक जाते
तो हम उनके सामने झुक जाते, हम आसमान छूते है

हम आसमान छूते है
Sanjay gupta shayri

जब हमारी रफ्तार से उन्मुक्त हो जाते,
और दूर तक वो हमें रोकने की कोशिश करते,
तो उन्हें जवाब में हम ये शायरी लिखते:

ज़िंदगी की राहों में चाहते हो रोकना हमें,
हम तो उड़ान भरने का जुनून रखते हैं।
ये वक्त नहीं रुकने का, ये रवाना हैं हम,
कोई ताकत नहीं जो हमें थाम सकते हैं।

जब बादलों की तरह हम आसमान छूते है,
और चाहते हो तुम हमें यहाँ ठहराने के लिए,
तो ये ख़्वाबों की दुनिया है, ये अद्भुत हैं जगह,
कोई बंधन नहीं जो तुम हमें थाम सकते हैं।

हम नदियों के सागर से उछलते हैं,
और चाहते हो तुम हमें बंधन में बांधने के लिए,
तो जाओ तुम और खो जाओ अपनी कहानी में,
हम तो खुद ज़िन्दगी के साथ निभाते हैं।

ये रास्ते नहीं रुकने का, ये आगाज़ हैं हमारा,
जिन्दगी की लहरों में हम बहते चलते हैं।
तुम चाहे जैसे भी हमें रोको, हम नहीं थमेंगे,
शायरी के सहारे अब हम बदलते चलते हैं।

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इश्क की खुमारी

जो शायरियाँ लिखी थी तेरे इश्क की खुमारी में
आज उसकी कीमत दस रुपए लगाई है कबाड़ी ने

इश्क की खुमारी
Sanjay gupta shayri

जो शायरियाँ लिखी थी तेरे इश्क की खुमारी में
आज उसकी कीमत दस रुपए लगाई है कबाड़ी ने

दिल की बातें जो लिखी थीं, वो अब बेचने आए हैं,
उन अक्षरों को अब एक मोहल्ले में बसाने आए हैं।

कितनी मेहनत से रची थीं वो शेरों की पंक्तियाँ,
आज उनकी कद्र बस रुपए की बिक्री में होती है।

प्यार की कहानियाँ, ज़िन्दगी की कविताएँ,
कबाड़ी की आँखों में बेचने को आज लाए हैं।

मेरे इश्क़ के बदले, दस रुपए की कीमत,
ये कैसी दुनिया है, ये कैसी कहानी है।

पर शायरी की ताकत नहीं घटी है मेरे दोस्त,
वो दिलों को छूने की क्षमता आज भी रखती है।

वैसे तो कई शिकवे

वैसे तो कई शिकवे है
Sanjay gupta shayri

वैसे तो कई शिकवे हैं तुम्हारे हमसे, पर सुनो!
शिक़ायत करती हो तो बहुत प्यारी लगती है…

वैसे तो कई शिकवे है तुम्हारे,
मगर शायरी के जरिए अदाएं करते हैं हम।
जब भी तुम्हें याद करते हैं हम,
दरिया-ए-गम में इक नया सफ़र तराशते हैं हम।

तुम्हारी बातों में ज़रा सी ढ़ेर है गिले,
मगर उन गिलों को शायरी के रंगों में रंगते हैं हम।
कभी गुस्सा करते हो तुम हमसे,
शब्दों की लहरों में वफ़ा की आवाज़ बुलाते हैं हम।

जब तुम्हें अकेलापन महसूस होता है,
शायरी की बाँहों में तुम्हें ले आते हैं हम।
मोहब्बत की कश्ती के लिए जो शिक्वे हैं,
उन शिक्वों को रूह की गहराईयों में छिपाते हैं हम।

तुम्हारी यादों की बारिश में बहते हैं हम,
ज़िंदगी की मस्ती को नया रंग देते हैं हम।
शिकवे हो या गिले, तुम्हारे हर एहसास में,
शायरी की ज़ुबान से प्यार का इज़हार करते हैं हम।

चेहरे की खुशी

किसी के चेहरे की खुशी को अपनी खुशी समझना
शायद इसी का नाम मोहब्बत है….

जब उसकी हंसी से दिल मुस्कराता है,
जीवन के गमों को भूल जाता है।

उसकी नज़रों में खिलती है ज़िंदगी की रौशनी,
हर लम्हे में बहार और हर ग़म को भुलाती है।

जब वो प्यार से मुस्कराती है,
दिल में ख़ुशी का आगाज़ हो जाता है।

उसकी मुस्कान का इतना असर है,
जैसे ख्वाबों को रंगीं आशियाँ बनाती है।

मोहब्बत का नाम है ये ज़िंदगी की ख़ूबसूरती,
जो खुद को भूलकर दूसरों को ख़ुशी देती है।

इस मोहब्बत की रौशनी में जीना है ज़रूरी,
चेहरे की खुशी को अपनी खुशी समझना है मज़बूरी।

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सोचकर बाजार गया

सोचकर बाजार गया था अपने कुछ अश्क़ बेचने…
हर खरीददार बोला, अपनों के दिये तोहफे बिका नहीं करते

मेरे दिल की गहराइयों में छुपी है ये कहानी,
जहाँ दर्द के बीज उगाए, प्यार के फूल खिला नहीं करते।

प्यार की कीमत सबको समझाने को आया था मैं,
पर जब देखा दुनिया ने, रिश्तों का मोल गिना नहीं करते।

हर चेहरे के पीछे छुपा है दर्द और गम का सौदा,
जब तक शायद उन्हें ख़रीदने वाला उनकी अदा समझा नहीं करते।

अश्क बिकाने गया था बाज़ार में, लेकिन वहाँ कोई ख़रीदने वाला नहीं,
क्योंकि प्यार और दर्द की कीमत कोई तोला नहीं करते।

सोचकर बाजार गया था।

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अधूरा ही रहने दे

मुकम्मल ना सही तो अधूरा ही रहने दे
ऐ सितमगर, ये इश्क है कोई मकसद तो नहीं।

दिल की गहराईयों में छुपी उम्मीदें हैं,
जो जगा रहीं हैं, मगर अभी तक नहीं मिली।

आग जब भी जलती है, दिल में एक ख्वाहिश है,
जो बुझा रहीं हैं, मगर अभी तक नहीं मिली।

खुशियों की दौलत में कुछ कमी सी है,
जो पूरी नहीं हुई, वो ख्वाब तो नहीं मिली।

शायद ये इश्क ने छीन ली है सारी रातें,
पर वो सुबह अभी तक नहीं मिली।

ज़िंदगी की राह में इश्क का सफर जारी है,
कुछ ऐसी ही अधूरी कहानी रहने दे।

ऐ सितमगर, तू ही तो है जो रुका है मेरे दिल को,
मुकम्मल ना सही, पर अधूरा ही रहने दे

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Chaho Agar

Mere likhe hue sher part-8 , chaho agar koi pyara sa insaan,chaho agar ek pyari si muskaan,chaho agar ek pyara sa dil,jis dil main ho tumhari pehchaan,to sahi chuna hai tune mujhe

141. kat rahi hai jindagi kaat raha hun…
kuch apne kuch paraye rishte apne kandhon par dho raha hun…
koi sochta hai kuch achcha bhi mera ..
to uski kya galti jo bura hi hota hai mera…
nikal lunga yun hi  hanste hue main jindagi ka safar…
jindagi ka pata nahin maut ko to bana lunga humsafar mera…

142. Mera dil todkar tune kuch bura toi nahin kiya…
ab har tukda ek seene main dhatakta hai…

143.mujhse na poocho unki nazron main jaake dekho ..
aj mere saath nahin par mujhe dhoondhti to hai…
haal mera nahin unka bhi dekho…
wo mere nahin hai.. par mera dil to unka hi hai…

144.Mat pooch mere dost meri maut ke nazaare hain hazaar…
Ek choti si maut se mera kya hoga…

145.Pyar
ek haseen lamha ya lamho ki kadi…
lamhon ki kadi ya janzeer…
mazboot janzeer ya kamzor kadiyan…
kamjor kadi ya dil ki lagi…
ye dil ki lagi ya dillagi…
dillagi hi  main dil kho gaya…
dil kho gaya ki mila naya thikana…
dil ka theekana mera ya uska bhi hai…
wo mera paraya hai aur main uska hi hai…

146.bas dhundhli si yaad hai baaki…
bas unka ek ehsaas hai baki…
Berukhi ka shikaar hua hun…
Bas shikaar ki maut hai baaki…

147.Is Tofano se bhari jindagi ke saagar main wo mera sathi tha…
wo mera majhi tha par humsafar nahin tha…
meri jindagi ki nav ko kinaare lagake use chor ke jaana hi tha…
wo chor gaya beech majhdaar main hi toofano main akela…
majhi main humsafar dhoondha to ye to hona hi tha…
chalo ab tairna bhi aagaya pehle to bas doobna hi ata tha…

148.humain bhi pata hai wo sahi nahin hai
unhe bhi pata hai ki hum galat nahin hain..
yuhi ek pal main chor diya unko…
dil tod diya mera ki sheesha nahin hain…

149.chalna to chahat hun par paon hi nahin hai…
udna main chahata hun par pankh hi nahin hai…
rona main chahata hun par ankhon main ansun hi nahin hai…
chal to lun bina paon ke bhi par koi sahara hi nahin hai…
ud to lun sapno main hi par ab koi sapna bhi nahin hai..
ro to lun kisi aur ke dukh par… na jaane kyun mere siwa koi ab dukhi bhi nahin hai…

150.Ye kaisa pyar hai ki jata nahin
Nafrat hai tumse ki pyar nahin…
Ladai bhi tumse baat bhi tumse
Bas ab teri yaad hai tera saath nahin…

151.Hogaya ab wahi jo hona nahin chahiye tha…
khogaya ab wohi jo khona nahin chahiye tha…
karna hai ab wahi jo karna nahin chahiye tha…
bas milta hi nahin jo mujhe chahiye tha…

152. tu bewafa hai ye to main nahin janta…
main galat tha ya tu galat ye bhi main nahin janta..
janta hun to bas itna ki tujhe bhoolna nahin janta…
meri jindagi tere bina ek pal bhi bitana nahin janta…

153.paas hi baithe hain par kitni dooriyan hai…
dekhte hain mujhko par nazren kahin aur hain…
pehle nazroon ka dayra bhi chota na tha…
ab to dil ke dayre main bhi koi aur hai…

154.hum to dhoondhte hain bahane mehkhane bhi jana tha…
kabhi khushi to kabhi gum bhi bahana tha…
kabhi main to kabhi koi aur bhi bahana tha…
bas peena tha mujhe tu to bas ek bahana tha…

155.Mujhe tu kya poochta hai pyar ke maane…
main to khud dhoondh raha hun mohabbat ke paimaane…
is saagar main na utarna tairne ke bahaane…
yahan to kood ke aana hai sirf doobjaane…

156.chaho agar koi pyara sa insaan,
chaho agar ek pyari si muskaan,
chaho agar ek pyara sa dil,
jis dil main ho tumhari pehchaan,
to sahi chuna hai tune mujhe,
Parchayi nazar ayegi usiki jo dekho meri ankhon main.

157.pyar karna bhi aasaan nahin tumse…
chor dena to mumkin hi nahin ek bar jo mil liya tumse…
lo Pyar to kar liya hai beshumar tumse…
par chorne ki choti si koshish bhi nahin ho pati humse…

158.Ek andaaj ye bhi hai humara….
kuch dard hai unka kuch saath hai humara…

159.
Maine kya khoya maine kya paya…
sochne biatha to bas itna paya…
ki sochta raha kya hai khona pana…
to kahin aisa na ho jaye…
wo bhi khodun jo badi mushkil se hai paya…

160.
Jo bhoolne layak tha…
wo to kisi layak hi nahin tha…
use bhooljana hi behtar hai..

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