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मेरी आँखों को पढ़

जुबां से कह नहीं सकता तुझे एहसास तो होगा,
मेरी आँखों को पढ़ लेना, मुझे तुम से मोहब्बत है।

जब तेरे आगे दिल थाम कर रुक जाता है,
वो लफ्ज जो जुबां से कह नहीं पाता है।

तेरे हर एक नजर को चुपके से चुराना है,
मेरे दिल की बातें जो छुपी हैं, सुनाना है।

जुबां से कह नहीं सकता, एहसास तो होगा तुझे,
मेरी आँखों की झलक से ये बात साफ होगी।

तेरे नज़दीक आकर मेरे दिल को बहला जाता है,
तेरे रूख को देखकर ये रूह मचला जाती है।

मोहब्बत की इस राह में जो हम चल रहे हैं,
जुबां से कह नहीं सकता, तू समझ जाएगी ये बात।

जो दिल के करीब हो, वो दिल की बातें समझता है,
तेरी आँखों में पढ़ लेना, ये अदा जानता है।

मेरी आँखों की तारीफ करने की कोशिश न कर,
क्योंकि वो जुबां से कह नहीं सकती, तो भी एहसास होगा।

मुझे तुम से मोहब्बत है, ये बात हमेशा रहेगी,
तेरी आँखों से पढ़ लेना, ये अदा याद रहेगी।

मेरी आँखों को पढ़ लेना
संजय गुप्ता शायरी

जुबां से कह नही सकता तुझे एहसास तो होगा
मेरी आँखों को पढ़ लेना मुझे तुम से मोहब्बत है

दर्द का दिखावा

दर्द का दिखावा करने की बात नहीं हमे,
शायरी के जरिए अपनी दिल की बात कहने की है फिजूल सी चाह।
ये शब्द बस एक जुबां का खेल है,
जो हमारे दिल के अंदर छुपे दर्द को बयां करता है खूबसूरती से।

जब रोया था दिल, तो शब्दों के आँसू बहाए,
जब जला था दिल, तो शायरी की रोशनी जगाए।
ये कलम हमारी खुद की आवाज़ है,
जो दर्द को सुनाती है अपनी जुबान से खामोशी से।

शायरी के रंग में रंगते हैं हम,
दिल की बातों को सुनाते हैं हम।
जब खो जाते हैं शब्दों में तबाही,
शायरी के जरिए उभरते हैं हम नयी मिशालों में।

दर्द का दिखावा नहीं होता हमारी शायरी में,
वो सच्चा दर्द हमारे गीतों में छिपा है।
जब तक शब्दों की रौशनी है ज़िंदगी की राहों में,
दर्द और शायरी का मेल हमारी पहचान बनी है।

दर्द का दिखावा
Shayri

हमे नहीं आता दर्द का दिखाना
बस अकेले रोते हैं और सो जाते हैं

उनकी ना थी खता

उनकी ना थी खता, हम ही कुछ गलत,
समझ बैठे यारो, आँखों की चलती हुई हवा,
जब परछाईयाँ भी अलग हो गई थीं,
हमने उनको खो दिया था अपनी निगाहों से।

दिल में जो दरारें हो गई थीं,
वो कोई बात नहीं थी तुम्हें बताने की,
गलती हमारी थी, हमने नजर उठाने की,
जब चाहा था तुम्हें समझाने की।

आज भी उनकी याद आती है रातों में,
वो दिन जब हमने बातें की थीं कई,
पर एक गलती ने सब बिगाड़ दिया,
और उन्हें खो दिया हमने बहुत जल्दी।

क्या करें अब हम, बातें रह गईं अधूरी,
दिल में छेड़ी हुई यादें दर्द सह रही हैं,
बस यही सोचकर रह जाते हैं हम,
कि उनकी ना थी खता, हम ही कुछ गलत।

उनकी ना थी खता
उनकी न थी खता

उनकी न थी खता, हम ही कुछ गलत
समझ बैठे यारो….
वो मुहब्बत से बात करते थे, तो हम मुहब्बत
समझ बैठे ….

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हम आसमान छूते है

अगर हमारे रोकने से वो रूक जाते
तो हम उनके सामने झुक जाते, हम आसमान छूते है

हम आसमान छूते है
Sanjay gupta shayri

जब हमारी रफ्तार से उन्मुक्त हो जाते,
और दूर तक वो हमें रोकने की कोशिश करते,
तो उन्हें जवाब में हम ये शायरी लिखते:

ज़िंदगी की राहों में चाहते हो रोकना हमें,
हम तो उड़ान भरने का जुनून रखते हैं।
ये वक्त नहीं रुकने का, ये रवाना हैं हम,
कोई ताकत नहीं जो हमें थाम सकते हैं।

जब बादलों की तरह हम आसमान छूते है,
और चाहते हो तुम हमें यहाँ ठहराने के लिए,
तो ये ख़्वाबों की दुनिया है, ये अद्भुत हैं जगह,
कोई बंधन नहीं जो तुम हमें थाम सकते हैं।

हम नदियों के सागर से उछलते हैं,
और चाहते हो तुम हमें बंधन में बांधने के लिए,
तो जाओ तुम और खो जाओ अपनी कहानी में,
हम तो खुद ज़िन्दगी के साथ निभाते हैं।

ये रास्ते नहीं रुकने का, ये आगाज़ हैं हमारा,
जिन्दगी की लहरों में हम बहते चलते हैं।
तुम चाहे जैसे भी हमें रोको, हम नहीं थमेंगे,
शायरी के सहारे अब हम बदलते चलते हैं।

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तुम्हारी याद है ना

तुम्हारी याद है ना

तुम्हारी है याद ना 


यही एक मेरी जायदाद है , ये जो तुम्हारी याद है ना बस,
जैसे खुदा का एक फ़रमान है यहाँ।
जब भी याद आती हो तुम मुझे,
दिल में ज़िंदगी का एक हसीन शहर बसा है यहाँ।

हर एक पल में तेरी याद में खो जाते हैं हम,
कुछ अलग सा एहसास जगाती हो तुम।
जैसे हवाओं की झोंका हो तुम मेरे दिल में,
इस तरह बसते हो तुम इस दिल के किनारे पर।

चाहत की बूंदों में संग बहाते हो तुम,
ख्वाबों की दुनिया में ले जाते हो तुम।
जब भी याद आती हो तुम मुझे,
आंखों में चमक और दिल में खुशियाँ जगाते हो तुम।

ये जो तुम्हारी याद है न बस,
इसे शायरी की बहार बना देते हैं हम।
तुम्हारी याद जैसे गुलाब की खुशबू,
मेरे जीवन की राहत और सुखद समां है यहाँ।

सोचकर बाजार गया

सोचकर बाजार गया था अपने कुछ अश्क़ बेचने…
हर खरीददार बोला, अपनों के दिये तोहफे बिका नहीं करते

मेरे दिल की गहराइयों में छुपी है ये कहानी,
जहाँ दर्द के बीज उगाए, प्यार के फूल खिला नहीं करते।

प्यार की कीमत सबको समझाने को आया था मैं,
पर जब देखा दुनिया ने, रिश्तों का मोल गिना नहीं करते।

हर चेहरे के पीछे छुपा है दर्द और गम का सौदा,
जब तक शायद उन्हें ख़रीदने वाला उनकी अदा समझा नहीं करते।

अश्क बिकाने गया था बाज़ार में, लेकिन वहाँ कोई ख़रीदने वाला नहीं,
क्योंकि प्यार और दर्द की कीमत कोई तोला नहीं करते।

सोचकर बाजार गया था।

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अधूरा ही रहने दे

मुकम्मल ना सही तो अधूरा ही रहने दे
ऐ सितमगर, ये इश्क है कोई मकसद तो नहीं।

दिल की गहराईयों में छुपी उम्मीदें हैं,
जो जगा रहीं हैं, मगर अभी तक नहीं मिली।

आग जब भी जलती है, दिल में एक ख्वाहिश है,
जो बुझा रहीं हैं, मगर अभी तक नहीं मिली।

खुशियों की दौलत में कुछ कमी सी है,
जो पूरी नहीं हुई, वो ख्वाब तो नहीं मिली।

शायद ये इश्क ने छीन ली है सारी रातें,
पर वो सुबह अभी तक नहीं मिली।

ज़िंदगी की राह में इश्क का सफर जारी है,
कुछ ऐसी ही अधूरी कहानी रहने दे।

ऐ सितमगर, तू ही तो है जो रुका है मेरे दिल को,
मुकम्मल ना सही, पर अधूरा ही रहने दे

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Sirf ashk hi gwahi

Sirf ashk hi gwahi hai

1) Sirf ashk hi gwahi de sakte hain meri ki dil ……. kitni siddhat se yaad karta hai tujhe

2) Cheen leta hai har cheez mujh se e khuda …………..kya tu mujhse bhi zyada greeb hai

3) Raste me koi meel ka pathar nhi aaya muddat se safar …………….me hoon abhi tak ghar nhi aaya

4) Akkl me yun to nhi koi kmi ek zra diwangi barkrar hai

5) Bahana koi to de e zindgi ki zine k liye majboor ho jaun

6) Kuch duri rakhiye mujhse nhi to mohabbat ho jaegi…..

7) Koshish na kr sbhi ko khus rakhne ki
Kuch logon ki narazgi bhi zaruri hai charcha me bne rahne k liye

8) Main apna haal likhta rahta hoon
Or log ise mohabbat kahte hain

9) Jhurriyan pad gyi hain chahre pr use yad kartey kartey
Kambakht ek bar dekhne bhi nhi aata

10) Buzdil hain vo log jo mohabbat nhi karte
Bahut hosla chahiye barbad hone k liye

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Chaho Agar

Mere likhe hue sher part-8 , chaho agar koi pyara sa insaan,chaho agar ek pyari si muskaan,chaho agar ek pyara sa dil,jis dil main ho tumhari pehchaan,to sahi chuna hai tune mujhe

141. kat rahi hai jindagi kaat raha hun…
kuch apne kuch paraye rishte apne kandhon par dho raha hun…
koi sochta hai kuch achcha bhi mera ..
to uski kya galti jo bura hi hota hai mera…
nikal lunga yun hi  hanste hue main jindagi ka safar…
jindagi ka pata nahin maut ko to bana lunga humsafar mera…

142. Mera dil todkar tune kuch bura toi nahin kiya…
ab har tukda ek seene main dhatakta hai…

143.mujhse na poocho unki nazron main jaake dekho ..
aj mere saath nahin par mujhe dhoondhti to hai…
haal mera nahin unka bhi dekho…
wo mere nahin hai.. par mera dil to unka hi hai…

144.Mat pooch mere dost meri maut ke nazaare hain hazaar…
Ek choti si maut se mera kya hoga…

145.Pyar
ek haseen lamha ya lamho ki kadi…
lamhon ki kadi ya janzeer…
mazboot janzeer ya kamzor kadiyan…
kamjor kadi ya dil ki lagi…
ye dil ki lagi ya dillagi…
dillagi hi  main dil kho gaya…
dil kho gaya ki mila naya thikana…
dil ka theekana mera ya uska bhi hai…
wo mera paraya hai aur main uska hi hai…

146.bas dhundhli si yaad hai baaki…
bas unka ek ehsaas hai baki…
Berukhi ka shikaar hua hun…
Bas shikaar ki maut hai baaki…

147.Is Tofano se bhari jindagi ke saagar main wo mera sathi tha…
wo mera majhi tha par humsafar nahin tha…
meri jindagi ki nav ko kinaare lagake use chor ke jaana hi tha…
wo chor gaya beech majhdaar main hi toofano main akela…
majhi main humsafar dhoondha to ye to hona hi tha…
chalo ab tairna bhi aagaya pehle to bas doobna hi ata tha…

148.humain bhi pata hai wo sahi nahin hai
unhe bhi pata hai ki hum galat nahin hain..
yuhi ek pal main chor diya unko…
dil tod diya mera ki sheesha nahin hain…

149.chalna to chahat hun par paon hi nahin hai…
udna main chahata hun par pankh hi nahin hai…
rona main chahata hun par ankhon main ansun hi nahin hai…
chal to lun bina paon ke bhi par koi sahara hi nahin hai…
ud to lun sapno main hi par ab koi sapna bhi nahin hai..
ro to lun kisi aur ke dukh par… na jaane kyun mere siwa koi ab dukhi bhi nahin hai…

150.Ye kaisa pyar hai ki jata nahin
Nafrat hai tumse ki pyar nahin…
Ladai bhi tumse baat bhi tumse
Bas ab teri yaad hai tera saath nahin…

151.Hogaya ab wahi jo hona nahin chahiye tha…
khogaya ab wohi jo khona nahin chahiye tha…
karna hai ab wahi jo karna nahin chahiye tha…
bas milta hi nahin jo mujhe chahiye tha…

152. tu bewafa hai ye to main nahin janta…
main galat tha ya tu galat ye bhi main nahin janta..
janta hun to bas itna ki tujhe bhoolna nahin janta…
meri jindagi tere bina ek pal bhi bitana nahin janta…

153.paas hi baithe hain par kitni dooriyan hai…
dekhte hain mujhko par nazren kahin aur hain…
pehle nazroon ka dayra bhi chota na tha…
ab to dil ke dayre main bhi koi aur hai…

154.hum to dhoondhte hain bahane mehkhane bhi jana tha…
kabhi khushi to kabhi gum bhi bahana tha…
kabhi main to kabhi koi aur bhi bahana tha…
bas peena tha mujhe tu to bas ek bahana tha…

155.Mujhe tu kya poochta hai pyar ke maane…
main to khud dhoondh raha hun mohabbat ke paimaane…
is saagar main na utarna tairne ke bahaane…
yahan to kood ke aana hai sirf doobjaane…

156.chaho agar koi pyara sa insaan,
chaho agar ek pyari si muskaan,
chaho agar ek pyara sa dil,
jis dil main ho tumhari pehchaan,
to sahi chuna hai tune mujhe,
Parchayi nazar ayegi usiki jo dekho meri ankhon main.

157.pyar karna bhi aasaan nahin tumse…
chor dena to mumkin hi nahin ek bar jo mil liya tumse…
lo Pyar to kar liya hai beshumar tumse…
par chorne ki choti si koshish bhi nahin ho pati humse…

158.Ek andaaj ye bhi hai humara….
kuch dard hai unka kuch saath hai humara…

159.
Maine kya khoya maine kya paya…
sochne biatha to bas itna paya…
ki sochta raha kya hai khona pana…
to kahin aisa na ho jaye…
wo bhi khodun jo badi mushkil se hai paya…

160.
Jo bhoolne layak tha…
wo to kisi layak hi nahin tha…
use bhooljana hi behtar hai..

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Sab se Milta Hun

sab se milta hun , wohi karte hain jo unko hai pasand bhale hi galat kyun na ho…wohi soch lete hain jo unki soch hai bhale hi galat kyun na ho…

121. sab se milta hun…bahot hansta bhi hun…
par jab bhi tujhse milta hun…
aankh main ek ansun hota hai…jise tujhse hi chupata hun…
jise jindagi samajhta hun… usse hi jhooth bolta hun…
jaane in aansuon ko kiska intezaar hai… par uske saamne nahin ro sakta hun…
kabhi to samajh jao mere armano ko… waise to main bhi inhe samjhaata hun… bas yu hi main sab se milta hun

122. pyar to kar liya yun hi maine…
na socha na samjjha ek pal bhi maine…
ab samajh aya hai pyar sirf kiya tha maine…
kiya bhi to kisse kiya pyar maine…
bewafa hi hoti to samjhaleta khud ko…
yahan to wafa main bhi dhoka khaya hai maine…
par abhi bhi umeed nahin chori hai maine…
shayad galti hi koi ki hogi maine…

123. baton ka silsila to abhi shuru hi hua tha…
wo fir chale gaye baat adhoori chor kar…
abhi to mujhe apna haale dil bayan karna tha…
bas chor gaye tadapte hue mujhe apne haal par…

124. chalo ek aur raat gujri.. lo fir naya savera hai…
chalo ek aur ansun bahaya hai maine.. lo fir mera dil muskuraya hai…
chalo ek aur baar thukraya hai tune.. lo fir maine tujhe apnaya hai…
chalo ek baar fir mera saath diya tune.. lo fir ada kiya shukriya hai…

125.lo mujhe koi apna sa mil gaya…
mera har sapna sa khil gaya…
ab fir se jaagna nahin chahata…
maut main bhi jindagi ka ehsaas sa mil gaya…

126.intezaar unko bhi hai meri dhadkano se nikalte unke naam ko sunne ka…
betab wo bhi hai mere khayalon main unke ehsaas ko janne ka…
bas dikhate nahin hain kabhi apne chehre pe…
par intezaar unko bhi hamare paigamo main chupa unke like hamare pyar ko jaan ne ka…

127.sunkar teri meethi meethi baten, kano main mishri si ghul rahi hai…
pyar main teri saare jahan ki khusiyan bhi mil rahi hai..
bas yunhi jindagi bhar saath dene ka wada karo…
bas yahi soch kar mere dil ki har kali khil rahi hai…

128.chah kar bhi wo raat nahin bhool pata…
wo haathon main haath, tera saath nahin bhool pata…
saansen lena bhale hi bhool jaun…
par teri sanson ki khusboo nahin bhool pata…

129.bahot pyar dekar bhi dekha…
bahot saath dekar bhi dekha…
duniya se tere liye ladkar bhi dekha…
tere sath sabke liye bura bankar bhi dekha…
bas na dekha to teri ankhon ek pyar ka lamha nahin dekha…
teri ankhon main pyar ka ek sapna bhi dekha….
bas us sapne main kahin mera saya bhi nahin dekha…

130.chal chor diya tujhe bhi apne haal par..
chal choot gaya main bhi apne hi haal par…
ab is haal main bhi behaal sa hun…
par fir bhi hansta hun har haal par…

131.jaane kis hosh main tha main jo madhosh ho baitha…
jaane tu kis madhoshi main tha jo apne hosh kho baitha…
ab na chahata hun ki hosh main aun, na ane dun…
bas ab har pal rahun beshosh sa baitha…

132.har pal chaha hai tujhe, har pal chaunga main tujhe…
har pal na chahun, to koi bahana nahin hai…
har pal hi chahun tujhe, itni deewangi nahin hai…
khud bhi uljhan main hun…har pal chahun na chahun tujhe…

133. jo kat gaya wo majil ka rasta nahin tha…
jo mil gayi wo manjil ka thikana nahin tha…
nikle the jiski ki talash hum akele in rahon main…
wo to kya milna tha uska saya bhi nahin tha…

134. begano main itna kho gaya hun…ki apno ko bhool gaya hun…
begano ki nafrat kahakar bhi unke saath hun…apno ka to pyaar bhi bhool gaya hun…

135.karte hain ansuna par sunna bhi mazboori hai…
sunte hain jo na suna par sunna bhi jaroori hai…
ab chahata hun wo sunna jo reh gaya ansuna…
ab chahata hun kehna jo reh gaya ansuna…

136. wohi karte hain jo unko hai pasand bhale hi galat kyun na ho…
wohi soch lete hain jo unki soch hai bhale hi galat kyun na ho…
har koi galat samajhta tha to seh gaye tera naam lekar bhale hi galat kyun na ho…
aaj tune hi galat keh diya humko, bhale hi har karam tera hi kyun na ho…

137.tere ane par dukhi rehta hun…
tere jaane par khush rehata hun…
tere ane par bichadne ka dukh hota hai…
tujhse bichad kar ek bar fir milna hai ye soch kar khush rehta hun…

138.ek baar fir suna kuch bura..
wo ek baar fir bhool gaye hum…
fir ek baar jo suna bura to…
na fir bol paoge bura tum…

139.Kabhi ankhon dekha bhi sach nahin hota…
kabhi andekha bhi sachcha hota hai…
Jo ankhon se nahin ankhon main dikhe…
wahi pyar sachcha hota hai….

140.Vichaar – Pyar aur Pani
pyar aur pani ka ek hi haal hota hai…
na pani aakaar hai aur Pyar bhi nirakaar hota hai…
ek jeene ke liye jaroori hai to ek jindagi ke liye…
dono ka na rang hai na roop par.. ek jaroorat hai..
dono ki pyas hai… ek baar bhuj bhi jaye to kya fir agle din jaroori hai…
suddha ho to vardaan hai milavat ho to jeher bhi hai…
jis tarah dhalo dhal jate hain rakhne waale ka aakar lelete hain…

vaibhav agarwal mere likhe hue sher bhag-3 sabkuch lut gaya